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कूनो में मचा बवाल : मोदी का ‘प्रोजेक्ट चीता’ खतरे में! …३५ चीता ट्रैकर्स ने छोड़ा काम ‘जीव हत्या’ कराने से हैं नाराज

सामना संवाददाता / भोपाल 
पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ‘प्रोजेक्ट चीता’ बड़े जोर-शोर से शुरू किया गया था। इसके तहत विदेश से चीता लाकर एमपी के कूनो में छोड़े गए थे, लेकिन अब मोदी का ‘प्रोजेक्ट चीता’ खतरे में आ गया है। बताया जा रहा है कि यहां काम करनेवाले कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने यह कह कर आपत्ति जताई है कि उनसे जीव हत्या कराई जा रही है।
क्या कहते हैं कर्मी?
बताया जाता है कि चीता ट्रैकर्स पिछले ७ दिनों से कूनो नेशनल पार्क में हंगामा कर रहे हैं। करीब ३५ से ज्यादा नौजवान धरना प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं। इनका कहना है कि वह कसाई नहीं हैं, हम जीव हत्या नहीं कर सकते हैं। नेशनल पार्क प्रबंधन हमसे जीव हत्या करवाता है, जिंदा बकरों को काटने के लिए कहता है, मांस के टुकड़े काटने को कहता है, हम ये काम नहीं करेंगे। हमारा काम ठेका के मुताबिक चीतों की ट्रैकिंग करना था। हमें चीता ट्रैकिंग के अलावा और कोई काम दिया जाता है तो यह ठेका का उल्लंघन है।
मुख्यमंत्री ने नहीं सुनी बात
कर्मियों का कहना है कि ३५ से ज्यादा यह नौजवान मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यालय पहुंचकर उनसे मिलने की भी कोशिश कर चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिलहाल, ‘चीता ट्रैकर्स’ के काम छोड़ देने के कारण चीता ट्रैकिंग का काम प्रभावित हो रहा है और चीतों को बाड़े में रखने के लिए प्रशासन और प्रबंधन मजबूर है। ऐसे में चीता संवर्धन को लेकर भी सवाल उठ रह हैं।
प्रोजेक्ट को लेकर उठ चुके हैं सवाल
कूनो नेशनल पार्क में जिस तरह से चीतों का रहन-सहन है, उसको लेकर कई बार सवाल भी उठ चुके हैं। नामीबिया से भारत लाए गए चीतों को लेकर यहां जिस तरह से रखा गया है उसको लेकर जर्मन शोधकर्ता पहले ही कूनो नेशनल पार्क की क्षमता को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

कई चीते तोड़ चुके हैं दम 
कूनो नेशनल पार्क में जब से चीतों को लाया गया है, तब से इनकी संख्या को लेकर आंकड़े ऊपर-नीचे होते रहते हैं। कुछ चीतों ने इस इलाके को कबूल कर लिया तो वह अब तक जिंदा हैं और कुछ दम तोड़ चुके हैं। अब इस नेशनल पार्क में लगभग २६ चीता मौजूद हैं, जिनमें ज्यादातर शावक हैं।

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