मौसम

मौसम को टकराने दो।
नई रोशनी आने दो ।।
वह जो है आवाज बन रहा।
उसको भी कुछ गाने दो।।
ताकत लेकर पीछे जाओ।
शुद्ध हवा अब आने दो।।
पैसे का अंबार जहां है।
उसको सबक सिखाने दो।।
दुनिया की पावन धरती पर।
हरियाली अब लाने दो।।
सत्य अहिंसा कहां गया है ।
उसका पता लगाने दो।।
आरोपों के नए दौर में।
अब आवाज उठाने दो।।
इन्कलाब पहले गाया था।
क्रांति गीत अब गाने दो।।
जनता क्या कहती है सुन लो।
और प्यार फैलाने दो।।
दलदल में है फंसी व्यवस्था।
उसको बाहर लाने दो।।
नैतिकता मानवता वाला।
अब तो बिगुल बजाने दो।।
बहुत हो चुकी खींचातानी ।
अब शुकून को आने दो।।
थोड़ी सी समरसता लाओ।
हमको पैर जमाने दो।।
तुम तो अब विकलांग हो गए।
हटो और सुख पाने दो।।
कैसे धरती हुई प्रदूषित।
अब तो पता लगाने दो ।।
कोई तुमसे बोल रहा है ।
सच्चा धर्म निभाने दो।।
कैसे सब कुछ पावन होगा।
अब यह प्रश्न उठाने दो।।
मौसम को टकराने दो ।
नई रोशनी आने दो।।
-अन्वेषी

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