सामना संवाददाता / मुंबई
अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा ‘सेबी’ प्रमुख माधबी पुरी बुच पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाने के बाद मामला गर्म है। इस बीच सेबी का एक और कारनामा सामने आया है। सेबी ने यू-टर्न लेते हुए अपना एक प्रेस रिलीज वापस ले लिया है।
बाजार नियामक ‘सेबी’ ने कल अपनी ४ सितंबर को जारी उस प्रेस रिलीज को वापस ले लिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेबी कर्मचारियों को बाहरी तत्व अपना उल्लू सीधा करने के लिए उकसा रहे हैं। इसे सेबी में कामकाज की स्थितियों को लेकर कर्मचारियों के असंतोष जताने के बाद जारी किया गया था। हालांकि, अब इस मुद्दे पर सेबी के सुर नरम हो गए हैं। बाजार नियामक ने कहा कि ये चिताएं ‘गलत’ हैं और इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी-संबंधी मुद्दों को आंतरिक रूप से हल किया जाएगा। सेबी ने कहा कि सभी शिकायतों का निपटारा बातचीत से होगा। यह निर्णय ५ सितंबर को सेबी मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में कर्मचारियों द्वारा किए गए विरोध-प्रदर्शन के बाद लिया गया। कर्मचारियों ने बयान वापस लेने और सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की थी। सोमवार को दिए गए बयान में सेबी ने पिछले ३६ वर्षों में भारतीय प्रतिभूति बाजार को विश्व के सबसे गतिशील और सुव्यवस्थित बाजारों में से एक बनाने में अपने कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। सेबी ने कहा कि वह कर्मचारी-संबंधी मामलों का निपटारा उचित आंतरिक तंत्र के माध्यम से करता है।