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रु. ३५ हजार करोड़ के मालिक लापता!… बैंकों में पड़ी इस `लावारिस’ रकम के नहीं मिल रहे दावेदार

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
क्या आप सोच सकते हैं कि बैंकों में ३५ हजार करोड़ रुपए की रकम ऐसी है, जिसका कोई वारिस ही नहीं है। इस लावारिस पैसे को लेकर सरकार जल्द कोई कदम उठा सकती है। बैंकों और अन्य फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस में पड़ी बिना दावे वाली रकम को संबंधित लोगों तक पहुंचाने के लिए जल्द ही वैंâपन चलाया जाएगा।
बता दें कि बैंकों में पड़े ३५ हजार करोड़ रुपए का कोई दावेदार नहीं है। हाल ही में हुई फाइनेंशल स्टेबिलिटी एंड डेवेलपमेंट काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेगुलेटर्स से कहा था कि वे इस लावारिस रकम के सेटलमेंट के लिए स्पेशल कैम्पेन चलाएं। बता दें कि ३५ हजार करोड़ की ये रकम बैंक डिपॉजिट के अलावा बैंकिंग शेयरों, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस सेक्टर में जमा है। बिना दावे वाली या लावारिस रकम उसे माना जाता है, जब किसी डिपॉजिट में १० साल या उससे ज्यादा समय से कोई एक्टिविटी, ट्रांजेक्शन या डिपॉजिट नहीं हुआ है। कहने का मतलब है कि पैसा जमा करनेवाले ने न तो कुछ डिपॉजिट किया और न ही किसी तरह का कोई ट्रांजेक्शन किया। कई बार लोग अकाउंट खुलवा लेते हैं, लेकिन उस खाते को बहुत कम या न के बराबर ऑपरेट करते हैं। इस्तेमाल नहीं होने पर वो उस खाते को बंद कराना भूल जाते हैं। ऐसे में इन खातों में जमा रकम को भी लावारिस ही माना जाता है।
बैंकों ने रिजर्व बैंक को सौंपी
रु. ३५ हजार करोड़ की रकम
इसके अलावा कई मामले ऐसे भी होते हैं, जब अकाउंट होल्डर की मौत हो जाती है। लेकिन नॉमिनी भी बैंक में जमा रकम को पाने के लिए कोई दावा नहीं करता है या उसे इस बात की जानकारी नहीं होती है। इस तरह की रकम को भी लावारिस ही समझा जाता है। बता दें कि देशभर के तमाम अकाउंट में जमा बिना दावे वाली ३५ हजार करोड़ रुपए की रकम को इस साल फरवरी में बैंकों ने रिजर्व बैंक को सौंप दिया था। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि कहीं आपका कोई अकाउंट तो लावारिस वैâटेगरी में नहीं आ गया है, तो इसके लिए आपको फौरन उस बैंक की ब्रांच में जाकर पता करना होगा। आप चाहें तो बैंक द्वारा मांगे गए जरूरी दस्तावेज देकर अपना खाता फिर से एक्टिव करवा सकते हैं। इसके लिए बैंक आपसे आईडी, एड्रेस प्रूफ और अकाउंट एक्टिव न रखने की वजह पूछ सकता है।

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