मुख्यपृष्ठनए समाचारसामना शोध : राज्य सरकार से नाराज बाप्पा के शिल्पकार!

सामना शोध : राज्य सरकार से नाराज बाप्पा के शिल्पकार!

• पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंधों से राहत की दरकार
• कहा, प्रतिबंधों का कहर हम पर ही क्यों?
भारत के प्रमुख त्योहारों में शामिल गणेश चतुर्थी मुंबई में ब़ड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है। घरों में ११ दिनों के लिए बाप्पा की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। आगामी गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। जगह-जगह बाप्पा की मूर्तियां बनाने का काम शुरू है। लेकिन पीओपी की मूर्तियों के निर्माण पर प्रतिबंध होने से बाप्पा की मूर्तियों के शिल्पकारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के प्रति इन शिल्पकारों ने नाराजगी जताई है और सरकार से मांग की है कि पीओपी मूर्तियों के प्रतिबंध में ढील दी जानी चाहिए। शिल्पकारों का कहना कि अभी तक मूर्तियां पीओपी और मिट्टी के मिश्रण से बनाई जाती थीं।
मुंबई के एक अनुभवी शिल्पकार प्रथमेश गाडगे ने कहा कि यह सच है कि पीओपी से कुछ हद तक प्रदूषण होता है लेकिन मिट्टी की बड़ी मूर्तियां बनाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। इस बैन को किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता, सरकार को पहले बाकी प्रदूषित चीजों से छुटकारा पाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मूर्तियां तो साल में एक बार विसर्जित होती हैं लेकिन साल भर पैâलती अन्य गंदगी और प्रदूषण का क्या? त्योहारों को लेकर सरकार के कुछ पैâसलों ने जनता को बहुत नाराज किया है जिसपर उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि लगता है धीरे-धीरे सब बैन हो जाएगा। इसलिए अवश्यक है हम अपनी संस्कृति को बचाए रखें। बैन के इस पैâसले पर कोई उचित विकल्प देना चाहिए। प्रथमेश ने आगे बताते हुए कहा कि सरकार का सुझाव है, मूर्तियां मिट्टी की बनाई जानी चाहिए, जिससे प्रदूषण की मात्रा घटेगी, जिसपर प्रथमेश ने शिल्पकारों का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदूषण की मात्रा कई और तरीके से घटाई जा सकती है। मिट्टी की मूर्तियां बनाने में बहुत-सी दुविधा होती है। और वह बहुत ही नाजुक और भारी बनकर तैयार होती है जिसे सूखने में भी काफी समय लगता है।

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