मुख्यपृष्ठनए समाचारसुपर स्मार्ट हो गए रोबोट! ...ए-आई ने बढ़ाया संचार कौशल

सुपर स्मार्ट हो गए रोबोट! …ए-आई ने बढ़ाया संचार कौशल

• अब देखकर ही पहचान लेंगे हर चीज

हाल ही में गूगल के कैलिफोर्निया स्थित मुख्यालय के रोबेटिक्स डिविजन में एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला। वहां एक टेबल पर प्लास्टिक के शेर, डायनासोर और व्हेल के मॉडल रखे हुए थे। टेबल के सामने एक एआई संंचालित रोबोट था। वहां मौजूद इंजीनियर ने रोबेट को निर्देश दिया कि वह उन तीनों में से विलुप्त प्राणी को उठाए। इसके बाद रोबोट ने हाथ बढ़ाया और डायनासोर को उठा लिया। यह गजब का कारनामा था। अभी तक आम रोबोट निर्देश देने पर तय काम कर देते थे। पर एआई की भाषा समझनेवाले रोबोट अब इंसानी मस्तिष्क की तरह काम करने लगे हैं। यानी पहली बार किसी चीज को देखने के बाद भी वे एक्ट कर सकते हैं। कुछ समय पहले तक यह असंभव सा लगता था कि रोबोट अपना दिमाग भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पर यहां रोबोट ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और टेबल से लुप्त प्राणी के मॉडल को उठा लिया। इससे साफ पता चलता है कि गूगल के रोबोट अब सुपर स्मार्ट होते जा रहे हैं। दुनिया का पहला रोबोट करीब ७५ साल पहले बना था। तब से आज तक इसने काफी लंबा सफर तय कर लिया है।

६,००० परीक्षण हुए
गूगल ने इस मामले में आरटी-२ के ६,००० से ज्यादा रोबोटिक परीक्षण किए। तब जाकर टीम गूगल को उल्लेखनीय परिणाम मिले। आरटी-२ ने अपने पूर्ववर्ती, आरटी-१ की तरह ही अच्छा प्रदर्शन किया। नए अनदेखे परिदृश्यों पर इसके प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ। यह आरटी-१ के ३२ प्रतिशत की तुलना में लगभग दोगुना होकर ६२ प्रतिशत हो गया।
मुख्य ताकत बोलने की क्षमता
आरटी-२ की मुख्य ताकत इसके बोलने की क्षमता में निहित है। यह रोबोटों को उनके प्रशिक्षण डेटा के आधार पर तर्क करने और निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, जिससे उन्हें संदर्भ में वस्तुओं को पहचानने और उनके साथ बातचीत करने के तरीके को समझने की अनुमति मिलती है। उदाहरण के लिए, आरटी-२ किसी विशिष्ट कार्य पर व्यापक प्रशिक्षण के बिना कूड़े की पहचान कर सकता है और उसे उठा सकता है। यह कचरे की अमूर्त प्रकृति को समझता है, यह पहचानता है कि केले के उपयोग के बाद उसका छिलका कचरा बन जाता है। पिछला रोबोटिक सिस्टम काफी जटिल था। आरटी-२ इस जटिलता को समाप्त करता है।

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