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रोखठोक : के.सी.आर. का भी ‘घाती’ मॉडल : महाराष्ट्र में पैसों का नया खेल

संजय राऊत- कार्यकारी संपादक

महाराष्ट्र की राजनीति में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपना काफिला घुसा दिया है। कल तक यही के.सी.आर. घोर भाजपा विरोधी के तौर पर खड़े थे। मोदी के विरोध में वङ्कामूठ तैयार करने के लिए वे देशभर में घूमे। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे व शरद पवार से मिलकर गए। उन्हीं महाशय ने अब यू-टर्न ले लिया है। वो महाराष्ट्र में घूम रहे हैं भाजपा की मदद के लिए ही!

महाराष्ट्र की राजनीति किसी दौर में प्रगतिशील विचारों का मजबूत गढ़ हुआ करती थी। बाहरी विचारों के कीड़े यहां नहीं घुसते थे। अब महाराष्ट्र की अवस्था ढहते किले की तरह हो गई है। अमित शाह से लेकर तेलंगाना के के. चंद्रशेखर राव तक जो भी उठता है, वो महाराष्ट्र की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर कब्जा करने की ख्वाहिश रखता है। यह मराठी राज्य के लिए खतरे की घंटी है। तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपनी पार्टी के विस्तार के लिए महाराष्ट्र की धरती को चुना। मराठवाड़ा, विदर्भ, प. महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र में उनकी पार्टी का प्रचार अभियान बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है। पैसों के मामले में वे महाराष्ट्र के शिंदे गुट व भाजपा को टक्कर दे रहे हैं। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने एक बयान दिया है कि ‘चंद्रशेखर राव ने हमको महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का ‘ऑफर’ दिया है!’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर कौन बैठना चाहता है, ये अब श्री राव तय करने लगे हैं। प्रकाश आंबेडकर व राव में भी मेल-मुलाकात हुई। महाराष्ट्र में उपेक्षित कई लोग के.सी.आर. की पार्टी में शामिल हुए। के.सी.आर. चार दिन पहले तेलंगाना से ६०० गाड़ियों का काफिला लेकर महाराष्ट्र में आए। पंढरपुर में उन्होंने श्री विठोबा माऊली का दर्शन किया। पंढरपुर के एक युवा नेता भालके ने के.सी.आर. की पार्टी में प्रवेश किया। उस कार्यक्रम में राव ने जो भाषण दिया, वो तेलंगाना के किसानों की सुख-समृद्धि का बखान करने वाला था। जो तेलंगाना के लिए संभव हुआ, वो महाराष्ट्र के लिए क्यों नहीं संभव होना चाहिए? ऐसा सवाल उन्होंने किया!
‘वर्षा’ पर बैठक!
मुख्यमंत्री पद पर श्री उद्धव ठाकरे के रहने के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के.सी.आर. ‘वर्षा’ बंगले पर आए थे और उन्होंने श्री ठाकरे के साथ चर्चा की थी। वर्षा बंगले के लॉन में राव व उनके सहयोगियों के लिए भोजन का प्रबंध किया गया था। राव ने उस समय तेलंगाना में किसानों की स्थिति उन्होंने वैâसे सुधारी, उन उपाय-योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने फसल बीमा योजना से लेकर अन्य सभी योजनाओं के बारे में बताया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि देश में सभी प्रमुख दलों को मोदी के सर्वसत्तावाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए और इसकी शुरुआत महाराष्ट्र से हो इसलिए हम यहां आए। हमारी कोई भी बड़ी महत्वाकांक्षा नहीं है, लेकिन वर्ष २०२४ में दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हो इसके लिए हम देशभर में घूमेंगे, ऐसा भी उन्होंने कहा था और उनकी बातों में ईमानदारी थी। राव, महाराष्ट्र दौरे के दौरान शरद पवार से भी मिले। इसके बाद में वे नीतिश कुमार, केजरीवाल, ममता बनर्जी से भी मिले। लेकिन उस दौरान विपक्षी आघाड़ी के लिए ताल ठोकते हुए खड़े रहनेवाले के.सी.आर. आज दूसरे छोर पर खड़े हैं और अपरोक्ष रूप से वे मोदी की ही मदद कर रहे हैं।
राष्ट्रीय पार्टी क्यों?  
तेलंगाना राष्ट्र समिति यह राव की मूल क्षेत्रीय पार्टी है। राव ने इसे ‘भारत राष्ट्र समिति दल’ में तब्दील कर दिया। क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखना है। उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता क्या थी? यह एक रहस्य ही है। तेलंगाना में लोकसभा की ११ सीटें हैं। राव की पार्टी ने ये सभी सीटें जीत लीं, तो भी राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बढ़ जाएगा, लेकिन तेलंगाना को हाशिए पर छोड़कर राव महाराष्ट्र में घुस गए। भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में हालात दिन-प्रतिदिन कठिन होते दिख रहे हैं। एकनाथ शिंदे के गुट का बोझ अर्थात कंधे पर पिशाच लेकर घूमने जैसी ही मुश्किल अवस्था है। वर्तमान में भाजपा महाराष्ट्र में ऐसी ही अवस्था से गुजर रही है। शिवसेना, कांग्रेस, राष्ट्रवादी ऐसे तीन दलों की महाविकास आघाड़ी लोकसभा में ४८ में से लगभग ३८ से ४० सीटें जीतेगी और विधानसभा की १७०-१७५ सीटों पर जीत हासिल करेगी। इस मजबूत स्थिति को तोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने ‘के.सी.आर.’ को महाराष्ट्र में घुसाया है, ये अब साफ होने लगा है। राव ने महाराष्ट्र की राजनीति में पैसों की बारिश शुरू कर दी है और उस बारिश में भीगने के लिए कई लोग आंखों की छतरियों को बंद करके उनकी पार्टी में गए। कल महाराष्ट्र में के.सी.आर. की पार्टी, ओवैसी व अन्य छोटे दलों की नई आघाड़ी पैदा हुई तो हैरानी नहीं होगी। महाराष्ट्र की राजनीति में पैसों का बांध फूट गया है तथा लोगों को मानो यही चाहिए।
तस्वीर सही नहीं
के.सी.आर. तेलंगाना में किसानों की समृद्धि की जो तस्वीर महाराष्ट्र में तैयार कर रहे हैं, वो उतनी सही नहीं है। तेलंगाना राज्य की आर्थिक स्थिति गिरी है। तेलंगाना में बीते कुछ ही महीनों में ६० से अधिक सरपंचों ने खुदकुशी कर ली है। के.सी.आर. सरकार ने विकास कार्यों के लिए दबाव बनाया। कई सरपंचों ने व्यक्तिगत कर्ज लेकर इन विकास कार्यों को आगे बढ़ाया। लेकिन बाद में इन सरपंचों के बिल ही मंजूर नहीं हुए और कर्जदार बन चुके सरपंचों पर आत्महत्या करने की नौबत आ गई। पंचायती राज के लिए केंद्र द्वारा भेजी गई ३५ हजार करोड़ की निधि तेलंगाना सरकार द्वारा राज्य के अन्य कामों के लिए घुमाए जाने से ग्राम पंचायत कंगाल हो गई व सरपंचों पर भूखे मरने और आत्महत्या करने की नौबत आ गई। कुछ सरपंचों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके ‘कारुण्य मरणम्’ मतलब दया मृत्यु की मांग की। तेलंगाना राज्य में जीना कठिन होने की पीड़ा उन्होंने न्यायालय में रखी। तेलंगाना की सरकार और के.सी.आर. की पार्टी के लोग ग्राम पंचायतों पर दबाव डालकर काम करने को मजबूर करते हैं। सरकार की कई योजनाओं को ग्राम पंचायतों के माध्यम से साकार कराने के लिए जोर लगाते हैं, लेकिन उस पर हुए खर्च के बिलों को मंजूर नहीं करते हैं। ग्राम पंचायतों में कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। अंतत: सरपंचों को साहूकारों से कर्ज लेकर ग्राम पंचायत चलानी पड़ती है। इसी आर्थिक बोझ के कारण कई सरपंचों ने आत्महत्या कर ली। कलेक्टर और तहसीलदारों की चौखट पर जाकर आत्महत्या करने की घटनाएं भी घटित हुई हैं। उसी तेलंगाना की सरकार अपना ‘मॉडल’ लेकर महाराष्ट्र में आए हैं, इस पर हैरानी होती है।
पैसा कहां से
आता है? 
दिल्ली सरकार के शराब घोटाले के तार तेलंगाना में ‘लिकर माफिया’ तक पहुंचे व इसमें के.सी.आर. की बेटी को ‘ईडी’ ने पूछताछ के लिए बुलाया। तभी से के. चंद्रशेखर राव ठंडे पड़ गए और उन्होंने मूल भूमिका से ‘यू टर्न’ ले लिया। भारतीय जनता पार्टी व मोदी के कामकाज पर टिप्पणी करना, उन्होंने बंद कर दिया। अब उन्होंने कांग्रेस को अपना शत्रु ठहराया है। महाराष्ट्र में उन्होंने पार्टी विस्तार का कार्यक्रम शुरू किया है, तो भाजपा को मदद मिल सके, इसलिए। इसके लिए वे जमकर पैसा बहा रहे हैं। यह पैसा कहां से आ रहा है? वाई.एस.आर. तेलंगाना पार्टी की अध्यक्ष शर्मिला ने कहा ‘भ्रष्ट मार्ग से पैसा जुटाया जा रहा है। कलेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई योजना देश में सबसे बड़ा घोटाला है और इस योजना में कम से कम ७० हजार करोड़ रुपयों की लूट हुई है। लेकिन भाजपा और केंद्र सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। कलेश्वरम् सिंचाई योजना की लागत वैâसे बढ़ाई गई और उसमें ‘कमीशन’ कहां घुमाया गया, ये खुला रहस्य है। वही कमीशन अब महाराष्ट्र में घुमाकर भाजपा की मदद के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।’ शिंदे व के.सी.आर. की कार्य पद्धति में यही समानता है। मोदी ने भोपाल में भाषण दिया। पटना में जुटे विपक्ष का संयुक्त घोटाला २० लाख करोड़ का है, ऐसा वे बोले। इस बीस लाख करोड़ में उन्होंने तेलंगाना व महाराष्ट्र में घातियों के घोटाले को पकड़ा नहीं होगा। क्योंकि यह रकम भाजपा को स्थापित करने के लिए लगाई गई। तेलंगाना मॉडल महाराष्ट्र में लेकर आनेवाले के.सी.आर. संघर्ष करके आगे आए नेतृत्वकर्ता हैं। उनकी काबिलियत और राज-काज की उनकी क्षमता पर संदेह व्यक्त करने की कोई वजह नहीं है। लेकिन पहले से ही बिगड़ते जा रहे महाराष्ट्र को और अधिक बिगाड़ने में वे योगदान दे रहे हैं। पैसों की सियासत ये वेश्याओं की राजनीति की तरह होती है, ऐसा दादा धर्माधिकारी ने कहा था। के.सी.आर. ने ये सब टालना चाहिए। राष्ट्रीय राजनीति में आने की उनकी दिशा चुक गई है।

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