मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : चुंबन, भय और ‘नाटू नाटू’!

रोखठोक : चुंबन, भय और ‘नाटू नाटू’!

संजय राऊत- कार्यकारी संपादक


महाराष्ट्र में ‘चुंबन’ पर चर्चा चल रही है। किसान सड़क पर उतरा है। देश में ईडी, सीबीआई ने भय का माहौल पैदा किया है। गौतम अडानी के खिलाफ वातावरण गरमा गया है। इस पर पानी डालने के लिए विपक्षियों के घरों पर छापेमारी और गिरफ्तारी की जा रही है। सब ‘नाटू नाटू’ का ही मामला है।

यह लेख लिखने के दौरान सीबीआई की टीम लालू यादव के घर फिर से पहुंच गई है। किडनी के विकार के कारण लालू यादव की आवाज क्षीण हो गई है। उनका चलना-फिरना सीमित हो गया है। उन्होंने मोदी सरकार को उस अवस्था में भी फटकार लगाई। ‘मैं अंत तक लड़ूंगा, लेकिन मैं समर्पण नहीं करूंगा।’ तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को ईडी ने समन भेजा। मैंने उसी दिन कविता से टेलीफोन पर बात की। उन्होंने साफ कहा, ‘मैं घुटने नहीं टेकूंगी। मुझ पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। मैं सच्चाई के लिए लड़ती रहूंगी। राजनीति नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इर्द-गिर्द घूम रही है। विरोधी भी लड़ने के मूड में हैं, लेकिन विपक्ष में एकजुटता का दर्शन अभी भी नहीं हो पा रहा है। यही श्री मोदी और शाह की शक्ति है। ‘ईडी’ जैसी एजेंसियां कानून का दुरुपयोग करके विरोधियों को परेशान करती और मुश्किल में डालती हैं। उसके खिलाफ सभी विपक्षी सांसदों को एकजुट होकर ‘ईडी’ कार्यालय पर मोर्चा निकालना चाहिए। गौतम अडानी द्वारा की गई लूटमार की शिकायत ‘ईडी’ के निदेशक से करनी चाहिए, ऐसा तय हुआ लेकिन उस शिकायत पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और महाराष्ट्र की राष्ट्रवादी कांग्रेस ने हस्ताक्षर नहीं किए। ‘ईडी’ के खिलाफ मोर्चे में भी ये पार्टियां शामिल नहीं हुर्इं। सवाल गौतम अडानी का नहीं है, बल्कि जिस तरह से विपक्ष को कुचला जा रहा है, वह विषय महत्वपूर्ण है। तृणमूल और राष्ट्रवादी भी ‘ईडी’ की चक्की में पिस चुकी हैं। पुलिस, जांच एजेंसियों का इतना निरंकुश दुरुपयोग कभी भी नहीं हुआ था।
क्राउड फंडिंग!
‘क्राउड फंडिंग’ और उस पैसे का गलत इस्तेमाल यह मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत आनेवाला विषय है। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले फिलहाल इसी आरोप के तहत ‘ईडी’ की हिरासत में हैं और चार महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। किरीट सोमैया ने ‘विक्रांत युद्धपोत बचाओ’ अभियान के तहत लोगों से भारी मात्रा में ‘क्राउड फंडिंग’ की और उन पैसों का उपयोग कहां किया, इसका हिसाब नहीं दिया। यदि साकेत गोखले ने क्राउड फंडिंग का अपराध किया है तो फिर उसी अपराध के तहत किरीट सोमैया आजाद कैसे हैं? उन पर मामला दर्ज हुआ। सत्र न्यायालय ने जमानत से इनकार कर दिया लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और फडणवीस के गृहमंत्री बनते ही विक्रांत वित्तीय गड़बड़ी में ‘क्लीन चिट’ दे दी गई। विरोधियों को फंसाने और सत्ताधारी पार्टी के आरोपियों को आजाद छोड़ना ऐसे ‘कानून का राज’ वर्तमान में चल रहा है। मोदी और शाह कहेंगे वही पूर्व, वही न्याय, वही कानून ऐसा फिलहाल हो गया है। किसी दौर में इस देश में महान व्यक्तियों का जन्म हुआ था, इसका विस्मरण होने लगा है। आइंस्टीन की जयंती हाल ही में मनाई गई। उन्होंने गांधी के बारे में जो कहा था, वह महत्वपूर्ण है। ‘गांधी नाम के व्यक्ति ने कभी इस धरती पर अपने कदम रखे होंगे, यह आनेवाले दौर को सत्य ही नहीं लगेगा’, आइंस्टीन द्वारा कही गई ये बात मोदी-शाह के संज्ञान में भी नहीं होगी। आइंस्टीन, गांधी की तुलना में आज अडानी का साम्राज्य शासकों को महत्वपूर्ण लगता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख लोग आज भी आपातकाल में इंदिरा गांधी ने देश को किस तरह से जेलखाना बना दिया, इस पर प्रवचन देते हैं। परंतु आज भाजपा के शासन में जेलखाने का कौन सा स्वरूप संघ को दिखता है? अवांछित विरोधियों को जेल में डालना यह फासिज्म है। संघ की लोकतांत्रिक परंपरा में यह बैठता है क्या? मोदी-शाह को नागवार लगनेवाले सैकड़ों राजनीतिक विरोधी आज कैदखाने में बंदी हैं। श्री राहुल गांधी ने लोकतंत्र की इस मृत अवस्था के बारे में जब सवाल पूछा तो सभी ने उन्हें घेर लिया लेकिन राहुल गांधी पीछे हटने को तैयार नहीं यह महत्वपूर्ण।
सब कुछ गैरकानूनी
महाराष्ट्र की सरकार भी मोदी की तरह गैरकानूनी तरीके से राजकाज चला रही है। शिवसेना की शाखाओं में पुलिस घुसाकर शिंदे गुट के लोग कब्जा जमा रहे हैं। पैसे और पुलिसिया ताकत का इस्तेमाल करते हुए कार्यालयों पर कब्जा हासिल कर लोगे, लेकिन जनभावना कैसे खरीदोगे, यह सवाल है। महाराष्ट्र में एक सार्वजनिक चुंबन का मामला फिलहाल सभी का मनोरंजन कर रहा है। शिंदे गुट के एक विधायक ने अपनी ही महिला पदाधिकारी का सरेआम चुंबन लिया। उस नाजुक चुंबन पर राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने आ रही है। चुंबन का उक्त ज्वलंत दृश्य सोशल मीडिया के जरिए दुनियाभर में तुरंत फैल गया। मुख्यमंत्री शिंदे की उपस्थिति में चुंबन की यह घटना घटी। अब इस चुंबन मामले में शिवसेना के युवा कार्यकर्ताओं के घरों पर छापेमारी कर गिरफ्तारियां की गर्इं। आज के युग में सभी बातें सोशल मीडिया के माध्यम से क्षण भर में पैâल जाती हैं और इसका दोष आप किसे देंगे? मूलरूप से चुंबन लेना यह अपराध क्या इस पर फैसला होना चाहिए। चुंबन अपराध नहीं होगा तो फिर शिवसैनिकों को गिरफ्तार करने का कारण क्या है? संबंधित विधायक और महिला कार्यकर्ता को चुंबन प्रकरण के कारण शर्मिंदगी झेलनी पड़ी, ये स्वीकार किया जाए, तो भी सार्वजनिक स्थान पर लिया गया एक साधारण चुंबन एक अश्लील कृत्य के अंतर्गत आता है क्या, इसका खुलासा होना चाहिए और गिरफ्तार शिवसैनिकों की रिहाई होनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार को चुंबन से नफरत कब से हो गई? श्री एकनाथ शिंदे और उनके लोगों ने फडणवीस के साथ सीधे-सीधे ‘लव जिहाद’ वाली ही हरकत की और खुलेआम अनैतिक तरीके से साथ रह रहे हैं, इसे क्या कहा जाए!
भय का राज!
देश में भय का माहौल है। मनुष्यों का शोषण भय के माध्यम से किया जाता है। आज घुटने टेकने की स्पर्धा उसी भय से शुरू है। भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाओ, चुप रहें, अन्यथा जेल जाएं, ऐसा फिलहाल चल रहा है। एकनाथ शिंदे और उनके चालीस लोगों को ऐसी ही भय की तलवार लगाई और उनका समर्पण कराया, ये अब छिपा नहीं है। मोदी-शाह की राजनीतिक सफलता उनके द्वारा निर्माण किए गए भय में है। अडानी प्रकरण पर बोलने के लिए भाजपा का एक भी सत्यवादी नेता तैयार नहीं है। एलआईसी, बैंकों को सीधे लूटा गया, लेकिन इस पर भाजपा के सभी नेताओं ने अपने मुंह में ताले लगा लिए हैं। श्री राहुल गांधी द्वारा देश में लोकतंत्र के खतरे में होने की लंदन में की गई बात भाजपा को पसंद नहीं आई और उन्होंने संसद में गांधी से माफी मांगने की मांग की, लेकिन अडानी प्रकरण की लूट पर वे खामोश हैं। क्योंकि उन्हें मोदी का भय लगता है। भय के राज में लोकतंत्र बरकरार रहेगा क्या? तस्वीर भयावह है।
भारतीय जनता पार्टी के ‘अंधभक्तों’ का पागलपन किस हद तक चला गया है, इसकी तस्वीर बुधवार को राज्यसभा में दिखी। ‘नाटू नाटू’ इस गाने को ऑस्कर का पुरस्कार मिला। उस पर अभिनंदन के भाषण शुरू हो गए। नेता प्रतिपक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘अब इस ऑस्कर का श्रेय भी श्री मोदी न लें’। श्री खरगे ये सत्य ही बोले। ‘RRR’ फिल्म का ‘नाटू नाटू’ ये गीत है। ‘RRR’ के पटकथा लेखक वी. विजयेंद्र प्रसाद को भाजपा की तरफ से राज्यसभा में सांसद बनाया गया। इस पर एक मंत्री पीयूष गोयल ने ठीक वही कहा, जिसका जिक्र श्री खरगे ने किया। ‘मोदी सांस ले रहे हैं इसलिए दुनिया चल रही है’, इतना ही बस कहना बाकी है। मोदी मतलब ही भारत ऐसा बोलने वालों ने मोदी के नाम से भी भय पैदा कर दिया है।

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