सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में गुलियन बेरी सिंड्रोम इस कदर बेरहम हो गया है कि अब यह लोगों की जान लेने लगा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रदेश में चार संदिग्ध मरीजों की मौत हो गई है। इसके साथ ही ९८ में जीबीएस की पुष्टि हुई है। इसी के साथ ही अब तक कुल १४० संदिग्ध मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इसमें से १८ मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक १४० संदिग्धों में से पुणे मनपा में २६, पुणे मनपा में समाहित गांवों में ७८, पिंपरी-चिंचवड़ में १५, पुणे ग्रामीण में १० और अन्य जिलों में ११ मरीजों का समावेश है। इनमें से शून्य से नौ साल के २२, दस से १९ साल के २०, बीस से २९ साल के ३२, तीस से ३९ साल के १६, चालीस से ४९ साल के १३, पचास से ५९ साल के २२, साठ से ६९ साल के १५, अस्सी से ८९ साल के एक मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जीबीएस का कल एक नया मरीज मिला है।
ये बनते हैं जीबीएस का कारण
डॉक्टरों ने कहा कि जीवाणु और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं, क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा को कमजोर करते हैं। जीबीएस एक दुर्लभ स्थिति है, जो अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है, जिसमें अंगों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण शामिल हैं।
पुणे में १६० पानी के नमूनों की हुई जांच
बताया गया है कि पुणे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पानी के १६० नमूनों को जांच के लिए लैब में भेजा गया। इसमें से आठ नमूनों में पाया गया कि वे पीने के योग्य नहीं हैं। इसके साथ ही हर घर शुरू सर्वे में अब तक पुणे मनपा क्षेत्र में ४०,४५७, पिंपरी-चिंचवड़ मनपा क्षेत्र में १०,७१८ और पुणे ग्रामीण में १२,२९५ समेत कुल ६३,४७० घरों का सर्वे किया गया है।