मुख्यपृष्ठस्तंभसटायर : महिला प्रिंसिपल की प्रेमी ने की पिटाई

सटायर : महिला प्रिंसिपल की प्रेमी ने की पिटाई

डाॅ. रवीन्द्र कुमार

हेडिंग से एक बात तो स्पष्ट है कि इसमें प्रेमिका जो है, सो प्रिंसिपल हैं और प्रेमी जी जो हैं, वो कोई या तो टीचर है या फिर कोई नालायक रहा स्टूडेंट है, जो बड़ा होकर एक नालायक नागरिक कहिए, प्रेमी कहिए वह बनेगा। तफसील पढ़ने पर पता चला कि दोनों किसी सिंगिंग ऐप पर मिले और ड्युट गाते-गाते उनके दिल का सितार झनझना उठा। ऐप से बाहर निकल गायक महोदय अपना शहर छोड़ गायिका के शहर में ही आन बसे। इससे पता चलता है कि गायक महोदय कितना बड़ा ‘वेला’ बोले तो फालतू इंसान रहा होगा।
प्रेम गली अति सांकरी...
अतः प्रेम गली में आप आ सकते हैं, आपको अपना पद-प्रतिष्ठा बाहर ही रख कर आना पड़ेगा। प्रेम फर्क नहीं करता कि कोई प्रिंसिपल है या मास्टर, तालिब-ए-इल्म है या कोचिंगवाला है। मुखर्जी नगर वाला है या ओल्ड राजिंदर नगर वाला।
यही बात प्रिंसिपल के प्रेमी महोदय को अखर गई शायद। प्रेमिका लगता है प्रेमिका बनी नहीं और प्रिंसिपल ही बनी रही, फिर लव स्टोरी फेल होनी ही थी। लेकिन ये पिटाई वाली बात हजम नहीं हुई। ये बात प्यार-मुहब्बत से लड़ाई झगड़े से होते होते मार-कुटाई तक कैसे आन पहुंची? ये तो प्रेमी-प्रेमिका के लक्षण नहीं होते। खासकर प्रेमी के तो बिलकुल भी नहीं। यह तो खलनायक टाइप लोगों के लक्षण हैं। बेचारी प्रिंसिपल ने भी किससे दिल लगाया, जिसने न आपके प्रेमिका होने का मान रखा न आपके प्रिंसिपल होने का। ऐसा भी कहीं होता है। आप अपनी मर्जी की मालकिन हो। आप अपने दिल की मालकिन हैं। पुरुषों की यही प्रॉब्लम है। वो प्रेमिका को अपनी मिल्कियत ही समझने लगते हैं और चाहते हैं कि आप किसी और का ख्याल भी दिल में ना लाएं और न ही किसी की तरफ आंख उठा कर देखें। जैसा कि खबर में लिखा है तो आपको लगा कि आपको अपने पति के पास वापिस जाना चाहिए, बस यही बात प्रेमी महोदय को बुरी लग गई। आप भी मेरी मानो तो इस बंदे की शिकायत पुलिस से कर दो, देखते हैं कि पुलिस हवालात में शायद उसे प्रेम के कुछ गुर सिखाने में कामयाब हो जाए।
भय बिनु प्रीत नाहीं
जब पुलिस अपने डंडे चलाएगी तो अच्छे-अच्छे प्रेम बरसाने लगते हैं। ये प्रेमी-प्रेमिका के लिए बैड एक्जाम्पल है। प्रेमी-प्रेमिका को ऐसे नहीं होना चाहिए। ऐसा नहीं करना चाहिए। क्या उदाहरण पेश किया है। कहां गए वो प्रेमी-प्रेमिका, जो उफ नहीं करते थे। कलेजे पर पत्थर रख लेते थे। आंसू भी नहीं बहाते थे। आह भी नहीं भरते थे। एक ये जनाब हैं! जो सरेआम मार-पिटाई पर ही उतर आए।
मैं तो कहूंगा मैडम जी आपने आदमी परखने में भूल कर दी। यह आपके प्रेम के लायक कभी था ही नहीं। आप अपने पति के पास लौट जाएं और इस बेवफा हरजाई को भुला दें। यह आपके याद करने के काबिल नहीं। प्रेम में हिंसा को जगह कहां। हमने तो सुना था प्रेम गली में दो न समाएं। एक ये है, जो अपनी ईगो अपनी तथाकथित मर्दानगी को भी इसमें घुसा लाया है और तो और उसका वीभत्स प्रदर्शन उसने पहले अवसर पर आपको और आप पर कर दिखाया। प्रेम कोमल हृदय स्पर्शी भावनाओं का अतिरेक होता है, उसमें तो कड़वी बात तक नहीं करते। एक ये हैं महाराज! जो लगे अपने मसल्स दिखाने। मेरा मानना है कि ये बंदा प्रेमी मैटेरियल है ही नहीं। आप खुश रहें, इसी कामना के साथ लेख की इतिश्री करता हूं। आप अपने प्रेम का अपने पति के साथ श्रीगणेश करें। वह समझदार होगा तो जरूर समझेगा।
(लेखक के आगामी व्यंग्य संग्रह ‘स्मार्ट सिटी के वासी से’)

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