पुनर्विकास के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं संबंधित सरकारी विभाग
सामना संवाददाता / मुंबई
उरण इलाके में स्थित कुछ क्षेत्रों को सरकार ने नौसेना के लिए सेफ्टी जोन घोषित कर दिया है। इस घोषणा के बाद यहां रहनेवाले करीब ५० हजार परिवार बेघर होने के कगार पर हैं। बताया जाता है कि सैकड़ों परिवार यहां कई सालों से रह रहे हैं। ये परिवार जिन इमारतों या घरों में रह रहे हैं वे अब जर्जर व खतरनाक हो गए हैं। लेकिन क्षेत्र के सेफ्टी जोन घोषित हो जाने के बाद पुनर्विकास के लिए विभिन्न सरकारी विभाग इमारतों को आवश्यक अनुमति नहीं दे रहे हैं।
जद में आए सात हजार से ज्यादा घर और इमारतें
बता दें कि केंद्र सरकार ने १६ मई १९९२ को अध्यादेश जारी कर यहां स्थित मोरा, हनुमान कोलीवाड़ा, बोरी-पखाड़ी, केगाव, म्हातवली गांवों की राजस्व सीमा के भीतर लगभग २७१ हेक्टेयर कृषि और गैर-कृषि भूमि पर करंजा में नौसेना शस्त्रागार डिपो के लिए एक सेफ्टी जोन आरक्षित करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया था। आरक्षित इलाके में सात हजार से ज्यादा घर और इमारतें हैं। इसमें उरण शहर के विभिन्न सरकारी कार्यालय व कोर्ट की इमारत भी शामिल है। वर्तमान में इस सेफ्टी जोन में ५० हजार से अधिक निवासी रह रहे हैं। क्षेत्र के सेफ्टी जोन घोषणा होने से पहले, उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों, विभिन्न निजी वित्तीय संस्थानों से गृह ऋण लिया है और सहकारी समितियों की स्थापना करके घर व इमारतों का निर्माण किया है।
स्थानीय निवासी निराश
यहां स्थित कृष्णा-सखा सहकारी समिति के सलाहकार पंकज धार्गलकर का कहना है कि ३५ साल पहले बने ये हजारों घर और इमारतें अब जर्जर होकर खतरनाक हो गई हैं। ऐसे खतरनाक घरों और इमारतों में परिवार के साथ रहना मौत को दावत देने जैसा है, इसलिए कई लोगों ने इन इमारतों को फिर से बनाने का पैâसला किया है। पंकज धार्गलकर के अनुसार, ये घर और इमारतें नौसेना के सेफ्टी जोन के अंतर्गत हैं, इसलिए लोगों को पुर्ननिर्माण की अनुमति देने से इनकार किया जा रहा है, इससे क्षेत्र के लोग निराश हो गए हैं।