मुख्यपृष्ठस्तंभरौबीलो राजस्थान : परलोक सूं झांकती आतमावां

रौबीलो राजस्थान : परलोक सूं झांकती आतमावां

बुलाकी शर्मा
राजस्थान

मिरत्यु लोक में श्राद्ध-पक्ष। सगळां रा सपूत आप-आपरै पितरां रो श्राद्ध पूरी श्रद्धा सूं करण में लाग्योड़ा। परलोक सूं आतमावां ओ नजारो देखै।
पहली आतमा- देख बीरा! म्हारै सराध में म्हारी पसंद री मिठायां रसमळाई, बिदाम री कतल्यां बणाई है। म्हारो भोत ध्यान राखै। जुग-जुग जीव बेटा।
दूजी आतमा- जणै थूं तो बठैई सुरग जिसा सुख भोग्या लागै।
अरे खूब! बेटा-बीनणी आपरै टाबरां रो ध्यान राखता अर म्हे दोनूं‌‌ अ‍ेक छोटैसीक‌ कमरियै में पड़िया रैंवता। बैंक खातै में पेंशन जमा हुवतै ई विड्रोवल फॉर्म माथै म्हारा दस्तखत करायर बेटो रुपिया आपरै कब्जै कर लेंवतो।
फेर ई बे थारी पसंद री चीजां तो लावता ई हुवैला?
नौकरी में हो जित्तै मन‌ री करली। रिटायर हुयां जिका रुपिया मिलिया बे घर नै टिपटोप करावण अर बेटे रै कार खरीदण में अ‍ेढै लागग्या अर म्हे दोनूं घर में फालतू समान…। घर रै अ‍ेक खूणै में जिकी डोकरी बैठी है नीं, बा म्हारी घरआळी है। बीं नै टैमसर जिमावै कै नीं, सांवरियो जाणै।’
फेर ई थूं बां नै आसीसां‌ देय रैयो है?
टाबर कु-टाबर हुय सकै, माइत कु-माइत कोनी हुवै, बीरा।
अबै दूजी आतमा आपरै घर‌ रो नजारो देख’र- वाह, जीव सोरो कराय दियो बेटा। सराध‌‌ में घेवर, गुलाब जामुन, मोतीपाक। पिंडतजी नै सफारी सूट, डबल‌जीरो जर्दे रा पान सूं भरियोड़ो पानदान! परमातमा थां सगळां री चावनावां पूरी करै।
थूं बड़भागी है कै थारै सरवण कुमार जिसो बेटो है।
पक्को सरवण कुमार‌! थूं थारै घर सूूं अठै आयो है अर म्हैं ओल्ड एज होम सूं सीधो अठै पूग्यो हूं। प्राइवेट नौकरी ही। तिणखा सूं घर खरच चलावणो दोरो हो पण दूजां सूं ब्याजूणा लेयर पढ़ाया। दोनूं बेटा चोखी कंपनियां में ऊंचै पद माथै है। म्हांरी बां नै जरूरत नीं रैई जणै ओल्ड एज होम न्हाख दिया। घरआळी मरी जणैई कोनी पूग्या। म्हैं मरियो जणै ई ल्यायां नै टैम कोनी मिल्यो…। जिका बेटा आपरै जीवतां मां-बाप री कदर कोनी करै, बे बां रै मरियां पछै बां री आतमा री मुगती सारू हवन, दान-पुन्न स्सोकीं करै क्यूं कै बांनै जींवतोड़ां सूं नीं मरियोड़ा मां-बाप सूं डर लागै कै जे बांरी आतमा री मुगती नीं हुई तो परेसान करैला।’
जणै आपां नै बां रै मन में डर बैठावण सारू पैला ई परलोक आय जावणो हो।
दोनूं आतमावां खिलखिलायर हांसण लागै।

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