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एमपी में राशन कार्ड घोटाले की पेश की रसीद फर्जी! `मामा’ की सरकार में अधिकारी चला रहे हैं अपनी मर्जी

  • जनसुनवाई में सामने आया मामला

सामना संवाददाता / रतलाम
एमपी में भाजपा की शिवराज सिंह ‘मामा’ की सरकार में सत्ता के नशे में चूर मंत्री से लेकर अधिकारी तक सभी अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। अधिकारियों की इसी मनमर्जी के चलते रतलाम में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर नगर निगम अमले ने आवेदक को जानकारी नहीं दी। आवेदक ने आयोग में अपील की तो निगम से जानकारी प्राप्त किए जाने संबंधी रसीद पेश कर दी गई। जांच में रसीद पर आवेदक के हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए। जानकारी के अनुसार, शहर के कस्तूरबा नगर निवासी नीतिराज सिंह राठौर ने नगर निगम में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत तीन अलग-अलग आवेदन दिए थे। इसमें राशन कार्ड घोटाले को लेकर कलेक्टर के प्रतिवेदन, निगम व पुलिस के बीच हुए पत्राचार, निरस्त राशन कार्ड की संख्या सहित १० बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। दूसरे आवेदन में मेयर इन कौंसिल की बैठकों, निर्णयों, गठन की जानकारी व तीसरे आवेदन में जलप्रदाय विभाग की जानकारियां मांगी गई थी। तीनों आवेदनों को नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा निरस्त कर दिया।
अधिकारियों ने दी झूठी जानकारी
राज्य सूचना आयुक्त डॉ. जी कृष्णमूर्ति ने राशन घोटाले को लेकर मांगी गई जानकारी के आवेदन पर अपील का निराकरण करते हुए आदेश में उल्लेख किया कि राशन कार्ड विभाग प्रभारी ने जानबूझकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न की है, जबकि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारियां प्रश्नवाचक नहीं थी। ऐसी स्थिति में तत्कालीन राशनकार्ड विभाग प्रभारी के खिलाफ अर्थदंड किया जाना चाहिए। लोक सूचना अधिकारी ने आवेदक को जानकारियां दिए जाने के संबंध में आवेदक के हस्ताक्षरों वाली एक रसीद भी प्रस्तुत की थी। जबकि आवेदक ने जानकारी नहीं मिलने व रसीद पर उसके हस्ताक्षर नहीं होने की बात कही। हस्ताक्षरों के मिलान में भी दोनों हस्ताक्षर अलग-अलग पाए गए। राज्य सूचना आयुक्त ने आदेश में लिखा कि नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी के कार्यालय में ऐसे शरारती अधिकारी-कर्मचारी मौजूद हैं, जो झूठी जानकारी लोक सूचना अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
सरकारी जमीन पर भू अधिकार की फर्जी रसीद
रतलाम कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान सरकारी जमीन की फर्जी रसीद बनाने का भी मामला सामने आया है। रावटी क्षेत्र के भूतपाड़ा गांव का एक आदिवासी किसान जमीन की रसीद लेकर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के पास पहुंचा और सरकारी जमीन पर भू अधिकार दिलवाने का आवेदन दिया। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने जब इसकी जांच एसडीएम से करवाई तो मामला फर्जी रसीद बनाने का निकला। सैलाना एसडीएम के पास फर्जी रसीद के दो मामले आए हैं। जिसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम को इस मामले में ३ दिन में जांच प्रतिवेदन पेश करने के निर्देश दिए। दरअसल फर्जी पावती बनाने की गड़बड़ का खुलासा तब हुआ जब जन सुनवाई के दौरान भूतपाड़ा गांव का रहने वाला रमेश एक आवेदन लेकर कलेक्टर के पास पहुंचा और उसने आरोप लगाया कि रावटी की महिला पटवारी सोनिया चौहान के द्वारा उससे १ लाख रुपए से अधिक की राशि लेकर १२ बीघा जमीन की रसीद बना कर दी है। जब उस रसीद के आधार पर वह बैंक में ऋण लेने के लिए पहुंचा जमीन की रसीद को फर्जी करार दे दिया।
बिना कलेक्टर जनसुनवाई बनी खानापूर्ति
रतलाम में प्रत्येक मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई। आलम यह है कि अधिकारी आवेदकों को एक टेबल से दूसरी टेबल भेज कर महज खानापूर्ति करते नजर आए। जनसुनवाई में पहुंचे आवेदक केवल कलेक्ट्रेट का चक्कर लगाकर बैरंग वापस लौटने को मजबूर हो गए। जनसुनवाई में पहुंचे दो विकलांगों को अपनी विकलांगता फिर से साबित करने के लिए कड़ी धूप में जिला अस्पताल भेज दिया गया। बच्चों की फीस जमा नहीं कर पाने की वजह से परीक्षा से वंचित रह गए बच्चों के परिजनों को भी जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों ने टका सा जवाब देकर बैरंग लौटा दिया।

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