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सत् वाणी : मानव शरीर में उर्जा संचार प्रणाली किस प्रकार काम करती है

आधुनिक विज्ञान मानव शरीर की ऊर्जा संचार प्रणाली से कोसों दूर है इसलिए मेडिकल साइंस आराम ही प्रदान कर पाता है और बीमारी को जड़ से नष्ट नहीं कर पता है। मेडिकल साइंस बीमारी के लक्षणों पर काम करता है न कि बीमारी के कारण पर। मेडिकल साइंस केवल स्थूल शरीर पर ही काम कर पाता है, क्योंकि सूक्ष्म शरीर के ज्ञान से वह कोसों दूर है। मेडिकल साइंस का कहना है कि आकाश तत्व शरीर के भीतर है ही नहीं, जबकि आकाश तत्व से शरीर की नाड़ियां बनी हुई है। मानव शरीर की कुछ मुख्य नाड़ियों के नाम इस प्रकार हैं। इडा, पिंगल, सुषुम्ना, गांधारी, हस्तिजिहवा, पूषा, यशस्विनी, अलंबुषा, कुहू और शंखिनी। मानव शरीर में ५६ ध्वनि चक्र हैं, जो सात ऊर्जा चक्रों से जुड़े हुए स्थापित हैं। प्रत्येक ध्वनि चक्र से १,२०० से १,३०० नाड़ियां जुड़ी हुई हैं, जो आगे जा कर शरीर के अंगों में पैâली हुई स्थापित हैं। जो भी कुछ मानव खाता है वो सर्वप्रथम उसके पेट में जाता है और रुद्र वायु और रक्त के माध्यम से उन तत्वों को भोजन से खींचता है और रक्त के माध्यम से ही सारे तत्व हृदय तक पहुंचाए जाते हैं। हृदय में इन तत्वों को पकाया जाता है, जिससे ऊर्जा का निर्माण होता है। यह सारी ऊर्जा तुरंत कुंडलिनी शक्ति के पास पहुंचती है और निद्रासन के समय यह ऊर्जा सारी मन को दे दी जाती है, जिस ऊर्जा को मन कर्म संपन्न करके नष्ट करता है। जले हुए तत्व मांस कोशिकाओं में एकत्रित होते हैं, जिससे मांस का निर्माण होता है इसलिए मांस में ऊर्जा का अभाव होता है, जिसके कारण ही उसे तमो गुणी भोग माना गया है। मानव को अगर अपनी ऊर्जा संचार प्रणाली को उत्तम बनाना है तो उसे रुद्राअष्टा ध्यायी पुस्तक के वैदिक मंत्रों का पठन-पाठन करना चाहिए, क्योंकि मानव के पास ऊर्जा संचार को उत्तम करने का और कोई साधन है भी नहीं। ध्वनि चक्रों और ऊर्जा चक्रों को वैदिक मंत्र ही जाग्रत करते हैं, जिससे शरीर की नाड़ियां मोटी ही होती हैं और गहराई तक भी खुलती है, जिससे ऊर्जा का संचार संतुलित रूप से शरीर में होता है। प्रत्यक्ष समय काल में सभी मानव शरीरों के चक्र जाम भी हैं और चालीस हजार साल की उम्र के बाद नाड़ियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा के प्रवाह में व्याधि उत्पन्न होती है और शरीर रोग को धारण कर लेता है। वैदिक मंत्रों के अलावा मानव के पास सुखी और निरोगी रहने का और कोई साधन है ही नहीं।
पं. राजकुमार शर्मा (शांडिल्य)
संपर्क – ७७३८७०७९२३

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