मुख्यपृष्ठस्तंभसनातन : सृष्टि के स्वरूप में प्रकृति का अनमोल खजाना-भरतकुमार सोलंकी

सनातन : सृष्टि के स्वरूप में प्रकृति का अनमोल खजाना-भरतकुमार सोलंकी

सनातन धर्म का मूल आधार सृष्टि, प्रकृति और मानव के बीच गहरे सामंजस्य को दर्शाता है। यह धर्म केवल एक पूजा पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो सृष्टि के हर कण में ईश्वर का वास मानता है। हिंदुस्थान की मिट्टी, यहां की नदियां, पर्वत, पेड़-पौधे और फूल सब इस सनातन दर्शन के प्रतीक हैं।
भारत के पर्वतों के नाम प्रकृति के प्रति आदर और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। हिमालय को देवताओं का निवास और तपस्वियों की साधना भूमि कहा गया है। विंध्याचल पर्वत की गाथाएं मातृशक्ति के रूप में पूजी जाती हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा और गोदावरी नदियां केवल जल स्रोत नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति में जीवनदायिनी देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इन नदियों के जल की हर बूंद में प्रकृति और सनातन की दिव्यता झलकती है।
सनातन के सिद्धांत प्रकृति की हर रचना में सौंदर्य और उपयोगिता देखते हैं। वटवृक्ष (बरगद) को अमरता का प्रतीक माना गया है, जबकि पीपल जीवनदायी ऑक्सीजन का पर्याय है। तुलसी, जिसे हर सनातनी घर में पूजा जाता है, अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इस प्रकार, हर पेड़-पौधा सनातन की सृष्टि से जुड़ी मान्यताओं और जीवनशैली को गहराई से प्रभावित करता है।
फूलों का उल्लेख करते हुए सनातन के अद्वितीय सौंदर्य को समझा जा सकता है। कमल, जिसे देवी लक्ष्मी का आसन माना जाता है, कीचड़ में खिलकर भी पवित्रता का प्रतीक है। चंपा और चमेली की खुशबू मन को शांत करती है, जबकि बेला और केवड़े की महक पूजा-अर्चना को दिव्यता प्रदान करती है। गुड़हल का फूल सूर्य देव को अर्पित होता है और इसके औषधीय गुण इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
सनातन दर्शन हमें सिखाता है कि प्रकृति का हर हिस्सा पूजनीय है और इसका संरक्षण हमारा धर्म है। पर्वत, नदियां, वृक्ष और फूल, ये सभी केवल भौतिक संसाधन नहीं, बल्कि सृष्टि के अद्भुत खजाने हैं। सनातन हमें इन खजानों की रक्षा और सम्मान करना सिखाता है।
सृष्टि, प्रकृति और सनातन एक त्रिवेणी की तरह हैं, जिनमें जीवन का हर पहलू समाहित है। जब हम इनका सम्मान करते हैं, तो केवल धर्म का पालन नहीं करते, बल्कि मानवता और पर्यावरण की रक्षा का भी संकल्प लेते हैं। यही सनातन की सबसे सुंदर व्याख्या है। इस तरह, सनातन केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का वह अभिन्न हिस्सा हैं, जो हमें प्रकृति द्वारा प्रदत्त सृष्टि के अनमोल खजाने के संरक्षण और सम्मान का मार्ग दिखाता है।

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