-डाॅ. रवीन्द्र कुमार
पढ़ कर बहुत खुशी हुई कि आखिर ये दूध-दही और घी की नदियां बहाने वाले देश में अब इनसे लोग मरने भी लगेंगे। भई ! होता है ऐसा भी। कभी दूध-घी लोग शरीर को मजबूत बनाने को करते थे, लेकिन अब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो गया है। वो दिन गए जब दूध-घी, दिल के लिए अच्छे थे। पहले तो डॉ. लोग जिनको घी खाने को नहीं मिलता था, वो बोले जब हम नहीं खाते तो तुम कैसे खाओगे सो उन्होने कहना शुरू कर दिया कि घी खाने से हार्ट अटैक हो जाएगा। अब वही लोग नया रिसर्च ले आए। बेटा ! दूध नहीं पीना है। दूध पीने से भी हार्ट अटैक हो जाता है।
वो अपने इस क्लेम को पक्का करने को कुछ ऊट-पटांग काल्पनिक स्टैटिस्टिक्स बता दो फलां देश में लोग दूध पीने से लदरपदर हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। वैसे सोचा जाये तो उनका ये क्लेम एकदम गलत भी नहीं। जैसा दूध आजकल मार्किट में चल रहा है तौबा-तौबा। कहते हैं कि अब इसमें केमिकल मिलाये जा रहे हैं, इंक-रिमूवर वाली सफेद स्याही मिलाई जाती है। पोस्टर इंक/पेंट मिलाया जाता है। गोया कि कुछ भी जो सफेद और दूध से सस्ती हो मिला दीजिए। आखिर गाय-भैंस भी कहां तक आपके दूध और घी की मांग पूरी करे। आपने इंजेक्शन लगा-लगाकर उनके दूध की आखिरी बूंद तक निचोड़ ली है। उसके अपने बछड़े को पीने को कुछ नहीं, उसके हिस्से का भी आप पी गए और आपको फिर भी चैन नहीं।
मैं कहीं पढ़ रहा था कि इंसान ही एक ऐसा प्राणी है, जो दूसरे प्राणी का दूध पीता है। बात बढ़ते-बढ़ते अब उस मंजर पर आ पहुंची है कि कुछ भी मिला दो, मगर बढ़ती आबादी को दूध की आपूर्ति करनी है। जहर है ? परवाह नहीं जहर ही सही, मगर दो। जैसे नकली शराब होती है, वैसे ही अब नकली दूध भी नाॅर्मल हो गया है। कुछ लोग इसी के चलते ग्रीन टी और ब्लैक टी पीने लग पड़े हैं। अब धीरे-धीरे डॉ लोग कुछ ऐसा और ले आयें कि गेहूं खाने से खून की उल्टी होगी और आदमी मर जाएगा। दाल खाने से आदमी के समस्त शरीर पर दाल के बराबर दाने-दाने निकल आएंगे और वो बुरी मौत मारा जाएगा। हरी सब्जी खाने से आदमी हरा-हरा हो जाएगा, जैसे पीलिया में पीला-पीला हो जाता है, वैसे ही कुछ। पहले से ही कहावत भी है सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता है।
हमारे देश में अभावों के चलते और मंहगाई के चलते इसकी बहुत जरूरत है कि बेटा ! कुछ भी खाओगे तो मौत निश्चित है। धीरे-धीरे आदमी सभ्यता के उस पायदान पर पहुंच जाएगा, जहां कुछ भी खाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पहले की तरह पेड़ की छाल पहनेगा और कंदमूल-फल खा कर गुजारा करेगा। जो नॉन वेज हैं, वो अपना-अपना शिकार खुद करें। मारें शेर-भालू। बस एक सावधानी बरतनी है कि शेर-भालू भी भूखे आपकी तलाश में घूम रहे होंगे। जिसे जो भोजन मिल जाये। वो कहते हैं न ‘सरवाइवल ऑफ दी फिटेस्ट’।
मैं सोच रहा था जो नकली दूध बनाते हैं वो अपने लिए, अपने बाल-बच्चों के लिए दूध कहां से लाते हैं? उन्हें असली दूध कहां से मिल पाता होगा। फर्ज करो दूध असली ले भी आए तो बाकी चीजों का क्या ? नकली चीनी, नकली चाय पत्ती, साबुन तेल, घी, इंजेक्शन लगी सब्जियां उनका क्या ? जहां जाइएगा, हमें पाइएगा।