मुख्यपृष्ठनए समाचाररोबोट दुरुस्त करेगा ब्रेन स्ट्रोक!... विकासशील देशों में लाने की तैयारी

रोबोट दुरुस्त करेगा ब्रेन स्ट्रोक!… विकासशील देशों में लाने की तैयारी

-न्यूरो रिहैब २०३० को विश्व में पहुंचाने की कोशिश

सामना संवाददाता / मुंबई

हिंदुस्थान समेत पूरी दुनिया में जीवनशैली में तेजी से बदलाव आया है। इससे न केवल दिल, बल्कि दिमाग से संबंधित बीमारियां भी बढ़ी हैं। इसमें इंसान को विकलांग करनेवाले ब्रेन स्ट्रोक के मामले अधिक देखे जा रहे हैं। इस बीमारी को दूरुस्त करने के लिए हिंदुस्थान समेत विकासशील देशों में रोबोट टेक्नोलॉजी किस तरह से पहुंचाई जाए, इस पर विशेष ध्यान रहेगा। इसके साथ ही अमेरिका में रोबोट टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा खर्चीली है, लेकिन बजट में लाने के लिए हम मिशन चलाएंगे। इसके साथ ही न्यूरो रिहैब्लिटेशन का २०-३० एक्शन प्लान पूरी दुनिया में लागू करने की भी कोशिश रहेगी। इस तरह की जानकारी वर्ल्ड फेडरेशन फॉर न्यूरो रिहैब्लिटेशन के न केवल हिंदुस्थान, बल्कि एशिया से सेक्रेटरी जनरल नवनिर्वाचित हुए डॉ. निर्मल सूर्या ने दी।
उल्लेखनीय है कि कनाडा के वैंकूवर में २२ से २५ मई को आयोजित वर्ल्ड कांग्रेस में मुंबई के प्रसिद्ध न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. निर्मल सूर्या को वर्ल्ड फेडरेशन फॉर न्यूरो रिहैब्लिटेशन का सेक्रेटरी जनरल चुना गया। बता दें कि यह आर्गनाइजेशन साल १९९६ से शुरू है। इसमें ४४ देश के सदस्य जुड़े हुए हैं। डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि यह बॉडी न्यूरो रिहैब्लिटेशन से संबंधित चाहे वह कोई भी ब्रेन या स्पाइनल काट इंजरी हो, इसके शिकार व्यक्ति को कैसे ठीक करते हुए रिहैब्लिटेशन किया जाए, उस पर काम करती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल अब हम न्यूरो रिहैब्लिटेशन को पूरे विश्व में फैलाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
गांव-गांव कम खर्च पर रिहैब को है पहुंचाना
डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि सेक्रेटरी के तौर पर हिंदुस्थान के साथ ही अंडर और लोअर डेवलपिंग देशों में कम खर्च पर रिहैब्लिटेशन को शुरू करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि खासकर मोबाइल ऐप और नेट के जरिए टेली रिहैब के द्वारा गांव-गांव तक रिहैब को पहुंचाया जाने का प्रयास रहेगा, ताकि सभी को कम लागत पर न्यूरो रिहैब्लिटेशन आसानी से मिल सके।
डब्ल्यूएचओ के अभियान को बढ़ा रहे आगे
डॉ. सूर्या ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के रिहैब २०३० अभियान के तहत यह प्रत्येक देश में हर व्यक्ति को मिलना चाहिए। उसको हम आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक्शन प्लान अगेंस्ट एपीलेप्सी एंड अदर न्यूरोलाजिकल डिऑर्डर और रिहैब २०३० को पूरे दुनिया में लागू कराने की कोशिश होगी।
हर कोई दे सकता है योगदान
डॉ. सूर्या ने कहा कि यह एक ऐसी बॉडी है, जिसमें ब्रेन, स्पाइनल काट और नब्ज के रिहैब्लिटेशन में काम करते हुए योगदान दे रहा है, ऐसा हर व्यक्ति इसमें सदस्य बन सकता है। पैरालिसिस या डिमेंसिया वालों के साथ काम करनेवाले सोशल वर्कर भी सदस्य बनकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ४० से ऊपर इसके विशेष इंटरेस्ट ग्रुप हैं, जो विभिन्न न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर वालों के लिए काम करते हैं।
कॉन्फ्रेंस में इनोवेशन पर हुई चर्चा
डॉ. सूर्या ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में पूरी दुनिया में हुए इनोवेशन पर भी चर्चाएं हुईं। यह हिंदुस्थान के प्वाइंट विव्यू से एक बड़ी अपारच्यूनिटी है, जिसमें एक इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन को लीड कर सके और एक विजन दे सके कि कैसे न्यरोरिहैब्लिटेशन को हर देशों में कैसे पहुंचाई जाएं।

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