धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मौसमी बीमारियों को लेकर की गई तैयारियों के सिलसिले में मुंबई मनपा द्वारा किए गए दावों की पोल लगातार खुल रही है। आलम यह है कि शहर में तेजी से पैâल रही डेंगू, मलेरिया, लेप्टो और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में स्वास्थ्य विभाग के पसीने छूट रहे हैं। इसी में स्टमक फ्लू भी टेंशन दे रहा है। मनपा की इन नाकामियों का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
मुंबई मनपा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, एक अगस्त से १३ अगस्त के बीच मलेरिया के ४६२, डेंगू के ३१७, स्टमक फ्लू के ४२९, लेप्टो के १५१, स्वाइन फ्लू के ९०, चिकनगुनिया के ११ और हेपेटाइटिस के १५ मामले दर्ज किए गए हैं। मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि इस साल मौसमी बीमारियों के मामले बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर स्क्रीनिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही रिपोर्टिंग युनिट भी ८८ से बढ़कर ८८० तक पहुंचने से परीक्षण की रफ्तार तेज हो गई है। इस कारण मौसमी बीमारियों के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। इसी तरह बीते १३ दिनों में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में ४२ शिविर आयोजित किए गए, जिसमें संदिग्ध मरीजों की जांच कर उनका इलाज किया गया। उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह की तुलना में लेप्टो और डेंगू के मरीजों में मामूली वृद्धि देखी गई है, जबकि स्वाइन फ्लू, हेपेटाइटिस और चिकनगुनिया के मामले घटे हैं।
लिए गए पानी के नमूने
जल जनित बीमारियों से बचाव के लिए अगस्त में पानी के १,१८७ नमूने लिए गए, जिनका परीक्षण किया जाएगा। इस बीच पानी में घातक कीटाणुओं का नाश करने के लिए ७,५५१ क्लोरीन टैबलेट वितरित किए गए हैं। इसके अलावा स्टमक फ्लू से पीड़ित मरीजों को ७,६९५ ओआरएस उपलब्ध कराए गए। दूसरी तरफ लेप्टो को नियंत्रित करने के लिए जहरीली दवाओं का इस्तेमाल करके २,८४५ चूहों को मारा गया है। इसके साथ ही २०१६ चूहों को पिंजरे के माध्यम से पकड़ा गया है। इतना ही नहीं ४१,५८२ इमारतों और ५,०५,७२८ झोपड़पट्टियों में १३,१७५ मशीनों के माध्यम से फॉगिंग की गई। मच्छरों के प्रजनन स्थलों को किया गया नष्ट
मनपा स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, रैपिड रिस्पांस टीम की ओर से उपाय योजनात्मक कार्रवाई की जा रही है। बताया गया है कि १३ दिनों में कुल ९,०७,७२० घरों के साथ ही ३५,५८,९८१ लोगों का सर्वे किया गया। इसके साथ ही विभिन्न लैबों में खून के ८२,६९८ सैंपल लिए गए। डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि लेप्टो, डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए ७,५४,७३९ घरों और ८,२७,१८५ मच्छरों के प्रजनन स्थलों का निरीक्षण किया। इस बीच १२,२३७ प्रजनन स्रोतों का पता चला है, जिसे नष्ट कर दिया गया।