देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शुरू तमाम परियोजनाओं और खुदाई के काम के चलते मानसून के आगमन के साथ ही कई जगहों पर बाढ़ आ गई। मानसून के आगमन के पहले ही दिन इतनी बारिश हुई कि कई निचले इलाकों में पानी भर गया। इसलिए नागरिकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। पानी भरने पर कई लोगों ने मनपा पर गंभीर आरोप लगाए। मनपा की नाकामी तो है ही, इसके अलावा अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से मुंबई को जलजमाव मुक्त करना मुश्किल है।
मनपा के पूर्व आयुक्त जयराज फाटक ने कहा कि मुंबई में मानसून के दौरान बाढ़ न आए इसके लिए नालों की सफाई, जगह-जगह गड्ढे पाटने और पानी की सही निकासी जरूरी है, लेकिन मुंबई के कुछ इलाकों को जलजमाव मुक्त करना मुश्किल है क्योंकि कुछ इलाके समुद्र सतह से भी नीचे हैं। ऐसे में वहां हाईटाइड के दौरान बाढ़ तो आएगी ही।
बाढ़ का असली कारण क्या है?
मानसून शुरू होने से पहले मनपा हर जगह ड्रेनेज सफाई का काम कराती है। सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करती है। मनपा ने इन कार्यों को ठीक से नहीं किया, इसलिए लोगों में नाराजगी का स्वर देखा जा सकता है। लेकिन इसके अतिरिक्त शहर के भूगोल और वर्षा के बदलते पैटर्न के कारण भी मुंबई में बाढ़ का प्रभाव देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि मानसून और मुंबई का भौगोलिक पैटर्न बदलने से भी यहां बाढ़ की स्थिति में बदलाव आया है। नागरिकों को इसे स्वीकार करना चाहिए। बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए सभी मनपा के विकास कार्यों को रोकना और वित्तीय रूप से ध्यान केंद्रित करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि शहर के अधिकांश हिस्से ज्वारीय रेखा से नीचे हैं। इस तरह के शहर में चाहे कुछ भी किया जाए, जलजमाव से बचा नहीं जा सकता। मुंबई में बारिश का सारा पानी समुद्र में बह जाता है। लेकिन उच्च ज्वार के समय यह पानी समुद्र में नहीं जा पाता है। पानी निकलने की कोई जगह न होने की वजह से पानी जमा होता है और शहर में बाढ़ की स्थिति बन जाती है।