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खिलाफत का नतीजा, रद्द हो रहा वीजा! …मोदी सरकार के विरोध में बोलने पर भारतीय मूल के विदेशियों से छीनी जा रही हैं सुविधाएं

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट से हुआ चौंकानेवाला खुलासा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली 
अमेरिका की ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को लेकर एक हैरान करनेवाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि हिंदुस्थान में मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने वाले भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों की वीजा/ओसीआई सुविधाएं रद्द की जा रही हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि भारतीय अधिकारी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने वाले भारतीय मूल के विदेशी आलोचकों का वीजा रद्द कर रहे हैं। इस बारे में भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों का कहना है कि भाजपा इस तरह से दोहरा रवैया अपना रही है, एक तरफ वे प्रवासी भारतीयों को साथ लाने की बात कहते हैं तो दूसरी तरफ वे सुविधाएं भी रद्द कर रहे हैं।
कैसे होगा लोकतंत्र मजबूत?
विदेशी मूल के कई प्रवासी भारतीयों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर भारतीय लोकतंत्र का जश्न मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों पर प्रवासी पार्टी समर्थकों की सामूहिक सभाओं में भाग लेते हैं, जबकि उनकी सरकार ने उन लोगों को निशाना बनाया है जिनके बारे में उनका दावा है कि वे देश की छवि खराब कर रहे हैं।
कार्डधारकों की बढ़ी चिंताएं 
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार हाल के वर्षों में प्रवासी भारतीयों के लिए वीजा स्टेटस को लेकर अधिक सतर्क हो गई है। बीते दशक में सरकार ने कथित तौर पर ‘संविधान के प्रति असंतोष’ दिखाने के लिए सौ से अधिक परमिट रद्द कर दिए हैं और कुछ प्रवासी भारतीयों को निर्वासित भी कर दिया है। जाहिर है इससे ओसीआई कार्डधारकों के लिए चिंताएं बढ़ गई हैं, चाहे वे भारत में रह रहे हों या विदेश में। इनमें से कई के माता-पिता बूढ़े हैं और कुछ लोगों के भारत के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंध हैं।

अदालतों में कार्रवाई को दी जा रही चुनौती
‘द वॉयर’ की रिपोर्ट के अनुसार, ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया निदेशक इलेन पियर्सन का कहना है कि भारत सरकार का यह कदम आलोचना के प्रति उसके असहिष्णुता के रुख को दर्शाता है। ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट की मानें तो जिन लोगों की वीजा/ओसीआई सुविधाएं रद्द की गई हैं, उनमें से कई भारतीय मूल के शिक्षाविद्, कार्यकर्ता और पत्रकार हैं जो भाजपा की हिंदू बहुसंख्यकवादी विचारधारा के मुखर आलोचक रहे हैं। कुछ लोगों ने अपने अभिव्यक्ति की आजादी और आजीविका के अधिकारों की सुरक्षा की मांग करते हुए संवैधानिक आधार पर भारतीय अदालतों में इस कार्रवाई को चुनौती दी है।

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