सामना संवाददाता / मुंबई
प्रजा फाउंडेशन ने दो वर्षों की अवधि में मुंबई में मौजूदा विधायकों के संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्यों पर एक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की है। सत्र अवधि के दौरान विधायकों के प्रदर्शन को लेकर आई इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है जिनमें बीजेपी विधायकों के प्रदर्शन में गिरावट आई है व मिंधे गुट के विधायकों का भी प्रदर्शन बिगड़ा है।
प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट कार्ड के अनुसार भाजपा, विधायकों के प्रदर्शन में गिरावट आई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिंदे गुट के कुछ विधायक भी इसमें पीछे रह गए, जबकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक अपना प्रदर्शन बढ़ाने में सफल रहे हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार पिछले वर्ष की तुलना में पिछड़ गए हैं। पिछले साल वे सातवें क्रमांक पर थे, अब ९वें क्रमांक पर हैं। कालिदास कोलंबकर १२ क्रमांक से २० क्रमांक पर, पराग अलवणी दूसरे से सातवें पर और अतुल भातखलकर ५वें से १७वें क्रमांक पर पहुंच गए हैं। सदा सरवणकर २१वें से २८वें क्रमांक पर, मंगेश कुडालकर ९वें से १३वें पर और दिलीप लांडे २०वें से २७वें क्रमांक पर पहुंच गए हैं।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के रवींद्र वायकर ३१वें से २२वें स्थान पर, रमेश कोरगांवकर २६वें से २४वें क्रमांक पर, संजय पोतनीस २२वें से २१वें क्रमांक पर, अजय चौधरी २४ से १९वें क्रमांक पर और सुनील प्रभु तीसरे से दूसरे क्रमांक पर पहुंचे हैं।
प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट कार्ड में मुंबई के ३६ में से कुल २९ विधायकों का मूल्यांकन किया गया है। ये २९ ऐसे विधायक हैं, जो मंत्री नहीं थे और जिन्होंने चार विधानसभा सत्रों में से कम से कम तीन में भाग लिया था।
मुंबादेवी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस के अमीन पटेल ने ३६ विधायकों में से सबसे अधिक अंक प्राप्त किए, जो मुंबई के विधायकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। अमीन के बाद दूसरे क्रमांक पर शिवसेना से सुनील प्रभु (दिंडोशी) और भाजपा से मनीषा चौधरी (दहिसर) तीसरे क्रमांक पर हैं। बैठक और प्रश्न पूछने से भी परहेज
पिछले कार्यकाल विधानसभा के दिनों की तुलना में १२ वीं विधानसभा (२०११-२०१२) की बैठक ५८ दिनों तक चली, जहां की १३ वीं विधानसभा (२०१६-२०१७) की बैठक ५७ दिनों की रही। यही गिनती २०२१-२०२२ के १४वीं विधानसभा में घटकर ३८ दिनों तक रही। इन सत्र सभाओं में १२वीं से १४वीं विधानसभा तक कुल ३४ प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त प्राप्त रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, इस अवधि में पूछे गए प्रश्नों की संख्या में ६७ प्रतिशत गिरावट आई है। १२वीं विधानसभा में पूछे गए प्रश्नों की गिनती ११,२१४ से घटकर १४वीं विधानसभा में ३,७४९ हो गई है।