सामना संवाददाता / मुंबई
मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने के लिए स्कूली छात्रों को लगातार कुछ न कुछ नया करते रहना चाहिए। इससे रचनात्मकता बढ़ने से छात्रों का मेंटल स्वास्थ्य अच्छा होगा और उनकी प्रगति तेजगति से होगी। इस तरह की राय सायन अस्पताल में ‘स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य’ विषय पर आयोजित चर्चा सत्र में डॉ. विनय कुमार ने व्यक्त की।
उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त आयुक्त डॉ. सुधाकर शिंदे के मुताबिक, मुंबईकरों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए मनपा के सभी अस्पताल लगातार काम कर रहे हैं। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न विषयों पर शोध के साथ ही शैक्षिक मंथन भी नियमित रूप से चल रहा है। इसके तहत मनपा के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा पूरे महाराष्ट्र में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विचार किया जाता है। इसके तहत प्रदेश भर के स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा हो रही है। मनपा के सायन अस्पताल में मुंबई साइकियाट्रिक सोसाइटी, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी और स्कूल मेंटल हेल्थ टास्क फोर्स के सहयोग से स्कूली छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाने के उद्देश्य से एक दिवसीय चर्चा हुई। इसके साथ ही कोरोना के बाद की शिक्षा, लैंगिकता, किशोरावस्था और स्कूली मानसिक स्वास्थ्य समेत किशोरावस्था से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की गई। अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी ने कहा कि कार्यक्रम को राज्य भर के स्कूलों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली।
600 से अधिक स्कूलों ने कराया था पंजीयन
डॉ. मोहन जोशी ने कहा कि कार्यक्रम में भाग लेने के लिए राज्य भर से 600 से अधिक स्कूलों ने पंजीकरण कराया था। इस अवसर पर मुंबई मनोरोग सोसायटी के अध्यक्ष डाॅ. अविनाश देसुसा, डाॅ. केर्सी चावड़ा सहित कई विशेषज्ञों ने मार्गदर्शित किया। उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों की भी उतनी ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। माता-पिता को बच्चों के साथ लगातार संवाद कर उनके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहिए। बच्चों की प्रगति और विकास के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है।
छात्रों को रोजाना करनी चाहिए शारीरिक गतिविधि
चिकित्सकों ने कहा कि छात्रों के लिए रोजाना व्यायाम, तैराकी, शारीरिक खेल, बौद्धिक खेल, पढ़ना, ड्राइंग के साथ-साथ नई चीजें सीखना बहुत जरूरी है। इसमें शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी इसके लिए प्रयास करना चाहिए।