मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : भाजपा की खुली ‘मनी लॉन्ड्रिंग’

रोखठोक : भाजपा की खुली ‘मनी लॉन्ड्रिंग’

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक

देश को भ्रष्टाचार का दीमक सत्तारूढ़ भाजपा ने ही लगाया है। आपराधिक स्वरूप के व्यवहार के जरिए पैसे जुटानेवाले कई नेता भाजपा में आकर ‘शुद्ध’ होते हैं। भाजपा ने जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए वो मेघालय के कॉनराड संगमा से लेकर असम के हेमंत बिस्वा सरमा तक अनेक लोग भाजपा में आए, परंतु ‘ईडी’ की कार्रवाई चल रही है, सिर्फ विरोधियों के खिलाफ। मनी लॉन्ड्रिंग के गुनहगार को पार्टी में लेना यह मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल होने जैसा ही है। भाजपा ऐसे अपराध में सह आरोपी सिद्ध होगी! भाजपा पर मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

भ्रष्ट पैसा और भ्रष्ट नेता किसे चाहिए? यह सवाल अब जनता के मन में जरूर उठ रहा होगा। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के मामले में केंद्र सरकार किस तरह से एकतरफा बर्ताव कर रही है, यह अब रोज ही देखने को मिल रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियां यानी ‘ईडी’ और ‘सीबीआई’ अब हमेशा के लिए बंद हो जानी चाहिए। भाजपाई सरकार की मनमानी की पालकी ढोने वालों की तरह ये एजेंसियां ​​अब काम कर रही हैं। देश के नौ प्रमुख विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर बताया है कि कैसे ‘ईडी’, ‘सीबीआई’ सिर्फ विपक्ष को ‘निशाना’ बना रही हैं। नारायण राणे, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, प. बंगाल के मुकुल रॉय, सुवेंदु चौधरी जैसे कई नेता भाजपा में प्रवेश करने से पहले भ्रष्ट थे। उनके भ्रष्टाचार पर भाजपा ने पुस्तक ही छपवाई थी लेकिन ये सभी लोग अब भाजपा में आकर पवित्र हो गए हैं और भाजपा इनके साथ खुशी-खुशी रह रही है। लेकिन विपक्षी दलों के नौ नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखते ही, ‘सीबीआई’ तुरंत लालू प्रसाद यादव के घर पहुंच गई तथा २००४ से २००९ तक के रेल मंत्री के पद पर उनके रहने के दौरान के एक मामले की जांच शुरू कर दी। श्री लालू यादव हाल ही में किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी कराकर सिंगापुर से लौटे हैं। उनकी हालत अभी भी सुधरी नहीं है। उस अवस्था के बाद भी सीबीआई ने उनसे छह घंटे तक पूछताछ की। भाजपा और उसकी सरकार को २००४ के भ्रष्टाचार को खोदकर निकालना है। ‘जमीन के बदले नौकरी’ का ये मामला है। १८ साल से इसकी जांच चल रही है और इसमें लालू यादव परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है। लालू यादव भाजपा में शामिल हो गए होते तो हरिश्चंद्र के अवतार बन गए होते!

मेघालय का घोटाला
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कल तक मेघालय की कॉनराड संगमा सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार कह रहे थे। मेघालय विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार का मुद्दा संगमा और उनकी सरकार का भ्रष्टाचार ही था। मोदी और शाह ने हर प्रचार सभा में कहा, ‘संगमा भ्रष्ट हैं और उन्होंने मेघालय को लूटा है। केंद्र से मेघालय में आई हजारों करोड़ की निधि लोगों तक पहुंची ही नहीं।’ फिर उसे किसने हड़प लिया? इस पर मोदी-शाह ने संगमा की ओर उंगली दिखाई, लेकिन अब उसी भ्रष्ट संगमा की सरकार में मामूली जान वाली भाजपा बेशर्मी से शामिल हो गई और उसी ‘भ्रष्ट’ संगमा के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह विशेष रूप से शामिल हुए। संगमा के घर ईडी-सीबीआई भेजने की बजाय मोदी-शाह और भाजपा सीधे संगमा की सरकार में शामिल हो गए और भ्रष्टाचार को खोदकर निकालने के लिए ईडी-सीबीआई का दस्ता पहुंचा लालू प्रसाद यादव और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर। सिसोदिया को तो गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

कर्नाटक में नकदी घोटाला
प. बंगाल के एक मंत्री पार्थ चटर्जी के घर से नोटों का जखीरा मिला था। पार्थ को ‘ईडी’ ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। चार दिन पहले कर्नाटक के भाजपाई विधायक विरुपक्षप्पा मंडल के बेटे प्रशांत के घर से आठ करोड़ की बेहिसाबी नकदी मिली थी, लेकिन इन सज्जन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। ‘आम आदमी के घर में पांच-दस करोड़ मिले तो हैरानी की क्या बात है?’ ऐसा खुलासा उक्त भाजपाई विधायक ने किया। आम आदमी महंगाई और बेरोजगारी से बेहाल हो चुका है। उसे रोज छला जा रहा है। पांच करोड़ क्या उसके खाते में पांच हजार भी जमा नहीं हैं। मोदी के राज में सामान्य लोगों के घर में पांच-दस करोड़ सहजता से मिलते होंगे तो ऐसे आम लोगों की सूची भाजपा को एक बार सार्वजनिक ही कर देनी चाहिए! कर्नाटक के विधायक एम. विरुपक्षप्पा के बेटे को चालीस लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। हैरानी की बात यह है कि अदालत ने उसे अग्रिम जमानत तुरंत ही दे दी। विरुपक्षप्पा मंडल को भी जमानत मिल गई। तो भाजपाई कार्यकर्ताओं ने उनका किसी नायक की तरह स्वागत किया। पटाखों की आतिशबाजी के साथ जुलूस भी निकाला। भाजपा विधायक के घर एक छापेमारी में ८ करोड़ रुपए मिलते हैं। वह जमानत पर तुरंत छूट जाता है। लेकिन विपक्षी दलों के लोग ५-५० लाख के लेन-देन में जेल जाते हैं। ईडी-सीबीआई पूछताछ के लिए विधायक विरुपक्षप्पा के घर नहीं पहुंची। १४ साल पुराने एक मामले को खोदकर निकालने के लिए ये अधिकारी लालू यादव के दिल्ली स्थित घर पर पहुंचे थे।

अमित शाह, बोलो!
२०१९ तक, भाजपा के हिसाब से नारायण राणे भ्रष्ट और चोर थे। आज वे भाजपा के आदरणीय केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। हेमंत बिस्वा सरमा अब मोदी-शाह विशेष समूह का मोहरा बन गए हैं। वे कांग्रेस पार्टी से भाजपा में शामिल हुए और अब मुख्यमंत्री बन गए। कांग्रेसी मंत्रिमंडल में रहने के दौरान हेमंत बिस्वा सरमा पर भ्रष्टाचार के आरोप भाजपा ने लगाए थे। उनके भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भाजपा ने एक पुस्तिका सबूतों के साथ प्रकाशित की थी। असम के जल आपूर्ति विभाग में उन्होंने भारी भ्रष्टाचार किया। उस समय Water Supply Scam के नाम से यह भ्रष्टाचार सुर्खियों में आया। इन्हीं हेमंत बिस्वा सरमा के भाजपा में शामिल होते ही भाजपा ने उनके सारे पाप धो दिए। असम के हालिया दौरे के दौरान पत्रकार और अमित शाह के बीच की दिलचस्प बातचीत देखें-
पत्रकार: हेमंत बिस्वा सरमा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का क्या हुआ? हेमंत सरमा भ्रष्टाचारी हैं कि नहीं?
अमित शाह : चलो भाई… छोड़ दो।
पत्रकार: अमितभाई, जवाब दो।
अमित शाह: ऐसे सवाल मत पूछिए! क्यों पूछ रहे हो?
रिपोर्टर: अमित भाई, जवाब दीजिए।
अमित शाह : नहीं… नहीं। मुझे इस सवाल का जवाब नहीं देना है!
इसका अर्थ क्या है? भाजपा में आओ और पवित्र हो जाओ। नहीं तो जेल में जाओ! ईडी का कार्य क्या है? यह सीधे तौर पर भाजपा की मनी लॉन्ड्रिंग है। आपके पास काला धन है तो भाजपा में आ जाओ। काला धन सफेद हो जाएगा और आपको प्रतिष्ठा मिलेगी। ऐसे असंख्य भ्रष्टाचारियों को पार्टी में लेकर भाजपा ने मनी लॉन्ड्रिंग की है, ये सार्वजनिक हो चुका है। शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों के कई भ्रष्ट नेताओं पर भाजपा ने ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उनमें से कई लोग आज भाजपाई गुट में हैं। वे वहां काला धन लेकर गए थे। यह पैसा (POC) Proceed of Crime से मिला था। यानी मनी लॉन्ड्रिंग हुई थी। इसलिए उस नजरिए से पूरी भाजपा पर ही मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा चलना चाहिए। ईडी अथवा सीबीआई में इतना दम है क्या?

फडणवीस की चुनौती
विपक्ष के ९ नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा। केंद्र सरकार द्वारा ईडी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने की बात पत्र में लिखी गई है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी मतलब भारत का एक लोकतांत्रिक देश से एक तानाशाही शासन पद्धति में परिवर्तन होना ही सिद्ध होता है, ऐसा इस पत्र में कहा गया है। सिसोदिया को गिरफ्तार करते समय उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं दिया गया था। उसी तरह श्री अनिल देशमुख और मेरे मामले में भी सबूत नहीं दिए। भाजपा के ‘एजेंट’ विपक्षी दल के नेताओं की सूची लेकर राज्यों की ‘ईडी’ और आर्थिक अपराध शाखा में बैठते हैं और आदेश देते हैं कि किसके खिलाफ कार्रवाई करनी है। उपमुख्यमंत्री बनने के बाद से श्री देवेंद्र फडणवीस का संतुलन हर दिन गिरता जा रहा है। विपक्षी नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र पर श्री फडणवीस ने टिप्पणी की, ‘भ्रष्ट मार्गों से पैसा हासिल करना बंद करो, कार्रवाई भी बंद हो जाएगी।’ श्री फडणवीस का यह बयान उनकी प्रतिष्ठा को शोभा देने लायक नहीं है। गौतम अडानी ने कितने सीधे तरीकों से संपत्ति अर्जित की है और उनकी अमीरी के पीछे भाजपा के कौन से बड़े नेता थे? यह एक बार फडणवीस ने बताना चाहिए।
हेमंत बिस्वा सरमा से संबंधित अमित शाह और पत्रकारों के बीच हुई बातचीत को उन्हें फिर से सुनना चाहिए। राहुल गांधी द्वारा अडानी के घोटालों के संदर्भ में लोकसभा में उठाए गए सवालों का जवाब देने से प्रधानमंत्री मोदी बचते नजर आए और भाजपा के किसी भी नेता ने अभी तक इस पर मुंह नहीं खोला है।
भाजपा में शामिल होने के बाद किसी एक भी नेता के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई रोकी गई हो तो विपक्ष कम-से-कम इसका एक उदाहरण तो दिखाए, ऐसी चुनौती जब फडणवीस देते हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल में और अपने ही विधान मंडल पर नजर डाल लेनी चाहिए। अर्थात मनी लॉन्ड्रिंग के प्रचंड पैसों के साथ कई नेता उनकी पार्टी में कैसे आए और विराजमान हुए, उन्हें ये पता चल जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी में भारी मात्रा में काले धन की आवक हुई है। आपराधिक स्वरूप के व्यवहारों अर्थात PMLA कानून के अनुसार, ‘प्रोसीड ऑफ क्राइम’ से ही यह पैसा उनके पास आ रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल कई नेता गाजे-बाजे के साथ भाजपा में शामिल किए गए। अर्थात इस ‘प्रोसीड ऑफ क्राइम’ में भाजपा के ही हाथ काले हुए। ये स्वीकार कर लिया जाए तो भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ ही PMLA यानी मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। सत्तारूढ़ भाजपा मनी लॉन्ड्रिंग की असली पनाहगाह है। मनी लॉन्ड्रिंग के सभी अपराधी भाजपा में आते हैं और उनके खिलाफ ‘ईडी’ की कार्रवाइयों को तुरंत रोक दिया जाता है, क्या श्री फडणवीस को ये पता नहीं होगा? कोकण के ‘साई रिसॉर्ट’ प्रकरण में सदानंद कदम को बीमार होने के बावजूद ‘ईडी’ ने उठा लिया, लेकिन आई.एन.एस. विक्रांत मामले में लोगों से जुटाए गए पैसे गायब करनेवालों तक ‘ईडी’ नहीं पहुंची और श्री फडणवीस के गृहमंत्री बनते ही उन्होंने जांच बंद करके चोर-लुटेरों को सीधे ‘क्लीन चिट’ दे दी। भ्रष्टाचार को दबाने के ये ज्वलंत उदाहरण हैं। भाजपा सरेआम मनी लॉन्ड्रिंग कर रही है। (POC) अर्थात आपराधिक पृष्ठभूमि से आए लोग और उनके पैसे को पचाकर डकार मार रही है। पूरी भाजपा पर मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा चलना चाहिए।
विपक्ष के जिन नौ नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर दीवार पर सिर लड़ाने का प्रयास किया, उन सभी को यह मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाना चाहिए।

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