मुख्यपृष्ठस्तंभसटायर : अगले जनम मोहे मानुष ही कीजो

सटायर : अगले जनम मोहे मानुष ही कीजो

-डाॅ. रवीन्द्र कुमार

एक सूबे में एक नेतानी जी ने घोषणा की है कि अगर इस जनम के मानुष लोग उनकी पार्टी को वोट नहीं देंगे तो अगले जनम उनका ऊंट, भेड़, बकरी, कुत्ता अथवा बिल्ली होना तय है। अतः अब आप दूसरी पार्टी को वोट देने से पहले अपने मन में सोच-समझ लें और फिक्स कर लें कि आप अगले जनम क्या बनना चाहते हैं ? ऊंट अथवा भेड़-बकरी या फिर सीधे-सीधे कुत्ता-बिल्ली। ये तो नेतानी जी का शुक्रिया अदा करो ! नहीं तो वो आपको इसी जनम में कुत्ता-बिल्ली कुछ भी बना सकती हैं। ‘समरथ को नाहि कोई दोष गुसाईं’ मैं तो इस बयान के बाद जब भी अपने कुत्ते को देखता हूं या पड़ोसी की बिल्ली को देखता हूं तो ख्याल आता है कि हो न हो इसने पिछले जनम में किसी और पार्टी को वोट दिया होगा, तभी तो इस जनम में दर-दर की ठोकरें खाते मारे-मारे घूम रहे है।
देखिए ! हमारे भारत में पुनर्जनम में लोगों की भरपूर आस्था है। वो जानते हैं कि ये जो जनम मिला है, जैसा भी है, ये उनके पिछले जनम के कर्मों का फल है। इस जनम अच्छे कर्म करेंगे तो अगला जनम बेहतर होगा। कौन जाने एम.पी., एम.एल.ए., बन जाएं। कौन जाने बिना पेपर लीक हुए सरकारी नौकरी ही लग जाए। अब देखना है कि इस पर विरोधी दल का क्या कहना है? वो वोटर को, अगर वोट उन्हें न दिया तो, क्या बनाने पर तुले हैं ? यह ऊंट, भेड़-बकरी और कुत्ता-बिल्ली किस आधार पर तय होगा ? यह नहीं बताया नेतानी जी ने। मुझे लगता है कि इसमें भी हो न हो किसी प्रकार की वर्ण व्यवस्था का इंतजाम किया है नेतानी जी ने, ताकि वर्ण व्यवस्था बनी रहे।
मैं तो कहूंगा :
‘जो ऊंट हों तो वही रसखान
शेख के घर ड्राई-फ्रूट चरूं दिन-रात
जो कुत्ता हों तो वही रसखान
सुंदरी की गोद में मचलूं सुबहोशाम
जो बिल्ली हों तो वही रसखान
फिल्म एक्ट्रेस कहते न थके ‘मेरी जान’
जो भेड़-बकरी बनूं तो कहा बस मोरो
बक़रीद तक खा काजू-किशमिश इतराऊं’
वैसे मेरे भारत महान की धर्मभीरू जनता के लिए ये मारक संदेश है। बेटा ! शुकर मनाओ हम तुम्हें अगले जनम की ही चेतावनी दे रहे हैं। यूं हम चाहें तो तुम्हें इसी जनम में ऊंट, भेड़-बकरी या कुत्ता-बिल्ली बना के रख सकते हैं और तुमको पता भी नहीं चलेगा तुम कब में ऊंट बन गए या भेड़-बकरी बन गए। बहुतों को हमने इसी जनम में भेड़-बकरी बना दिया है। अब हम उन्हें जैसा हांकें वो वही करते हैं। सो सौ बातों की एक बात, आप हमें वोट दे रहे हैं तब तक ठीक है। जिस दिन हमें पता चला आपके मन में खोट आ रहा है, हमने आपको कुत्ता बिल्ली बना देना है। सोच लो! यह अकस्मात नहीं है कि मुल्क में भेड़-बकरी की तादाद बढ़ रही है। कुत्ते देखो कितने हो गए हैं, गली-गली और कटखने अलग हैं।
अगली बार वोटिंग बूथ पर जाएं तो सोच-समझ कर ठप्पा लगाएं। अपने मन में तस्वीर ले आएं कि हमें वोट नहीं देंगे तो क्या आपने तय कर लिया है क्या बनेंगे ऊंट, कुत्ता-बिल्ली या फिर भेड़-बकरी और हां इसी जनम में या अगले जनम में ? नेपथ्य से ये क्या आवाजें आ रहीं हैं में…में…में…भौं…भौं…भौं…म्याऊं…म्याऊं।

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