मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : वास्तव में क्या है? ‘द केरला स्टोरी'!

रोखठोक : वास्तव में क्या है? ‘द केरला स्टोरी’!

संजय राऊत -कार्यकारी संपादक

देश की राजनीति में कब कौन सा ‘सिक्का’ चलाया जाएगा, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। पहले ‘कश्मीर फाइल्स’ और अब ‘केरला स्टोरी।’ देश की राजनीति में घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। राजनीति में धर्म के नाम पर ईर्ष्या चरम पर पहुंच गई है। ऐसे समय में ‘केरला स्टोरी’ की राजनीति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है!

राष्ट्रीय पटल पर क्या होगा, इसका कोई ठिकाना नहीं है। जब तक यह लेख प्रकाशित होगा, तब तक काफी उथल-पुथल मच चुकी होगी, महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने ‘रोखठोक’ पैâसला सुनाया है। कानूनविद प्रा. उल्हास बापट का इस पैâसले का विश्लेषण करनेवाला लेख इसी पृष्ठ पर प्रकाशित किया है, जो कि सब कुछ कह देता है। शिंदे और फडणवीस कुछ भी कहें, लेकिन उनकी सरकार को ही अयोग्य ठहराने वाला पैâसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया। रेलवे में एक दुर्घटना हुई तो इस वजह से लाल बहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। अदालत द्वारा सवाल खड़े करने पर केंद्रीय मंत्रियों, राज्य के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ता है, लेकिन महाराष्ट्र में सरकार के गठन की पूरी प्रक्रिया को ही असंवैधानिक घोषित करने के बावजूद शिंदे और फडणवीस कुर्सी से चिपके हुए हैं। यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के महाराष्ट्र का अपमान है। कर्नाटक का पैâसला भी इसी समय तक आ गया होगा। इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ का मामला सुर्खियों में है। कर्नाटक का चुनाव हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर लड़ा जा सके, इसके लिए भाजपा ने बजरंगबली से लेकर केरल स्टोरी तक अनेक पात्रों को मैदान में उतार दिया, ये उचित नहीं है!

शाहिरों से फेरी नजर ‘द केरला स्टोरी’ क्या है?
केरल में ३२ हजार लड़कियों को ‘लव जिहाद’ का शिकार बनाकर उनका धर्मांतरण कराया गया। इसके बाद उन्हें ‘आइसिस’ जैसे आतंकी संगठन से जोड़कर इस्लामिक देशों में लड़ने के लिए भेज दिया गया। इन सभी लड़कियों को अफगानिस्तान, सीरिया, ईरान, इराक जैसे देशों में भेजा गया। उन्हें आतंकवादी के रूप में प्रशिक्षित किया गया था। ऐसी ‘केरला स्टोरी’ की कहानी है। विवेक अग्निहोत्री ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म बनाई। उन्होंने कश्मीर में हिंदू पंडितों पर हो रहे अत्याचार की वीभत्स तस्वीर पेश की। भाजपा, मोदी-शाह ने उस फिल्म का इस्तेमाल भाजपा के प्रचार के लिए किया। मोदी सहित सभी झुंड बनाकर ‘कश्मीर फाइल्स’ देखने गए। महाराष्ट्र में श्री देवेंद्र फडणवीस ने शाहीर साबले की जीवनी पर बनी फिल्म ‘महाराष्ट्र शाहीर’ देखी कि नहीं? लेकिन उन्होंने गाजे-बाजे के साथ ‘प्रोपोगेंडा’ करते हुए ‘द केरला स्टोरी’ देखी और महाराष्ट्र के निर्माण के लिए वन-वन भटकने वाले, डफली बजाकर महाराष्ट्र को जगाने वाले शाहिरों से मुंह मोड़ लिया। मुख्यमंत्री शिंदे सातारा से हैं, शाहिर साबले जैसे महान विभूति ने सातारा में जन्म लिया और महाराष्ट्र के निर्माण में उनका बहुमूल्य योगदान था। शिवसेना के गठन और विकास में भी वे थे। इसकी जानकारी सातारा के मुख्यमंत्री शिंदे को नहीं होगी, लेकिन आज भाजपा के लोग ‘केरल स्टोरी’ का तुनतुना बजाते घूम रहे हैं।

नई कश्मीर फाइल
‘द केरला स्टोरी’, ‘कश्मीर फाइल्स’ की तरह विवादित ठहराई गई। यह संघ का सीधा एजेंडा है। गुजरात दंगों पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म पर भारतीय जनता पार्टी ने बैन लगा दिया, लेकिन इसी समय ‘कश्मीर फाइल्स’, ‘केरला स्टोरी’ जैसी फिल्मों का वे प्रचार कर रहे हैं। फिल्म का कथानक क्रूर है। भारत से ‘आइसिस’ में शामिल हुई लड़कियां कितनी नृशंसता के साथ लोगों का कत्ल करती हैं, गला काटती हैं, उनकी अंतड़ियां निकालती हैं और इस सबको हिंदू-मुस्लिम का रंग देकर सियासी दल हिंदुत्व की गर्जना करता है। मूलत: केरल की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या सच में केरल में हिंदू और ईसाई लड़कियां इस्लाम का शिकार बन रही हैं? ३२ हजार हिंदू और ईसाई लड़कियों को ‘आइसिस’ में भर्ती किया गया, क्या इसमें सच्चाई है? क्या ‘लव जिहाद’ के झांसे में फंसी निरपराध लड़कियों को बहला-फुसलाकर अमानवीय हत्यारा बनने के लिए मजबूर किया गया? क्या इराक, सीरिया, अफगानिस्तान के रास्ते आगे बढ़ी ‘केरला स्टोरी’ वास्तव में सच्चाई है? यह सब संभ्रम है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एकदम साफ तौर पर कहा कि यदि कोई कह रहा है कि ३२ हजार महिलाओं ने इस्लाम कबूल किया और आतंकी बन गर्इं, तो वे सबूत सामने लाएं और मुझसे एक करोड़ रुपए का इनाम ले जाएं। क्या इस चुनौती को कोई स्वीकार करेगा?

सच्ची कहानी, निश्चित तौर पर?
निर्देशक सुदीप्तो सेन का कहना है कि ‘केरल स्टोरी’ सच्ची घटना पर आधारित है। सच होगा भी तो इसे इतने अमानवीय ढंग से वैâसे दिखाया जा सकता है? ‘कश्मीर फाइल्स’ में भी वही नृशंसता थी। ‘केरल स्टोरी’ के डायरेक्टर का दावा है, ‘३२ हजार लड़कियों का लव जिहाद और धर्म परिवर्तन हुआ। हम अपनी भूमिका पर दृढ़ हैं।’ सुदीप्तो सेन ने साक्ष्य के रूप में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमान चांडी के एक साक्षात्कार का हवाला दिया। एक साक्षात्कार में ओमान चांडी ने कहा था कि केरल में हर साल २८००-३२०० लड़कियां इस्लाम कबूल करती हैं। बीते १० वर्षों में यह आंकड़ा ३२ हजार के पार पहुंच गया है। इन लड़कियों को आतंकवाद की ओर मोड़ा गया, इसका खुलासा वैâसे हुआ? अफगानिस्तान में धर्मांध तालिबान का शासन दोबारा आया, तो वहां के जेलों में चार भारतीय महिलाएं वैâद मिलीं। जांच में खुलासा हुआ कि इन चारों महिलाओं को ‘आइसिस’ में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भेजा गया था। ‘आइसिस’ में शामिल होने के लिए ये चारों महिलाएं अपने पतियों के साथ खुरासान प्रांत पहुंचीं, लेकिन उनके रिश्तेदारों ने भारत सरकार से विनती की थी कि उनकी बेटियों को ‘आइसिस’ के चंगुल से छुड़ाकर भारत लाया जाए, लेकिन भारत सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। उसके बाद उन्हें अफगानिस्तान के जेलों में रहना पड़ा।
ये ‘केरला स्टोरी’ की सार कथा है!
देश में सियासी उथल-पुथल की आशंका है। सरकारें आएंगी और सरकारें गिरेंगी। इन तमाम हंगामों के बीच ‘केरल की कहानी’ सच है या झूठ, यह सवाल अनुत्तरित नहीं रहना चाहिए।
‘कश्मीर फाइल्स’ भाजपा की प्रोपोगेंडा फिल्म थी। ‘केरल स्टोरी’ का मतलब ‘कश्मीर फाइल्स’ का ही अगला चरण।
लेकिन इस सबमें राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सद्भावना कहीं खो गई?

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