संजय राऊत
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से ही यह संभव हुआ। गुजरात जीत लिया। वो जीतने ही वाले थे। लेकिन भाजपा ने हिमाचल प्रदेश गवां दिया और दिल्ली की महानगरपालिका भी गंवा दी। हिमाचल में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। इन दोनों राज्यों में मोदी मंत्र क्यों नहीं चला? गुजरात विजय का उत्सव मनाने वालों से यह सवाल है!
राजनीति एक खेल है। चालाक लोग यह खेल खेलते हैं। मूर्ख लोग दिनभर इस पर बहस करते हैं। इस समय हमारे देश में इससे अलग क्या चल रहा है? मोदी ने गुजरात जीत लिया। इसी जीत की फिलहाल चर्चा हो रही है। भारतवर्ष अखंड रहे इसलिए राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा पर हैं। इसी समय देश में दो राज्यों के विधानसभा और दिल्ली महानगरपालिका के नतीजे घोषित हुए। गुजरात को छोड़ दें तो दो जगहों पर भाजपा बुरी तरह से पराजित हुई। भाजपा ने गुजरात जीत लिया, इसमें अनोखा ऐसा क्या है? मोदी के गुजरात को दूसरा कौन जीतेगा? गुजरात में हर प्रचार सभा में मोदी कह रहे थे, ‘ये गुजरात मेरा है। ये गुजरात मैंने बनाया है,’ ऐसी भावनात्मक अपील व कांग्रेस की संगठनात्मक गलती की वजह से गुजरात पर भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। उसी समय भारतीय जनता पार्टी ने जो गंवाया इस पर कोई बात करने को तैयार नहीं। भाजपा ने राजधानी दिल्ली में १५ साल पुरानी सत्ता गवां दी। दिल्ली महानगरपालिका में भाजपा हार गई। देश की राजधानी में मिली यह हार है। उसी समय भाजपा की सत्ता वाले हिमाचल प्रदेश को गवां दिया। कांग्रेस ने यहां पूर्ण बहुमत हासिल किया और भाजपा से सत्ता हथिया ली। मतलब तीन मुकाबलों में भाजपा सिर्फ एक स्थान पर, गुजरात में ही जीत हासिल कर सकी। अन्य दो जगहों पर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। मोदी-शाह का जादू उनके गृहराज्य में चला, लेकिन दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में नहीं चल सका। इससे पहले पंजाब में भी वो बिल्कुल नहीं चला, लेकिन भाजपा सिर्फ जीत का उत्सव मनाती है। इन उत्सवों में पराजय की चर्चा करना लोग भूल जाते हैं। यह मूर्खता ही है।
कल की तस्वीर
भाजपा के कल की राजनीतिक तस्वीर इन तीन फैसलों से साफ हो गई है। इसके बारे में हम सभी को सोचना चाहिए। गुजरात यह अपवाद है। लेकिन कांग्रेस जिंदा है और कई राज्यों के मतदाता कांग्रेस को विकल्प के तौर पर देख रहे हैं, ये हिमाचल जैसे राज्यों में दिखा। दिल्ली मनपा चुनाव को भाजपा ने प्रतिष्ठा के तौर पर मान लिया था। फिर भी ‘आप’ ने वहां १३४ सीटें जीतकर भाजपा पर झा़ड़ू घुमा दिया। यहां कांग्रेस नाममात्र भी नहीं बची। लेकिन कांग्रेस और ‘आप’ एक साथ आई होती तो ‘आप’ और कांग्रेस ने मिलकर दो सौ सीटें जीत ली होतीं। दिल्ली में एक समय कांग्रेस का जोर था और शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस जीती थी। आज कांग्रेस के पास दिल्ली में नेता ही नहीं है। हैरानी की बात यह है कि ‘मोदी-शाह’ देश जीतने के लिए चाणक्य नीति अपनाते हैं, वे प्रत्यक्ष में दिल्ली की विधानसभा और मनपा नहीं जीत पाए। प्रियंका, राहुल, सोनिया गांधी के दिल्ली में होते हुए वहां की मनपा में १५ सीट भी कांग्रेस नहीं जीत सकी। मोदी ने गुजरात जीता, केजरीवाल ने दिल्ली और कांग्रेस ने हिमाचल जीता! लड़ाई बराबरी पर रही!
हिंदू मतदान!
गुजरात में भाजपा ने १५६ सीटें जीतीं। यह अब तक का गुजरात में रिकॉर्ड है। गुजरात में मतदान ये सीधे-सीधे हिंदू बनाम मुसलमान, ऐसा ही हुआ। गृहमंत्री श्री अमित शाह की प्रचार सभा के भाषणों को ध्यानपूर्वक सुनें तो गोधरा मामले में अप्रत्यक्ष तौर पर क्या किया, इस पर ही उनकी व्याख्या रही। १९९२ में मुंबई के दंगे में शिवसेना ने हिंदू रक्षा के लिए जो भूमिका अपनाई, वहीं भूमिका गुजरात में बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद ने निभाई। श्री मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लेकिन आगे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी ने गुजरात को आर्थिक और औद्योगिक रूप से मजबूत बनाया। मुंबई में बननेवाले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र वे सीधे गुजरात ले गए। डायमंड हब भी ले गए। कई बड़े उद्योग महाराष्ट्र से ले गए और गुजरात को समृद्ध बना दिया। श्री मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर केवल गुजरात के हित को ही देख रहे हैं, ऐसी टिप्पणी उन पर होने लगी फिर भी ‘मैं प्रथम गुजराती’ यह भूमिका उन्होंने नहीं छोड़ी। गौतम अदानी के पीछे वे मजबूती से खड़े रहे और उन्हें विश्व का तीसरा सबसे अमीर व्यक्ति बना दिया। वही गौतम अदानी गुजराती युवाओं के आज ‘हीरो’ हैं और कांग्रेस अदानी के खिलाफ अभियान चलाती रही। अदानी और मोदी पर की गई टिप्पणी का किसी तरह का लाभ ‘आप’ और कांग्रेस को नहीं हुआ। मोदी के चलते भाजपा को गुजरात में हराना कठिन है। इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा दूसरे राज्यों में अपराजेय है। हिमाचल और दिल्ली ने इसे दिखा दिया। सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस को लोग मरने नहीं दे रहे हैं। वह इस या उस अवस्था में रहती है। पंजाब राज्य चला गया, लेकिन पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस जिंदा हो गई। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा से वह अधिक ऊर्जावान होगी!
अन्य राज्यों में क्यों नहीं?
श्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा को गुजरात में भारी सफलता मिली। मोदी बड़े नेता हैं और अब वे वैश्विक ‘जी-२०’ समूह के अध्यक्ष बन गए हैं। इसका प्रचार गुजरात चुनाव में किया गया था। लेकिन यह भारी सफलता हिमाचल और दिल्ली में क्यों नहीं मिली? इसका विचार विरोधियों को मिलकर करना चाहिए। कल चुनाव होते हैं तो मध्य प्रदेश, कर्नाटक ये दोनों राज्य कांग्रेस सहजता से जीत जाएगी। महाराष्ट्र तो भाजपा ने गवां दिया है। प. बंगाल, पंजाब में मोदी नहीं हैं। बिहार की तस्वीर अलग दिखेगी। श्री लालू यादव की किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ठीक होकर वे सक्रिय होंगे। केवल उत्तर प्रदेश और गुजरात इन दोनों राज्यों पर भाजपा भरोसा रख सकती है। लेकिन विपक्ष एकजुट हो जाता है तो इन दोनों राज्यों से भी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिखेगी। झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड राज्य भले ही छोटे हों, लेकिन वे बदलाव ला सकते हैं। वर्ष २०२४ में राम मंदिर का निर्माण पूरा होगा और वह मुद्दा प्रचार में आएगा। उस पर समान नागरिक कानून का बिगुल बजाना शुरू हो ही गया है। कर्नाटक विधानसभा में जीत के लिए सीमावाद ने उग्र रूप ले लिया है। महाराष्ट्र को तोड़ने का षड्यंत्र रचकर केंद्र कर्नाटक को उकसा रहा है। अंतत: चुनाव जीतने के लिए जनता के, राष्ट्र के नहीं तो इन्हीं मुद्दों को सामने लाया जाता है। गुजरात में अलग क्या हुआ? कांग्रेस हमारा अपमान और अवहेलना कर रही है, मोदी यही कहते रहे। उनकी आंखों में पानी निकला। गुजराती लोग उस पानी में घुल गए। मोरबी की दुर्घटना का आक्रोश उसमें बह गया। ऐसे समय में प्रधानमंत्री मोदी हमेशा जीतते हैं! इसके साथ ही वे इस बार भी गुजरात में जीत गए। गुजरात की जीत बड़ी है, लेकिन हिमाचल, दिल्ली की पराजय भी उतनी ही बड़ी है! लेकिन चर्चा सिर्फ गुजरात की ही हो रही है। शिवसेना समेत सभी क्षेत्रीय दलों का सफाया कर देंगे, ऐसी भाषा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा बोले। लेकिन उनके अपने ही राज्य ‘हिमाचल’ में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। लोगों को हल्के में न लें, यह सीख बहुत जरूरी है। गुजरात में ‘आप’ ने कांग्रेस के १३ फीसदी वोट खींच लिए। ‘आप’ को सिर्फ ५ सीटें मिलीं। लेकिन १३ फीसदी वोटों के साथ ‘आप’ अब राष्ट्रीय पार्टी बन जाएगी। इस पर ही वे लोग खुश। कांग्रेस के पैर इसके चलते कट गए और भाजपा को बड़ी जीत मिली। गुजरात में कांग्रेस के कम-से-कम पचास सीटों तक पहुंचने की उम्मीद थी, ऐसा लग रहा था। लेकिन ‘आप’ ने भाजपा को बड़ी जीत का मौका दे दिया। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में हुए उपचुनाव में भी विपक्ष को अच्छी सफलता मिली। लेकिन अब भी चर्चा सिर्फ गुजरात की ही। गुजरात जीतने वाले ही थे। हिमाचल, दिल्ली में लोगों ने क्यों नकारा, इस पर भी चर्चा होने दो!
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