मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : इजरायल-हमास युद्ध में नियमों की धज्जियां... ये धर्मयुद्ध नहीं!

रोखठोक : इजरायल-हमास युद्ध में नियमों की धज्जियां… ये धर्मयुद्ध नहीं!

संजय राऊत

युद्ध के तमाम नियमों को तोड़कर इजरायल और हमास में जंग चल रही है। रिहायशी बस्तियों, अस्पतालों, स्कूलों पर हमले न करें, यह युद्ध का वैश्विक नियम है। अस्पताल पर हमला करके ५०० फिलिस्तीनी लोगों को मार दिया गया। उस क्रूरता को देखने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन तेल अवीव पहुंच गए। ‘यूनो’, ‘जिनेवा’ के करारों की परवाह किए बगैर दुनियाभर में विध्वंस शुरू हैं। ‘लॉ ऑफ वॉर’ पूरी तरह से लड़खड़ा गई। सभी तानाशाहों को युद्ध चाहिए, जो कि लोकप्रिय होने व चुनाव जीतने के लिए।
दुनिया के ज्यादातर शासकों के शरीर में तानाशाही का संचार हुआ है। उन्होंने अपनी सत्ता टिकाए रखने के लिए युद्ध और दोषपूर्ण मनुष्य वध का मार्ग स्वीकार किया है। इजरायल विरुद्ध ‘हमास’ युद्ध ने अमानवीयता की सभी हदों को पार कर लिया है। युद्ध के सभी नियमों को तोड़ते हुए इजरायल ने मानवता पर हमला किया व उस क्रूरता को अनुभव करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद ही इजरायल की भूमि पर पहुंच गए। बाइडेन ने राष्ट्रपति बनते ही एक काम किया है, वह मतलब अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज को वापस बुला लिया और एक तरह से तालिबान के खिलाफ युद्धविराम कर दिया। अमेरिका व रशिया, अफगानिस्तान से युद्ध जीत नहीं पाए। उनके हजारों सैनिक मारे गए। वही बायडेन युद्ध भड़कने पर इजरायल को समर्थन देते हैं और प्रत्यक्ष युद्धभूमि पर जाकर खड़े रहते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में यूरोपियन राष्ट्र यूक्रेन के पक्ष में खड़े रहे, लेकिन यूक्रेन को खाक में मिलने और वहां जनहानि को वे रोक नहीं पाए। युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री यूक्रेन के कीव शहर में गए व अब अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन अब तेल अवीव पहुंचे। बाइडेन उम्र व शरीर से थक गए हैं। वे कई बार चलते-चलते व सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान गश खाकर गिर पड़ते हैं। ऐसे बाइडेन अरबों का विध्वंस देखने के लिए तेल अवीव में आए। कल श्री नरेंद्र मोदी भी बायडेन का अनुसरण करेंगे। उससे क्या होगा?
अस्पतालों पर हमला
इजरायल की सेना ने मंगलवार को मिसाइल से हमला कर गाजा पट्टी के एक अस्पताल को ध्वस्त कर दिया। उसमें ५०० लोगों की मौत हो गई। अस्पतालों पर हमला युद्ध के नियमों और मानवता के खिलाफ में है। यह युद्ध अपराध है। नरसंहार है। ऐसा नरसंहार आज कहां नहीं हो रहा है? इराक पर हमले के दौरान अमेरिका ने इसी तरह से नरसंहार किया और इराक के नेता सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया, लेकिन अमेरिका से सवाल कौन पूछेगा? सीरिया-यूक्रेन में इसी तरह से नरसंहार हुआ। अब उसके लिए फिलिस्तीन की जमीन चुनी। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच का संघर्ष नया नहीं, लेकिन ‘हमास’ नामक आतंकी संगठन फिलिस्तीन का प्रतिनिधित्व नहीं करता। हमास के इजरायल पर किए गए हमलों की भयंकर सजा फिलिस्तीन के नागरिक भोग रहे हैं। हमास को खत्म करना व फिलिस्तीन की जनता को मारना, ये दोनों अलग मामले हैं। अरब-इजरायल संघर्ष सिर्फ ३२ एकड़ भूमि के टुकड़े के लिए है। वहां यहूदी, मुसलमान और ईसाई इन तीनों धर्मों का प्रार्थनास्थल है। इजरायल की भूमि पर आज यहूदियों का राज है और उनकी आर्थिक शक्ति विशाल है। ज्ञान और विज्ञान का भंडार उनके पास है और दुनिया के साहूकार के तौर पर वे रहते हैं। हमारी भूमि पर इजरायली लोगों ने कब्जा कर लिया है, ऐसा अरब के लोगों का मानना है और यह भूमि सर्वप्रथम यहूदियों की थी व अरबों ने बाद में हड़प ली। इसलिए वह उनकी नहीं होती, ऐसा यहूदियों का सोचना है। इजरायल ने अरब के लोगों से येरूसलम ले लिया, यह सत्य है। लेकिन वह युद्ध करके लिया गया और वह पहले उनका था, इसलिए लिया, ये भूला नहीं जा सकता। यहूदी धर्म की स्थापना पांच हजार साल पहले हुई। उसके बाद १९९४ साल पहले ईसा मसीह ने ईसाई धर्म की स्थापना की। बाद में मोहम्मद पैंगबर ने इस्लाम धर्म की स्थापना की। इस क्रम को मान लिया जाए तो येरूसलम के पहले मालिक यहूदी ही सिद्ध होते हैं, फिर ईसाई और मुस्लिम। यहूदियों पर रोमन और अरबियों ने हमला किया। उनके धर्म के भव्य मंदिर को दूसरी बार गिराया। चहार दीवारी वाले येरूसलम का ध्वस्त किया। तब यहूदी समाज दुनियाभर में चला गया। उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अपनी भूमि वापस हासिल की और दुनियाभर के यहूदियों को वापस वहां लाया। उसके बाद हुए संघर्ष में अरबियों को पराजित करके गोलन पहाड़ी से गाजा पट्टी तक आज का इजरायल खड़ा किया। १९६७ में हुए अरब-इजरायल युद्ध के बाद यह हुआ। अपनी कोकण पट्टी जितना यह राष्ट्र एक प्रबल राष्ट्र के तौर पर खड़ा है और उनके द्वारा छेड़े गए युद्ध को समर्थन देने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति ‘तेल अवीव’ आते हैं तो अपने आर्थिक स्वार्थ के लिए।
अन्न-पानी के बिना गाजा
तिलचट्टों को मारने की तर्ज पर गाजा पट्टी में इंसानों को मारा जा रहा है। गाजा की बिजली, पानी, रसद आपूर्ति इजरायल ने बंद कर दी है। ‘हमास’ को उखाड़ने का मतलब, ऐसा नरसंहार करना नहीं है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ उनकी ही जनता सड़क पर उतर गई है। नेतन्याहू की नीतियों की वजह से जनता पर यह युद्ध लादा गया। नेतन्याहू ‘युद्ध गुनहगार’ है, ऐसा उन्हीं के लोग कहने लगे हैं। महाभारत के युद्ध में भी नियम थे। लेकिन वहां भी नियमों अवज्ञा हुई। योद्धाओं को एक-दूसरे के सामने समान अवसर के साथ आना चाहिए। निशस्त्र लोगों पर हमला न करें। जिन्होंने मैदान छोड़ दिया है, उन्हें मारा नहीं जाना चाहिए। जो पहले ही घायल और असहाय हुआ है उस पर फिर से शस्त्र नहीं चलाना चाहिए। युद्ध सूर्योदय से पहले नहीं होना चाहिए और सूर्यास्त तक समाप्त हो जाना चाहिए। जयद्रथ के वध के समय यह नियम तोड़ दिया गया। आज इजरायल-हमास युद्ध में वही हो रहा है।
नियम कहां गए?
हमास ने सूर्यादय के पहले इजरायल पर पांच हजार मिसाइलें दागीं। इजरायल की सीमा में घुसकर सैकड़ों लोगों को बंधक बनाया। उसमें बुजुर्ग, महिला और छोटे बच्चे थे। अब उन्हें मार दिया है। युद्ध में नागरिकों को नहीं मारना चाहिए। रिहायशी बस्तियों पर, अस्पतालों पर हमला नहीं किया जाना चाहिए। नियम तोड़ना यह ‘युद्ध अपराध’ है। ईराक, यूक्रेन व अब इजरायल-हमास युद्ध में यह अपराध हो रहा है। स्कूल, कॉलेज व घरों पर बम नहीं बरसाए जाएं। चिकित्सा सेवा देनेवाले लोगों और पत्रकारों को नहीं मारा जाना चाहिए। इन नियमों का उल्लंघन अब हुआ ही है। युद्ध के समय ‘लॉ ऑफ वॉर’ लागू होता है, लेकिन अब प्रबल देश ‘यूनो’ और ‘जिनेवा’ समझौते की परवाह नहीं करते। जिनकी दादागीरी उनके नियम। जो बाइडेन उनके साहूकार, इजरायल की भूमि पर उतरकर निर्दोषों की हत्या देखते हैं यह मानवता नहीं। हमास, अलकायदा से भी खतरनाक है। विश्व बिरादरी को एक साथ आकर उसका इंतजाम करना चाहिए। अमेरिका ने लादेन को खत्म किया तब पाकिस्तान पर बम नहीं बरसाए थे। दुनिया जब सोई हुई थी, तब अमेरिका के कमांडोज पाकिस्तान में घुसे और उन्होंने लादेन को मारा। इसके लिए पूरी दुनिया ने अमेरिका की सराहना की। वही अमेरिका इजरायल के नृशंस रक्तपात का समर्थन कर रहा है। फिलिस्तीन के संस्थापक यासर अराफात आज जिंदा नहीं है। इजरायल फिलिस्तीनी लोगों पर अन्याय करता है, यह कहनेवाले अराफात का दुनिया में सम्मान था। उनकी चर्चा की जा सकती थी। अराफात के बाद फिलिस्तीन ने जुझारू चेहरा ही खो दिया। हमास यानी फिलिस्तीन का नेतृत्व नहीं, लेकिन हमास को खत्म करने के नाम पर इजरायल गाजा की धरती से सभी अरबी लोगों को खत्म कर रहा है।
युद्ध के नियम को तोड़कर एक नियम जारी है। दुनिया मूकदर्शक बनी है!
धर्म के नाम पर और धर्म के लिए यह युद्ध चल रहा है, लेकिन कोई भी ‘धर्म’ उस भूमि पर नागरिकों की रक्षा नहीं कर सका। येरूसलम इजरायल की भूमि पर है। तीन धर्मों का पवित्र स्थल इस एक ही येरूसलम की भूमि पर है। यह यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म की पवित्र नगरी है, मानो तीनों धर्मों का संगम ही यहां पर हुआ है। यहां आज भी यहूदियों के पवित्र सोलोमन मंदिर की दीवार खड़ी है। येरूसलम शहर में ही ईसामसीह को सलीब पर चढ़ाया गया। ‘चर्च ऑफ द होली सेपल्चर’ में वह वधस्तंभ है। येरूसलम में प्राचीन अलअक्सा मस्जिद है। इसी मस्जिद से इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई। इसी स्थान से इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद ने स्वर्ग की ओर प्रयाण किया था। इस मस्जिद का संदर्भ कुरान शरीफ में है। तीन धर्मों के पवित्र स्थल जिस जमीन पर खड़े हैं, वहां निर्दोष नागरिकों की रोज ही बलि चढ़ रही है और उसमें से एक भी धर्म अपने नागरिकों की जान नहीं बचा सका है। सभी धर्म के लोग अपने घर-परिवार के साथ तबाह हुए हैं। इंसानों को न बचानेवाले धर्म आपस में लड़ रहे हैं। किसी भी नियम का पालन किए बिना युद्ध चल रहा है। यह धर्म युद्ध नहीं!

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