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दो-दो मोर्चों पर जूझते सुरक्षाबल! …आतंकियों के साथ ही अफीम की खेती का भी सफाया करना पड़ रहा सुरक्षाबलों को

–सुरेश एस डुग्गर–
जम्मू। कश्मीर में सुरक्षाबलों को एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। इनमें आतंकियों के हमलों और सीमा पार से घुसपैठ तो है ही, अफीम की बड़े पैमाने पर की जाने वाली खेती भी है। हर साल गर्मियों की शुरुआत के साथ ही उन्हें अफीम की खेती के विरुद्ध व्यापक अभियान छेड़ना पड़ता है।

इसी क्रम में कश्मीर में नशे का कारोबार कर रहे राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कश्मीर पुलिस ने अवैध अफीम की खेती को नष्ट करने के साथ ही कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। अवंतीपोरा के गांव काखेरवन में अफीम की खेती पांच कनाल से अधिक भूमि पर लगाई हुई थी। जबकि आंकड़ों के अनुसार, एक सप्ताह के भीतर २ हजार कनाल में अफीम की खेती नष्ट की जा चुकी है।

अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर में कई जगहों पर अफीम को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में महंगे दामों पर बेचने के उद्देश्य से लगाया जा रहा है। खेती के लिए बाकायदा उन्नत तथा संशोधित बीजों का प्रयोग किया जा रहा है, ताकि अफीम की अधिक से अधिक खेती मुमकिन हो पाए और अच्छे दामों पर बिक पाए। कश्मीरी अफीम की खेती अकसर जंगलों में करते हैं, ताकि किसी को भनक न लगे।

यह भी सच है कि अधिकतर अफीम केसर क्यारियों में ही उगाई जा रही हैं। अवंतीपोरा के पुलिस अधीक्षक भी मानते हैं कि केसर जैसी महंगी फसल भी अब कश्मीरियों को आकर्षित इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि यह बहुत समय लेती है और हमेशा ही इस पर मौसम की मार भी अपना असर दिखाती है।
ऐसे में बिना किसी मेहनत, बिना पानी देने की परेशानी के पैदा होने वाली और केसर की फसल से कहीं अधिक धन दिलाने वाली अफीम की खेती अब केसर क्यारियों का स्थान ले रही है। नतीजतन एक्साइज विभाग तथा पुलिस के लिए दिन-ब-दिन अफीम की खेती के बढ़ते रकबे पर इसकी पैदावार को रोक पाना मुश्किल होता जा रहा है।

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