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‘व्हेप’ के नशे में स्कूली बच्चे!

  • व्हेप ‘मेड इन चाइना’ पर है प्रतिबंध,  फिर भी बाजार में आसानी से है उपलब्ध

सामना संवाददाता / मुंबई
सिगरेट पीनेवाले लोग अब ‘व्हेप’ का प्रयोग कर रहे हैं। युवाओं के साथ-साथ अब स्कूली बच्चे भी ‘व्हेप’ पीने के आदी हो गए हैं। बच्चे बाथरूम में धूम्रपान करते हुए पाए जा रहे हैं, इसका खुलासा एक स्कूल के ओरिएंटेशन कार्यक्रम में हुआ। इससे माता-पिता भयभीत हो गए है। बताया गया कि आधे से ज्यादा माता-पिता नहीं जानते थे कि ‘व्हेपिंग’ क्या होता है? हमारे बच्चे कहीं इस व्हेपिंग के शिकार तो नहीं हो गए हैं? इसे पता करना और उन्हें इससे बाहर निकालना अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
ऐसे मुड़ता है कदम
किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है जब लड़के-लड़कियों में अच्छे और बुरे के बीच अंतर करने की बौद्धिक क्षमता नहीं होती है। नई चीजों को आजमाने का साहस, दोस्तों द्वारा दी गई चुनौती आदि के चलते बच्चे बहक जाते हैं। अल्हड़ आयु में हाथों में मोबाइल फोन आने से जानकारियों का मायाजाल खुल गया है। माता-पिता काम के कारण घर से दूर रहते हैं। ऐसे में उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती है कि बच्चे स्कूल या घर पर क्या कर रहे हैं।
कागजों पर ही प्रतिबंध
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल २०१९ में ई-सिगरेट के साथ ही व्हेप के आयात-निर्यात और बिक्री पर रोक लगा दी है। हालांकि, विदेशों में विभिन्न कंपनियों द्वारा उत्पादित ई-सिगरेट और व्हेप का हिंदुस्थान में अवैध रूप से आयात और बिक्री की जा रही है। ई-सिगरेट अथवा व्हेप के इस्तेमाल से डिप्रेशन हो सकता है। ई-सिगरेट की लत लगाने वालों को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। सेवन की मात्रा ज्यादा होने पर ब्लड क्लॉटिंग की समस्या भी हो सकती है। ई-सिगरेट में डायथिलीन ग्लाइकोल नामक खतरनाक रसायन होता है, जो बच्चों और युवा-व्यस्कों दोनों के लिए हानिकारक होता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। लगातार खांसी, फेफड़े में चोट आदि के लक्षण दिखाई देते हैं।

क्या है व्हेप
ई-सिगरेट अथवा व्हेप पेन एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो तरल पदार्थ को गर्म करता है और उसे वाष्प में परिवर्तित करता है। इसमें निकोटीन, विभिन्न तरह के फ्लेवर्स और अन्य पदार्थ शामिल होते हैं। ई-सिगरेट का इस्तेमाल स्मोकिंग के लिए ज्यादा होता है।

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