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वैज्ञानिकों ने किया दावा : अब यूरिन से होगा ब्रेन ट्यूमर का टेस्ट!

कम हो सकती है आवश्यक जांच
सामना संवाददाता / मुंबई
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे उपकरण की खोज की है, जो यूरिन में झिल्लीदार प्रोटीन का पता लगाता है। इस उपकरण का उपयोग यह जांचने के लिए किया जाता है कि किसी मरीज को ब्रेन ट्यूमर है या नहीं। मतलब अब यूरिन से ब्रेन ट्यूमर का टेस्ट होगा। अध्ययन के मुताबिक इससे ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने के लिए आवश्यक जांच की आवश्यकता कम हो सकती है और ट्यूमर के शुरुआती स्तर पर ही पता चलने की संभावना बढ़ सकती है। इसकी मदद से उसे समय पर सर्जरी कर हटाया जा सकता है। इस अनुसंधान का प्रयोग अन्य प्रकार के वैंâसर का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। कई प्रकार के वैंâसर का जल्द पता लगने के कारण कैंसर रोगियों की जीवित रहने की दर में वृद्धि हुई है।
उल्लेखनीय है कि हिलना-डुलना या बोलना बंद होने जैसे लक्षणों की शुरुआत के बाद ही डॉक्टरों को ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है। लेकिन तब तक ट्यूमर का खतरा बहुत बढ़ गया होता है। जापान के नगोया विश्वविद्यालय में हुए अध्ययन में कहा गया है कि जब ट्यूमर छोटे होते हैं तो उनका पता लगाकर उस पर जल्द इलाज शुरू करने से जीवन को बचाया जा सकता है। इसमें यह भी बताया गया है कि किसी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर होने का एक संभावित संकेत यानी उसके यूरिन में ट्यूमर से जुड़े एक्स्ट्रा सेल्यूलर वेसिकल्स की उपस्थिति है।
यूरिन परीक्षण के कई लाभ
अध्ययनों से पता चला है कि ईवी नैनो आकार के वेसिकल्स होते हैं, जो सेल-टू-सेल कम्युनिकेशन सहित विभिन्न प्रकार के कार्यों में शामिल होते हैं। मस्तिष्क वैंâसर रोगियों में पाए जानेवाले यूरिन में विशिष्ट प्रकार के आरएनए के साथ ही झिल्ली प्रोटीन के कारण उनका उपयोग वैंâसर की उपस्थिति और प्रगति का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
की जा सकती है लिक्विड बायोप्सी
अध्ययन में कहा गया है कि शरीर के कई द्रवों का उपयोग करके लिक्विड बायोप्सी की जा सकती है। यूरिन परीक्षण एक प्रभावी, सरल और गैर-आक्रामक विधि है क्योंकि यूरिन में कई सूचनात्मक जैव अणु होते हैं, जिन्हें रोगों की पहचान करने के लिए वापस खोजा जा सकता है।

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