संजय राऊत-कार्यकारी संपादक
मुंबई में उर्फी जावेद ने भारतीय जनता पार्टी को काम पर लगा दिया। उसके उत्तेजक कपड़े, फिल्म ‘पठान’ में भगवा बिकिनी पर भाजपा का महिला मोर्चा आंदोलन करता है, लेकिन दिल्ली के कंझावला में अंजलि को भाजपा के पदाधिकारी ने अपनी गाड़ी के नीचे कुचलकर मार डाला। इस पर सरकार और भाजपा में सन्नाटा है! उर्फी मामले में भाजपा का ही वस्त्रहरण हुआ। अंजलि मामले में भाजपा के पाखंड की पोल खुल गई!
महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीति पूरी तरह रसातल में चली गई है। वो इतनी कि राज्य की सभी समस्याएं खत्म हो गई हैं और किसी एक उर्फी जावेद नाम की नवोदित अभिनेत्री के उत्तेजक कपड़ों पर भारतीय जनता पार्टी की महिला नेता बोलने और डोलने लगी हैं। कल तक अनजान रही अभिनेत्री उर्फी जावेद ने मुंबई की सड़कों पर कम कपड़ों में शूटिंग की। इस वजह से हिंदू संस्कृति का वस्त्रहरण हुआ, ऐसा भारतीय जनता पार्टी को लगता है और उन्होंने उस उर्फी के खिलाफ वैसी मुहिम शुरू कर दी। इन सबका परिणाम ये हुआ कि इस उर्फी को ख्याति मिली और उसका भाव बढ़ गया। इसलिए संस्कृति का वस्त्रहरण वास्तव में किसने किया? वो भाजपा ने किया। उर्फी भी भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष श्रीमती चित्रा वाघ पर टूट पड़ी। ये सब टाला जा सकता था। संस्कृति की रक्षा के नाम पर भाजपा जो फौजदारी कर रही है, वह अनावश्यक है। उर्फी मामले में जो ‘मॉरल पुलिसिंग’ हुआ वो भारतीय जनता पार्टी पर ही उलटा पड़ गया है। उर्फी कौन? वह क्या करती? इस विवाद से आम जनता को कोई मतलब नहीं है। उर्फी द्वारा भड़कीले कपड़े पहनने से बलात्कार बढ़ेंगे, यह दावा हास्यास्पद है। महिलाओं पर अत्याचार यह एक विकृति है। यह विकृति कानून को भी मात दे रही है। महाराष्ट्र की भाजपा द्वारा मुंबई में उर्फी प्रकरण में लड़ाई लड़ने के दौरान, वहां देश की राजधानी में जो हुआ वह झकझोरने वाला था। असभ्यता और क्रूरता के चरम पर पहुंचने वाला कृत्य भाजपा के एक पदाधिकारी ने किया। दिल्ली के कंझावला इलाके में क्या हुआ? देर रात यहां कम आवाजाही वाली सड़क पर एक तेज रफ्तार कार ने स्कूटी पर बैठी अंजलि को ठोकर मार दी थी। इस टक्कर से अंजलि स्कूटी समेत नीचे गिर पड़ी। अंजलि का पैर उस गाड़ी के पहिए में फंस गया, लेकिन वह तेज रफ्तार कार अंजलि को आगे कई किलोमीटर तक घसीटते हुए ले गई। उस गाड़ी के पहिए से फंसी अंजलि छटपटाती रही। क्रंदन कर रही थी। उसका पूरा शरीर उसमें क्षत-विक्षत हो गया। देश की राजधानी में यह ऐसी खौफनाक घटना घटी। इस तेज रफ्तार कार को चलाने वाला, अंजलि को घसीटते हुए लेकर जानेवाला कारचालक दिल्ली में भाजपा का पदाधिकारी था और वह नशे में धुत था। दिल्ली में हुई इस भयानक घटना से देश दहल गया। हम दुनिया में एक बार फिर शर्मसार हुए। पुलिस व्यवस्था और केंद्रीय सुरक्षा तंत्र की यह नाकामी है। दिल्ली में हुए ‘निर्भया’ मामले में भाजपा देशभर में सड़कों पर उतरी। संसद नहीं चलने दिया। उसी भाजपा के आज सत्ता में होते हुए भी अंजलि मामला ठंडा पड़ गया। मुंबई में उर्फी जावेद के उत्तेजक कपड़ों को लेकर संस्कृति की रक्षा का पाठ पढ़ाने वालों ने शायद अंजलि की चीख मानो सुनी ही नहीं। ऐसी कई अंजलियों ने बीते सात वर्षों में तड़पकर प्राण त्यागे हैं। एक उर्फी जावेद को क्या लेकर बैठे हो!
सुविधानुसार सब कुछ!
सभी राजनीतिक दल सुविधानुसार महिला अत्याचार के मामलों का इस्तेमाल करते हैं। मुस्लिम महिलाओं के हिजाब के विरोध में भाजपा कई बार आक्रामक हुई। चेहरा क्यों ढकते हो? किस धर्म में चेहरा ढकने की अनुमति दी? ऐसा उस समय पूछा गया और मामला कोर्ट तक पहुंचा। इस उर्फी जावेद ने हिजाब बिल्कुल भी नहीं पहना और उसने कपड़े भी कम पहने। भाजपा को वो पसंद नहीं। शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ में दीपिका पादुकोण ने उत्तेजक भगवा वस्त्रों में रोमांटिक सीन किया। ये संस्कृति विरोधी है, ऐसा ठहराकर भाजपा और उसके अन्य संगठनों ने ‘पठान’ पर प्रतिबंध-बहिष्कार अभियान शुरू किया। लेकिन यह गुस्सा दीपिका के भगवा बिकिनी पर था या अन्य किसी पर? क्योंकि दीपिका ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जाकर वहां छात्रों के आंदोलन को समर्थन दिया था। उस गुस्से से ये भगवा बिकिनी का मामला खड़ा किया गया। हालांकि, भाजपा से जुड़े कई महिला और पुरुष कलाकारों द्वारा भड़कीले भगवा कपड़ों में इससे भी ज्यादा असभ्य काम किए जाने की बात सामने आई तो इस पर किसी ने कुछ नहीं कहा और फिल्म ‘पठान’ में भगवा कपड़ों के दृश्य को सेंसर बोर्ड ने सीधे काट दिया। क्योंकि सेंसर बोर्ड में भाजपा द्वारा नियुक्त किए गए लोग ही फैसला ले रहे हैं।
हरियाणा के रंगीले खेल मंत्री
उर्फी जावेद के छोटे कपड़ों को लेकर नाराजगी दिखा रहे सभी को हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह के मामले को गंभीरता से देखना चाहिए। संदीप सिंह खेल मंत्री हैं और उन पर एक महिला खेल प्रशिक्षक ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला कोच को मंत्री के सरकारी आवास पर बुलाकर उनके साथ बदसलूकी की गई। उनकी टी-शर्ट फाड़ दी गई, ऐसा महिला कोच का आरोप है। इन सभी मामलों की जांच के लिए वहां की सरकार ने ‘एसआईटी’ गठित की, लेकिन भाजपा शासित राज्य में ऐसे मामलों पर कोई भी लड़ाकू महिला नेता लड़ते नहीं दिख रही है। यह दोमुंहापन है। दिल्ली का अंजलि जैसा मामला यदि महाराष्ट्र अथवा राजस्थान, प. बंगाल में घटित हुआ होता तो तस्वीर अलग ही होती। हरियाणा में भाजपा के मंत्री की जगह तृणमूल कांग्रेस अथवा शिवसेना का मंत्री होता, तो अब तक राजनीतिक तांडव हुआ होता। इन सभी मामलों पर आवाज उठाने की बजाय महिला नेता ने उर्फी जावेद पर बोलने को प्राथमिकता दी। लेकिन अंत में उर्फी जावेद के साथ प्रत्यक्ष खड़ी रहीं वो अमृता फडणवीस। इस पूरे प्रकरण में उन्होंने अलग तेवर दिखाकर उर्फी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन किया। अमृता फडणवीस कहती हैं, ‘उर्फी एक स्त्री है। वह जो कुछ भी कर रही है, वो अपने लिए ही कर रही है। इसमें मुझे कुछ गलत नहीं लगता।’ संक्षेप में, श्रीमती फडणवीस का कहना है, ‘कपड़ों में क्या है? ‘व्यावसायिक’ आवश्यकतानुसार अब हर क्षेत्र में पोशाक और पहनावा आते रहते हैं।’ लेकिन सुसंस्कृति के नाम पर कोई क्या खाए, कौन से कपड़े पहने, किससे शादी करे इस बारे में निर्णय भाजपा के संस्कृति रक्षक संगठन लेने लगे हैं। भाजपा से जुड़े संगठन तथाकथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ जगह-जगह मोर्चा निकालते हैं। हिंदुत्व के नाम पर राजनीतिक माहौल को गर्म करते हैं। लेकिन उनकी ही पार्टी के मंत्री और पदाधिकारी कंझावला में अंजलि को गाड़ी से कुचल कर मारते हैं, उस पर साधारण एक शब्द भी नहीं बोलते हैं। ये आपत्तिजनक नहीं है क्या?
पुलिस किसकी?
कंझावला की सड़कों पर अंजलि को एक कार से मीलों तक घसीटते हुए ले जाने का दृश्य पूरे देश ने देखा। दिल्ली की पुलिस केंद्र के आदेश का पालन करती है। राजधानी के शहर में निर्भया से लेकर अंजलि तक अमानवीय प्रकरण घटित होते हैं। इसका मतलब कानून का कोई डर नहीं रहा और सत्ता दल में जाकर सब पाप धोए जा सकते हैं, ऐसा विश्वास एक विशिष्ट वर्ग में निर्माण हुआ है। पुणे में पूजा चव्हाण नामक युवती की संदिग्ध मौत हो गई। इस मामले से महाराष्ट्र के एक मंत्री का सीधे तौर पर संबंध था। भाजपा की नेता चित्रा वाघ ने इस पूरे मामले को उठाया। उस समय लोगों को लगा था कि पूजा चव्हाण को न्याय मिलेगा। लेकिन इन मंत्री महोदय द्वारा दल बदल करते ही यह अमानवीय मामला भी भाजपा की गंगा में धुलकर स्वच्छ हो गया! पूजा चव्हाण को आज भी इंसाफ का इंतजार है और अब भाजपा का आंदोलन उर्फी जावेद के उत्तेजक कपड़ों में फंस गया है!
अंजलि का क्रंदन कंझावला की सड़कों पर गूंजता है, लेकिन मुंबई में उर्फी के उत्तेजक कपड़ों ने हंगामा मचाया! सार्वजनिक स्थानों पर नंगा नाच न हो, श्रीमती वाघ का ये कहना सही, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर अंजलि जैसी असंख्यों पर अत्याचार नहीं होना चाहिए इसे भी याद रखें!
महाराष्ट्र की राजनीति का ही ‘उर्फी’ करण हो गया। सभी गिर गए। दोष किसे दें?