• १८ महीनों में और भी दम तोड़ देगी मोनो
मुंबई की मोनो रेल सेवा जो मुंबई ट्रांसपोर्ट के लिए एक गेम चेंजर के रूप में देखी जा रही थी, वह अब तेजी से अपने यात्रियों को खो रही है। वित्तीय वर्ष २०२२-२३ में अब तक कुल ३६.३६ लाख यात्रियों ने इस सेवा का लाभ उठाया। लेकिन ट्रेन की फ्रीक्वेंसी पर अधिकतम सवाल उठ रहे हैं क्योंकि एक ट्रेन छूटने के बाद यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। १० रैक आने में अभी १८ महीनों का समय लगेगा जिससे मोनो की स्थिति और बदतर होगी।
१० नए रैक आने के साथ दिसंबर २०२४ तक ट्रैवलेटर और एस्केलेटर के माध्यम से पश्चिम रेलवे और मेट्रो ३ कोलाबा-बांद्रा-एसईईपीजेड कॉरिडोर के साथ बेहतर कनेक्टिविटी से मोनोरेल में यात्रियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा रहा है। फरवरी २०१४ में, मोनोरेल चेंबूर और वडाला के बीच ८.८ किलोमीटर की दूरी पर चलना शुरू हुआ। मार्च २०१९ में संत गाडगे महाराज चौक से चेंबूर तक पूरे २० किमी सेवाएं शुरू हुईं। एमएमआरडीए के पास आठ मोनोरेल रेक हैं, जिनमें से सात उपयोग में हैं। मेधा एसएमएच रेल प्राइवेट लिमिटेड को ५९० करोड़ रुपये में १० और रेक के ऑर्डर दिए गए हैं। कम यात्रियों का श्रेय मुख्य रूप से ट्रेनों की खराब प्रâीक्वेंसी के वजह से हैं। मोनोरेल में चेंबूर से संत गाडगे महाराज चौक तक की यात्रा में लगभग ३० मिनट लगते हैं। लेकिन अगर किसी की ट्रेन छूट जाती है, तो उन्हें लगभग आधा घंटा इंतजार करना पड़ता है।