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निजी कंपनियों के माध्यम से जारी रहेगी सरकारी कर्मचारियों की भर्ती! सर्विस चार्ज ४० से घटाकर होगा २० प्रतिशत

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के विभिन्न सरकारी-अर्धसरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से आवश्यक जनशक्ति (अधिकारी-कर्मचारी) भर्ती के निर्णय को श्रम विभाग ने रद्द कर दिया है। परंतु उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश के बाद अब नियमों में संशोधन करके इन पुरानी संस्थाओं को पुन: बनाए रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राजनीति गलियारे में चल रही चर्चा के मुताबिक, भाजपा के एक विधायक ‘लाड’ को खुश करने के लिए यह सब गड़बड़झाला चल रहा है।
बताया जाता है कि नौकरी भर्ती के कारण सरकारी खजाने पर पड़नेवाले वित्तीय दबाव को कम करने के लिए श्रम विभाग ने १४ मार्च को सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम के लिए जनशक्ति उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। इस काम के लिए नौ संस्थाओं को पांच साल के लिए नियुक्त किया गया था। इन संस्थाओं से परियोजना अधिकारी, परियोजना सलाहकार, वरिष्ठ अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, लेखा परीक्षक, जिला समन्वय विधि अधिकारी, शिक्षक, अधीक्षक, सूचना अधिकारी जैसे विभिन्न ७४ संवर्गों में उच्च कुशल पदों के लिए जनशक्ति प्रदान करने का निर्णय लिया गया था। इन संस्थाओं से न केवल सरकार के लिए, बल्कि अर्ध सरकारी, स्थानीय स्व सरकारी निकायों, निगमों, सार्वजनिक उद्यमों को भी इन नौ संस्थानों से आवश्यक जनशक्ति लेने के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। हालांकि, श्रम विभाग के इस फैसले का राज्यभर में विरोध किया गया और आपत्ति जताई गई कि इससे बेरोजगार युवाओं का शोषण होगा। साथ ही इस निर्णय के बाद भी सरकार का पैसा नहीं बचेगा, बल्कि ठेकेदारों को फायदा होगा। कुछ विभाग के सचिवों ने भी इस निर्णय पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उसके बाद उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उक्त निर्णय को रद्द करके नया प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष लाने का अनुरोध किया।
रकम तय नहीं
श्रम विभाग की ओर से इस निर्णय में यह नहीं बताया गया है कि कर्मचारियों को कितनी और सेवा प्रदाता संस्था को कितनी रकम मिलेगी। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त निर्णय पर चर्चा के बाद श्रम विभाग को इस निर्णय को रद्द कर नया संशोधित प्रस्ताव लाने का आदेश दिया गया है।
सर्विस चार्ज को लगभग आधा करने का प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक, कंपनियों के दबाव और राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद श्रम विभाग १४ मार्च के निर्णय को रद्द नहीं करेगा, बल्कि इसमें संशोधन करेगा और पुरानी नौ कंपनियों को ही बरकरार रखेगा। २०१४ में श्रम विभाग ने मैनपावर सप्लाई एजेंसियों की नियुक्ति करते समय श्रमिकों का पारिश्रमिक तय कर दिया था और मैनपावर ठेकेदार को १४ प्रतिशत सर्विस चार्ज तय कर दिया था। इसके बाद इसे बढ़ाकर ३० से ४० प्रतिशत कर दिया गया था। अब इस सर्विस चार्ज को लगभग आधा करने का प्रस्ताव है।

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