रामदिनेश यादव / मुंबई
केंद्र की मोदी सरकार मुंबई को दूध देने वाली गाय समझती है। वह मुंबई का हमेशा दोहन ही करती आई है, लेकिन उसके विकास के लिए चारे के नाम पर कुछ नहीं देती है। कल शनिवार को लोकसभा में पेश हुए केंद्रीय बजट २०२५ में केंद्र सरकार का मुंबई के प्रति कुछ ऐसा ही सौतेला व्यवहार देखने को मिला। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट में मुंबई को सीधे तौर पर कुछ योजनाओं में करीब ३ हजार करोड़ रुपए की भीख दी गई हैं, जबकि सामान्य तौर पर मुंबई हर वर्ष केंद्र सरकार को प्रत्यक्ष रूप से ५ लाख करोड़ और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग १३ से १५ लाख करोड़ रुपए का टैक्स देती है। इस वर्ष बजट के पिटारे से सरकार ने मुंबई को सिर्फ धोखा दिया है, इन शब्दों में मुंबईकरों ने मोदी सरकार के इस बजट पर बरसते हुए अपने गुस्से का इजहार किया। देश को लगभग ३७ प्रतिशत कर देने वाली मुंबई को इतना कम हिस्सा दिए जाने से मुंबईकर नाराज हैं।
मुंबईकरों के साथ अन्याय
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र और मुंबई के लिए कुछ खास घोषणाएं नहीं की हैं। ५० लाख ६५ हजार करोड़ रुपए से अधिक के बजट में मुंबई को नजरअंदाज करते हुए मुंबईकरों के साथ अन्याय किया है।
एक तिहाई देती है मुंबई
मुंबईकरों का कहना है कि इतने विशाल शहर मुंबई से केंद्र सरकार देश के कुल कर का लगभग एक-तिहाई हिस्सा वसूलती है, लेकिन जब देने की बारी आई तो सरकार ने भीख की तरह मात्र ३ हजार करोड़ की सीधी योजना देकर मुंबईकरों को पीछे धकेल दिया है।
पड़ोसी राज्यों को ज्यादा मिला
बजट के बाद राज्य की महायुति सरकार ने केंद्र सरकार की पीठ थपथपाई है और महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान को ज्यादा दिए जाने के बावजूद वह कुछ नहीं बोल पाई है।
मुंबई को वित्त मंत्री ने थमा दिया झुनझुना!
देश में सबसे ज्यादा टैक्स देनेवाला शहर मुंबई को इस बार केंद्रीय बजट में नजरअंदाज किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई को बजट में झुनझुना थमा दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, मुंबई को बजट में सीधे एक मुंबई मेट्रो के लिए १,६७३.४१ करोड़, मुंबई में इंटीग्रेटेड ग्रीन अर्बन मोबिलिटी प्रोजेक्ट के लिए ६५२.५२ करोड़ तथा आर्थिक क्लस्टर कनेक्टिविटी कार्य के लिए १,०९४.५८ करोड़ रुपए आवंंटित किए गए हैं। भाजपा नेताओं की मानें तो अप्रत्यक्ष रूप से मुंबई की झोली में इससे अधिक निधि आवंंटित की गई है। ये पैसे अलग-अलग चरण में आने की वजह से बंट जाएंगे। जो निर्धारित है, वास्तव में उससे कम खर्च किया जाता है। कोई न कोई वजह से निधि का पूरा उपयोग संभव नहीं हो पाता है। पिछले साल इससे अधिक बजट मुंबई के लिए आबंटित किया गया था।
नाराज लोगों ने जताई चिंता
कांदिवली के रहनेवाले रमेश पाल का कहना है कि टूरिज्म और फिल्म इंडस्ट्री से हजारों परिवारों के घरों में चूल्हा जलता है। इसके बावजूद मुंबई को केंद्र के बजट से उतना फंड नहीं मिलता है, जितना इसे मिलना चाहिए था। हालांकि, अब रवैया बदला है और केंद्र सरकार मुंबई के साथ ही महाराष्ट्र को भी पैसे दे रही है, लेकिन क्या मुंबई और महाराष्ट्र के लोग इससे खुश हैं?
केंद्र में मुंबई का हिस्सा
१) जीडीपी में १३.१६ फीसदी
२) औद्योगिक उत्पादन में २५ फीसदी
३) समुद्री व्यापार का ७० फीसदी
४) पूंजीगत लेन-देन में ७० फीसदी
बड़े भाई के साथ सौतेला व्यवहार
अंधेरी में रहनेवाले सुभाष यादव बताते हैं कि भारत के लिए मुंबई बड़े भाई के जैसा है। यह एक कमाने वाला भाई है, जो पूरे देश को साथ लेकर चल रहा है। मगर इसके साथ केंद्र सौतेला व्यवहार कर रहा है। चेंबूरवासी नरेश जाधव का कहना कि मुंबई से जो पैसा जाता है, वो आज की तारीख में यहां नहीं आ रहा है। अन्य लोगों ने कहा कि फडणवीस-शिंदे के कार्यकाल में जो डेवलपमेंट हुए हैं, वो बेकार लग रहा है। कुछ लोग बता रहे हैं कि अब मुंबई को उसका पैसा वापस मिल रहा है और सरकार उसे लोगों के हित में खर्च कर रही है।
आयकर छूट का नहीं दिखा असर निर्मला के बजट में डूबा बाजार!..
निवेशकों के `२७,००० करोड़ डूबे
कल शनिवार को केंद्रीय बजट के दौरान शेयर बाजार के विशेष सत्र में बेंचमार्क इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त और गिरावट के बीच उतार-चढ़ाव देखने को मिला। चार सत्रों की हल्की तेजी के बाद बाजार गिरने लगा। इसके बाद इसमें ठहराव आ गया। जानकारों का मानना है कि १४ प्रमुख शेयरों के भाव में गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों के २७,००० करोड़ रुपए डूब गए। इससे साफ है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट का बाजार पर अच्छा असर नहीं हुआ है और आयकर छूट का भी असर नहीं दिखा।
बजट भाषण खत्म होते ही बाजार हुआ धड़ाम!
कल लोकसभा में जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण पढ़ना शुरू किया तो बाजार की चाल ठीक-ठाक थी। पर भाषण खत्म होते ही बाजार धड़ाम से गिर पड़ा। इससे निवेशकों में बेचैनी दिखनी शुरू हो गई। इसके बाद बाजार सेंसेक्स ने कई बार ऊपर-नीचे हिचकोले खाए और आखिर में सपाट बंद हुआ। फिर भी निवेशकों को झटका दे गया।
जानकारों के अनुसार, खपत से जुड़े क्षेत्रों में बढ़त ने नुकसान को सीमित करने में मदद की। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती के कारण फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स जैसे क्षेत्रों में ३.१ फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि ऑटो सेक्टर में २.१ फीसदी की वृद्धि हुई। मंत्री निर्मला सीतारमण ने २०२५-२६ का बजट पेश किया।