मुख्यपृष्ठस्तंभसटायर : अनस्टॉपेबल भारतीय

सटायर : अनस्टॉपेबल भारतीय

डॉ. रवींद्र कुमार

अब मुझे फुल यकीन हो चला है कि हमें सनातनी होने से वो भी वैदिक कालीन भारतीय होने से कोई नहीं रोक सकता। इंडियन भले ही कभी ‘स्टॉपेबल’ रहे हों, हम अब भारतीय हो गएले हैं और वो भी सनातनी वाली किस्म के, सो अब हम सही मायनों में ‘अनस्टॉपेबल’ हो गए हैं। हमें रोक सके, हमारी क्रिएटिविटी को रोक सके ये जमाने में दम नहीं। अबे! क्या बात करता है? हम डेमोक्रेसी की मॉम हैं। कहीं कोई मां से भी बहस करता है। जो करे वो नालायक। बस बहस खत्म।
एशियन कप हमने कैसे जीता है ये बात अब खुल गई है। ज्योतिष ने हमारे एक-एक खिलाड़ी का पंचांग देखकर चयन किया है। बोले तो ठोक-बजा कर एक-एक मोती ढूंढ़ कर लाए हैं। यही एक बात है जो हमें ‘राइवल’ टीम से अलग करती है। प्रतिद्वंद्वी अब भी वही घिसे-पिटे दकियानूसी फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं यथा खिलाड़ी का स्टेमिना, उसकी बुद्धि-कौशल, उसका रिकॉर्ड, उसकी खेल में दक्षता आदि-आदि।
मेरा सरकार से विनम्र निवेदन है, निवेदन क्या आग्रह है कि ये यूपीएससी, आरआरबी, बैंकिंग भर्ती बोर्ड जे.ई.ई., पी.एम.टी.,सीयूइटी सब बंद किए जाएं। बस अभ्यर्थी को अपनी जन्मपत्री सबमिट करनी होगी बाकी हमारा एक पैनल होगा ज्योतिषियों का। वे सब ठीक कर लेंगे। किसके सितारे बुलंद हैं, कौन ईमानदार रहेगा, दक्ष रहेगा सब शीशे की तरह साफ। वे एक ‘क्रिस्टल-बॉल’ लेकर बैठा करेंगे एक अंधेरे से कमरे में।
जहां कठिनाई आएगी वे कैंडीडेट के तिल आदि देख लेंगे, हस्त-रेखा विशेषज्ञ हाथ की लकीर देख बता देंगे इसके हाथ में कितनी दौलत, शोहरत, इज्जत लिखी है ये दिन भर में कितनी फाइलें क्लियर कर पाएगा। क्या ये फाइलों पर वक्त जरूरत बैठ सकता है, सो सकता है या फिर इमरजेंसी आए तो फाइलें जला सकता है। इस पर अग्नि भारी तो नहीं।
साथ ही पैनल पर ‘फे-रीडर’ रखे जाया करेंगे, जो आपके माथे की लकीर देखकर पता लगा लेंगे ये जजमान कितने आगे तक जाएगा। ये ‘असेट’ बनेगा अथवा ‘लायबिलिटी’। टैरो वाले भी अपनी-अपनी राय देंगे। उसी तरह ‘न्यूमरोलोजिस्ट’ अपनी अपनी गणना करेंगे। जन्मतिथि और जन्म के समय से नाम के अक्षरों से। हस्त लिपि वाले अपने-अपने लेंस लेकर आएंगे।
भाई साहब! इन सबकी एक राय से उन मेधावी प्रतिभाओं की भर्ती होगी कि अव्वल तो उन्हें किसी ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी नहीं और यदि थोड़ी बहुत हुई भी तो मामूली-सा एक सेशन इन सब आचार्यों के साथ पर्याप्त है।
आप तो ये सोचो इससे कितने समय और फंड्स की बचत होगी। वैसे तो इस चयन प्रणाली में गलती की कोई गुंजायश है नहीं फिर भी एक फाइनल राउंड में आप ‘शॉर्ट-लिस्टड वैंâडीडेट्स से उनके घर का नक्शा नत्थी करा सकते है। इसमें मुखर्जी नगर और ओल्ड राजिंद्र नगर में पी.जी. में रहनेवाले बच्चों को डरने की जरूरत नहीं क्योंकि नक्शा उनके परमानेंट निवास का मांगा जाएगा। यदि किसी कारणवश वह उपलब्ध नहीं हो तो वो अपने पैतृक निवास का या माता-पिता से एफिडेविट करा सकते हैं वैंâडीडेट मकान के किस कोने में रहता, सोता-जागता था। रसोई किस कोण पर थी और इज्जत घर किस दिशा में था। इसका विस्तृत अध्ययन वास्तु के विशारद करेंगे और उसी आधार पर मेरिट बन जाएगी। फिर देखना आप! भारत को सोने की चिड़िया बनने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं पाएगी। सोने से यहां मेरा अर्थ गोल्ड से है न कि नींद से जिसमें डरावने सपने आते हैं।

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