रामदिनेश यादव
अब जनता की मदद से जलजमाव कम होंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आईआईटी-मुंबई के अध्ययन में यह बात सामने आई है। उनके अध्ययन में साफ निकलकर आया कि मुंबई में बाढ़ की सही जानकारी कोई और नहीं, बल्कि जनता ही दे सकती है। या यूं कहें क्राउड सोर्सिंग शहर में बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए डेटा प्रदान कर सकती है। बता दें कि महानगर मुंबई में आपदा और बाढ़ की स्थिति को लेकर तमाम तरह के सवाल उठते रहे हैं। मुंबई में जगह-जगह जलजमाव की समस्या हो रही है। मानसून में कितने जगहों पर जलजमाव अथवा बाढ़ आती है, इसे लेकर मुंबई आईआईटी की टीम ने शोध किया। आईआईटी-मुंबई अध्ययन के अनुसार, बाढ़ हॉटस्पॉट की पहचान करने और बाढ़ को लेकर अतीत की विश्वसनीय जानकारी के लिए क्राउडसोर्स्ड डेटा ही सही होता है। शोधकर्ताओं की एक टीम के एक अध्ययन ने मुंबई में बाढ़ और जलभराव पर विश्वसनीय जानकारी के एक संभावित स्रोत के रूप में शहर में ट्विटर, सोशल मीडिया और जनता से मिलने वाली जानकारी अर्थात क्राउडसोर्सिंग है। अध्ययन के अनुसार, क्राउडसोर्स्ड डेटा हॉटस्पॉट की पहचान करने में सक्षम है। डेटा का उपयोग बाढ़ पूर्वानुमान ढांचे को विकसित करने और प्राकृतिक आपदाओं के मामले में प्रभावी निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है। अध्ययन में जनता से यह भी पता चला कि मनपा द्वारा छह बाढ़ हॉटस्पॉट बोरीवली, खार, हिंदमाता, दहिसर, मालाड और गांधी मार्वेâट में चार ठिकानों पर बाढ़ को कम करने के उपाय कुशलतापूर्वक काम कर रहे थे। ज्ञात हो कि ये उपाय पूर्व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की अगुवाई में किए गए थे। शोधकर्ता के अनुसार, अब पूरे मुंबई में मनपा ने स्वचालित मौसम स्टेशनों को स्थापित करने का काम शुरू किया है, जो एक घंटे और तीन घंटे के अंतराल पर वर्षा की भविष्यवाणी की रिपोर्ट देता है। लेकिन इसकी विश्वसनीयता पूरी तरह से नहीं है और इस मानसून में जलभराव को मापने के लिए क्राउड सोर्सिंग ही बेहतर विकल्प हो सकता है।