सामना संवाददाता / मुंबई
सीआरजेड २ के अंतर्गत आनेवाले समुद्री किनारे के झोपड़ों के पुनर्विकास का मामला सालों से अधर में लटका हुआ है। इन झोपड़ों में रहनेवाले करीब १ लाख २५ हजार लोग सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। इन झोपड़ों के पुनर्विकास के लिए मुंबई मनपा और एसआरए के मार्फत पर्यावरण, खर्च और लाभ विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह रिपोर्ट आगामी २ महीनों में तैयार करके केंद्र सरकार को प्रस्तुत की जाएगी, ऐसी जानकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दी। केंद्रीय पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ६ जनवरी २०११ को इन झोपड़ों के पुनर्विकास की शर्तें निर्धारित की थीं। उसके अनुसार, पुनर्विकास करते समय ५१ प्रतिशत भागीदारी सरकार को देने की शर्त है। इसके बाद केंद्रीय पर्यावरण विभाग ने १८ जनवरी २०१९ को इस अधिसूचना में संशोधन किया, परंतु इसमें सुरक्षित झोपड़ों के पुनर्विकास के संदर्भ में स्पष्टता नहीं है। एसे में इस संदर्भ में स्पष्टता देने का अनुरोध राज्य सरकार ने ८ जनवरी २०२१ को किया था। उसके बाद केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसी बीच मुंबई का नया विकास प्रारूप तैयार हुआ है, जिसमें समुद्र किनारे की जगह को उद्यान, मैदान के लिए आरक्षित कर दिया गया है, जिसके कारण जिसके कारण झोपड़ों के पुनर्विकास का मार्ग अधिक मुश्किल हो गया है।