संजय राऊत -कार्यकारी संपादक
नया साल आया और चला गया। महाराष्ट्र के किसानों पर बेमौसम बारिश ने कहर बरपाया है। वे बर्बाद हो गए। कैसी गुढी और कैसा तोरण? प्रधानमंत्री रोज एक झूठ बोलते हैं। भ्रष्टाचार में मदद करने का काम दिल्ली से महाराष्ट्र तक चल रहा है। किरण पटेल वैसे हर जगह ही दिख रहे हैं!
मराठी नव वर्ष आया और चला गया। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से तबाह हुए महाराष्ट्र में नया साल मनाया ही नहीं गया। मंगलवार को मैं दिल्ली में था। दिल्ली में भी मूसलाधार बारिश हो रही थी। संसद में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर महाराष्ट्र के शिंदे गुट के सांसद हाथों में छोटी गुढी लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए खड़े थे। महाराष्ट्र के स्वाभिमान की गुढी-तोरण को जिन्होंने उखाड़ दिया, उनकी चौखट पर स्वाभिमान समेटकर खड़े महाराष्ट्र के सांसदों को उस दिन देखा। उस दिन महाराष्ट्र में दो बातें घटित हुर्इं। महाराष्ट्र में विधान भवन की सीढ़ियों पर विपक्षी विधायकों ने प्याज और अंगूर की टोकरियों के साथ डेरा जमाया। बर्बाद हुए किसानों का दर्द उन्हें बयां करना था, लेकिन सुननेवाली सरकार आज दिल्ली और महाराष्ट्र में नहीं है। दूसरी खबर उसी दिन प्रसारित हुई। प्रधानमंत्री की चौखट पर महाराष्ट्र के स्वाभिमान की गुढी लेकर प्रतीक्षा करनेवालों ने संभवत: पढ़ी नहीं होगी। टेक्सटाइल कमिश्नर का जो मुख्यालय १९४३ से मुंबई में था, उसे मुंबई से स्थानांतरित करने का फरमान दिल्ली ने जारी किया। यह महाराष्ट्र को अपमानित करने का एक और प्रयास था। वस्त्र आयुक्तालय को मुंबई से क्यों स्थानांतरित कर रहे हैं? ऐसा प्रधानमंत्री से पूछने की हिम्मत दरवाजे पर गुढी लेकर प्रतीक्षा करनेवाले मराठी सांसदों के पास नहीं थी। मुंबई में एक समय सर्वाधिक कपड़ा मिलें थीं। उनमें से ज्यादातर बंद हो गर्इं। भिवंडी, इचलकरंजी में आज भी कपड़ा उद्योग है। इसे ध्यान में रखते हुए वस्त्रोद्योग मंत्रालय ने अपने आयुक्त का कार्यालय मुंबई में स्थापित किया। मोदी की सरकार ने अब इसे बंद कर दिया। इस पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का खुलासा ऐसा है कि भारी ठहाका ही लगना चाहिए। मुंबई से सिर्फ वस्त्रोद्योग आयुक्त को हटाया और दिल्ली ले गए। कार्यालय यहीं है। महाराष्ट्र पर हुए अन्याय का ये सीधा समर्थन है। मुंबई के महत्व को खत्म करने की यह एक और साजिश है। मुख्यमंत्री शिंदे और उनके लोग महाराष्ट्र के स्वाभिमान की सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन उनका स्वाभिमान प्रधानमंत्री के दरवाजे पर सिर्फ पायदान की तरह पड़ा है।
मोदी क्या करते हैं?
प्रधानमंत्री मोदी जो कहते हैं वो करते नहीं। सत्ता और चुनाव जीतने के लिए वे और उनके लोग झूठ बोलते हैं। विदर्भ का एक किसान दिल्ली में मिला। उन्होंने कहा, ‘विदर्भ में किसानों के बीच आत्महत्या का प्रमाण बढ़ रहा है। उस पर अब ये बेमौसम की बारिश। क्या करें? कैसे जिएं?’
मैंने कहा, ‘मोदी को विदर्भ पर विशेष प्रेम है। वे मदद करेंगे?’
इस पर उस किसान ने कहा, ‘साहेब, प्रधानमंत्री सिर्फ झांसा देकर जाते हैं। २० मार्च, २०१४ को यवतमाल जिले के दाभडी गांव में श्रीमान मोदी साहेब ने ‘चाय पे चर्चा’ का जोरदार कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें कपास उत्पादन पर प्रक्रिया करनेवाले उद्योग शुरू करने का वचन उन्होंने दिया था। आज उस वचन को १० साल होने को हैं, फिर भी विदर्भ और यवतमाल में ऐसा कोई भी उद्योग नहीं आया है, बल्कि ज्यादा ही किसान आत्महत्या करने लगे हैं।’ किसानों की आमदनी डबल करेंगे, ऐसा कहकर फंसाने वाली सरकार का ये धंधा है। देश का कृषि मंत्रालय किसानों के लिए वास्तव में क्या कर रहा है, इसका एक छोटा-सा उदाहरण देता हूं। कृषि मंत्रालय के गत वर्ष के बजट में कृषि और किसानों के लिए मंजूर किए गए ४४,००० करोड़ रुपए सरकार खर्च नहीं कर पाई। पैसा सरकारी खजाने में वापस चला गया। किसान हताश होकर मदद, अनुदान के लिए क्रंदन कर रहे हैं। किसान सड़कों पर उतरे हैं और सरकार किसानों के लिए मंजूर पैसे खर्च नहीं कर पाई। यह हमारे किसानों के साथ सीधा धोखा है।
किरण पटेल और अन्य
दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक धोखाधड़ी का धंधा जोरों पर है। धोखा देनेवालों को राजनीतिक और पुलिस की सुरक्षा आसानी से मिल जाती है। इसके कुछ उदाहरण देखें।
• किरण पटेल का मामला अब पूरी दुनिया में पहुंच गया है। इस पटेल ने हमारी सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नाम पर इसने जालसाजी का गोरखधंधा शुरू किया और प्रधानमंत्री कार्यालय के विशेष अधिकारी के तौर पर हर जगह ‘प्रोटोकॉल’ के साथ सर्वत्र घूमने लगा। सेना की विशेष सुरक्षा में वो भारतीय सीमा तक गया। पांच सितारा प्रतिष्ठा हासिल की। राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ यह बेईमानी एक गुजराती ‘ठग’ प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर कर रहा था और गृहमंत्रालय को इसकी भनक तक नहीं थी। इस किरण पटेल का गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय में और भाजपा के वरिष्ठ हलकों में उठना-बैठना था। वो कई बड़े काम उसी के दम पर करा रहा था। यह ठगबाजी मोदी के नाम पर ही चल रही थी। इसलिए उसे खुला मैदान मिल गया। ये किरण पटेल अमदाबाद के नवरंगपुरा क्षेत्र में ‘श्द्ग्fग् कॉन्सेप्ट प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से एक फर्म चला रहा था। इस कंपनी की स्थापना २०१६ को उसने की। वो और उसकी पत्नी इसमें डायरेक्टर बने। कंपनी की ‘ब्रांडिंग’ करते समय उसने अंग्रेजी में श्द्ग्fग् को ‘श्द्ग्’fग् इस तरह से पेश किया। इस कंपनी ने मोदी के नाम पर कई उत्पादों की मार्वेâटिंग की। किरण पटेल भाजपा और संघ का कार्यकर्ता था।
• मेहुल चोकसी और श्री मोदी का याराना प्रसिद्ध है। चोकसी का गुणगान मोदी ने कई बार किया। पंजाब नेशनल बैंक को १४ हजार करोड़ रुपए का चूना लगाकर ये मेहुल भाई भाग गया। एंटीगुआ देश में वह नागरिकता खरीदकर रह रहा है। मोदी की कृपा से वो अपना जीवन आनंदपूर्वक व्यतीत कर रहा है। अब उसी कृपा से उसकी खुशी में वृद्धि हुई है। मेहुल भाई के खिलाफ ‘इंटरपोल’ द्वारा जारी की गई ‘रेड
कॉर्नर नोटिस’ वापस ले ली गई है। भारत सरकार की अनुमति के बिना यह संभव नहीं था। आखिरकार, व्यापारी ही व्यापारी की मदद करता है। ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची से इंटरपोल ने मेहुल चोकसी का नाम हटा दिया। भारत की अनुमति के बिना यह संभव ही नहीं है।
• महाराष्ट्र में दादा भुसे नामक मंत्री और राहुल कुल नामक भाजपाई विधायक ने चीनी मिलों के माध्यम से किसानों के पैसे हड़प लिए। भुसे ने एग्रो मिल के नाम पर किसानों से १७५ करोड़ २५ लाख जमा किया। उसका बाद में क्या हुआ? राहुल कुल ने तो दौंड की भीमा सहकारी चीनी मिल में कम-से-कम ५०० करोड़ का घोटाला किया और उसे ऑडिटरों ने पकड़ लिया। किसान ये उनके ही नेताओं द्वारा लूटे जाते हैं और उन नेताओं को बाद में राजनीतिक संरक्षण मिलता है। उपमुख्यमंत्री श्री फडणवीस और उनके लोग विपक्ष पर जोर देकर आरोप लगाते हैं। उनके पीछे जांच तंत्र लगाते हैं, लेकिन खुद पर कुछ आया कि उसे केवल विरोधियों का हवाई वार करार दिया जाता है। महाराष्ट्र में वर्तमान में यही चल रहा है।
उपमुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती अमृता फडणवीस को ‘ब्लैकमेल’ करनेवाली एक पैâशन डिजाइनर लड़की को तत्काल गिरफ्तार किया गया। ‘बुकी’ का काम करनेवाले उसके पिता को गुजरात से गिरफ्तार किया गया। इस पूरे प्रकरण की गहराई में वास्तव में कौन-सा पानी रिस रहा है, इसका पता लगना चाहिए, लेकिन श्री राहुल कुल, दादा भुसे, किरीट सोमैया के घोटाले के मामलों को मुख्यमंत्री ने अंधेरे में ही रखा। महत्वपूर्ण मतलब श्रीमान गौतम अडानी ये आज भी सरकारी कवच कुंडल लेकर सुरक्षित दुनिया में हैं। महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार भ्रष्ट मार्ग से आई। दिल्ली की सरकार भ्रष्ट उद्योगपतियों की मदद कर रही है। यूरोप और अमेरिका में खालिस्तानी समर्थकों को भारतीय दूतावास पर हमला करके सीधे तिरंगे को ही नीचे उतारते हुए हमने देखा।
फिर भी देश मजबूत हाथों में है ऐसा हम मान लें क्या?
महाराष्ट्र प्रधानमंत्री की चौखट पर नववर्ष की गुढी लेकर खड़ा है। ये इंतजार करना कब समाप्त होगा?