सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हिंदुस्थान के दक्षिण में कई द्वीपों से बना अंडमान-निकोबार को विकसित करने के लिए मोदी सरकार १० लाख पेड़ों की बलि लेगी। मूंगे की खूबसूरत चट्टानों से बसे इस इलाके में सरकार द्वारा ‘ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट’ का मिशन चलाया जाएगा। पेड़ों को काटे जाने को लेकर कांग्रेस और पर्यावरणविदों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जताई है। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के बनने से करीब १० लाख पेड़ों की बलि दी जाएगी, जिससे वहां बड़ा पर्यावरण संकट बन सकता है। इसके अलावा कोरल रीफ यानी मूंगे की चट्टानें नष्ट हो सकती हैं, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता है। साथ ही यहां के खास निकोबार मेगापोड पक्षियों और लेदरबैक कछुओं के भी विलुप्त होने का संकट गहरा सकता है, जो गैलेथिया खाड़ी में अपना घर बनाकर रहते हैं। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट के बनने से भूकंप आने की आशंका बढ़ सकती है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि पहले से लुप्त होने के संकट से जूझ रही शौंपेन और निकोबारी जनजाति पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जिसकी संख्या महज सैकड़ों में ही है। शौंपेन जनजाति तो आज भी शिकार करके अपना७ जीवनयापन करती है।