कॉमनवेल्थ गेम्स में दो बार की चैंपियन वेटलिफ्टर संजीता चानू पर चार साल का बैन लगा है। संजीता पर पिछले साल डोप परीक्षण में असफल रहने के कारण राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने चार साल का प्रतिबंध लगाया है। यह पहली बार नहीं है, जब २०११ की एशियाई चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता संजीता को डोपिंग से जुड़े विवाद का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले नवंबर २०१७ में अमेरिका में विश्व चैंपियनशिप से पहले एनाबॉलिक स्टेरॉयड टेस्टोस्टेरोन के लिए पॉजिटिव पाए जाने पर इंटरनेशनल रेसलिंग फेडरेशन ने २०१८ में उन्हें प्रतिबंधित किया था। संजीता पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में गुजरात में नेशनल गेम्स के दौरान परीक्षण में एनाबॉलिक स्टेरॉयड- ड्रोस्तानोलोन मेटाबोलाइट के लिए पॉजिटिव पाई गई थीं, जो विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। भारतीय रेसलिंग फेडरेशन (आईडब्ल्यूएफ) के अध्यक्ष सहदेव यादव ने पुष्टि की कि संजीता को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि संजीता पर नाडा ने चार साल का प्रतिबंध लगाया है। यह संजीता के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने नेशनल गेम्स में रजत पदक जीता था, जिसे छीन लिया गया है। संजीता ने २०१४ में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में ४८ किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने २०१८ में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में ५३ किग्रा भार वर्ग में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। मणिपुर की संजीता के पास अभी पैâसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है, लेकिन यह तय नहीं है कि वह ऐसा करेंगी या नहीं। संजीता ने कहा था कि मुझे पहले भी इसका अनुभव है तो फिर मैं फिर से क्यों डोप लूंगी? मैं नहीं जानती कि मैं अपील करूंगी या नहीं क्योंकि दोनों मामलों में मेरी हार होगी। अगर मैं अपील करती हूं तो मेरा नाम पाक साफ होने में समय लगेगा और मेरे पास ओलंपिक और एशियाई खेलों के लिए क्वालिफाई करने का मौका नहीं रहेगा। अगर मैं हार जाती हूं तो मुझे निलंबित कर दिया जाएगा।