मुख्यपृष्ठखबरेंरौबीलो राजस्थान : अ‍ेक गधी री चेतावणी

रौबीलो राजस्थान : अ‍ेक गधी री चेतावणी

बुलाकी शर्मा राजस्थान

मिनख जमात‌ री आ भूंडी आदत रैई है कै बो खुद नै सिरै मानै अर मादा जमात साथै दुभांत राखै। आ जमात इत्ती नुगरी है कै लुगायां नै ई नीं, सगळी मादा जमात नै कीं नीं गिणै। म्हां गध्यां साथै गधा तो पखापखी करै ई है, अ‍े मिनख ई लारै कोनी। नामी लिखारा कृश्न चंदर‌‌ तकात‌ म्हांनै बिसरायनै गधां नै इज्जत देंवता‌‌‌ उपन्यास लिख्या। बांरी आतम कथा लिखी। शरद जोशी जिसा ठावा व्यंग्यकार ई गधां माथै नाटक लिख्यो, म्हे निजर कोनी आई।
मिनखां जूण‌‌ सूं म्हे भोत दुभांत सह रैयी हां। मध्य प्रदेश रै सतना जिले में मंदाकिनी नदी रै तट माथै जिको मेळो भरीजै, बो गधां रो मेळो वैâइजै, जद वैâ बीं मेळै में म्हे मादावां ई हुवां। मुगल शासन काल में औरंगजेब ओ मेळो सरू करियो। साढ़ी तीन सौ सालां सूं म्हांरै अस्तित्व नै नकारियो जा रैया है। ओ ई हाल राजस्थान में जयपुर कनै अ‍ेक गांव में पांच सौ बरसां यूं लागतै मेळै री है। बीं में गधा-गधी दोनूं सामल हुवै, पण वैâइजै- गधां रो मेळो। माफ करज्यो, लुगायां ई म्हां मादावां‌‌ रो ध्यान कोनी राखै। शीतला अस्टमी नै बे शीतला माता रो पूजन करै, तद बे माता री सवारी गधे रो ई पूजन करै।
म्हांरी उपेक्षा करणियां नै म्हांरी लायकी रो ध्यान कोनी है। बे भूलग्या वैâ मिस्त्र देश री महाराणी क्लियोपेट्रा म्हांरै दूध सूं सिनान करिया करता हा जणै ई बां री चामड़ी इत्ती मुलायम ही वैâ नख लगायां रगत झरण लागतो। दिखणादै राज्यां में म्हांनै पाळण लाग रैया है। गुजरात में अ‍ेक चोखी डिग्रियां‌ लियोड़ो मोट्यार डंकी मिल्क फॉर्म खोलनै महीने में दो-ढाई लाख रो मुनाफो कमा रैयो है। ‘गऊ माता’ रै दूध सूं घणो महंगो म्हांरो दूध बिवैâ। पांच-छव हजार रुपिया लीटर भाव है। म्हांरै दूध रो पावडर एक लाख रुपया किलो रै अड़ै-गड़ै है। म्हांरो दूध टाबरां सारू ई फायदेमंद रैवै अर बूढ़ा-बडेरा अर बेमार लोगां सारू ई। साबण, क्रीम, दवायां, ब्यूटी प्रॉडक्ट आद में ई ओ काम में लिरीजै। गधा भार ढोवै, म्हे ई काम साथै लोगां नै हस्ट-पुस्ट‌ अर निरोगी ई राखां।
मिनखां, खासकर लेखकां नै चैता‌ रैई हूं वैâ मादावां साथै दुभांत‌‌ राखणी बंद करो अर म्हांरै महताऊ योगदान नै‌ ध्यान‌ में राखतां ईमानदारी सूं गधी री आतमकथा लिखो। ई चेतावणी नै जे आप गंभीरता सूं नीं लीवी तद म्हांरी लात्यां री मार सहन करण सारू त्यार रैया।
अबै परापखी सहन कोनी करांला।

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