सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में घोटालों का सिलसिला थम नहीं रहा है। सफाई के नाम पर ३,२०० करोड़ का घोटाला सामने आया है। शिंदे के हर मंत्री जाते-जाते हाथ की सफाई करके जाना चाहते हैं, क्योंकि यह मौका दोबारा मिलनेवाला नहीं है। इन मंत्रियों को मालूम है कि आगे उनकी सरकार बननेवाली नहीं है। इसलिए खजाना लूटकर खाली कर दिया जाए। सरकार के खजाने को साफ करने के लिए इस समय एक कार्यक्रम चल रहा है। यदि यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा।
पहले भी जनस्वास्थ्य विभाग का कुप्रबंधन उजागर हुआ था। इस विभाग के मंत्रियों की भूख कम होती नहीं दिखाई दे रही है। जनस्वास्थ्य विभाग में सफाई के नाम पर ३,२०० करोड़ का घोटाला हुआ है। नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाते हुए घोटाला उजागर किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री खुली आंखों से यह लूट देख रहे हैं। इसलिए सवाल खड़ा हो गया है कि मलीदा उनके पास जाता है क्या? ऐसा सवाल भी नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने किया है।
राज्य के ८ मंडलों से हुई सफाई घोटाले की शुरुआत
कर्मचारियों को वेतन देने के रूप में दिखाया गया खर्च
स्वच्छता घोटाले की शुरुआत राज्य के आठ मंडलों में २७ हजार ८६९ बेड की प्रशासनिक स्वीकृति से हुई थी। पहले यह प्रशासनिक स्वीकृति मात्र ७७ करोड़ ५५ लाख १८ हजार रुपए की थी, जिसे १८ सितंबर २०२३ को ६३८ करोड़ रुपए बढ़ा दिया गया। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अन्य सामान्य स्वास्थ्य केंद्र शामिल थे। इसके लिए २०२२ की क्यू.एम २०१५ में आंतरिक सफाई की दर ३० रुपए और बाहरी सफाई की दर ३ रुपए तय की गई थी।
इस खर्च को मशीन की सफाई, कर्मचारियों को वेतन देने के रूप में दिखाया गया। नए पी.एम. २०२३ के तहत आंतरिक दर ८४ रुपए बाह्य दर ९ रुपए से ४० पैसे कर दी गई। यह बढ़ोतरी ७७ करोड़ से दस गुना बढ़ाकर ६३८ करोड़ कर दी गई। यह टेंडर तीन साल के लिए है, जिसमें २ साल के विस्तार का प्रावधान है। वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि यह सरकारी खजाने की दिनदहाड़े लूट है। उन्होंने कहा कि पुणे के एक मंत्री के चार्टर्ड एकाउंटेंट ने इस टेंडर को मैनेज करने की कोशिश की थी। इसकी जांच होनी चाहिए।