गीत
सावन बीता भादो आए
अब हूँ तलक मोरे पिया नहीं आये
पिया नहीं आए पिया नहीं आए
मन की अगन अब कौन बुझाये
आँख से आँसू बरसे ऐसे
भीगे नथ का मोती देखो
बादल बरस बरस कर सूखे
आशा मन में सोती देखो
वृंदावन सा मनवा मेरा
अब मेरे कृष्ण को कौन बिठाए
पिया नहीं आए
जूही की कोमल काया सा
तन है मेरा मुरझाया सा
उस पर कड़ी धूप विरहा की
नाम तुम्हारा है छाया सा
पतझड़ जैसी यादें गिरती
कोंपल मन में कौन उगाये
पिया नहीं आए
भादों की है रात अँधेरी
यादों की भी बाड़ घनेरी
मन में उथल पुथल है इतनी
कोई न भाए मुझको सखी री
कैसे बुलाऊँ शाम पिया को
कोई तो मुझको राह बताये
पिया नहीं आए
डॉ कनक लता तिवारी