-प्रशासन को नहीं लगी भनक
-आत्महत्या का भी अपना रहे रास्ता
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
ठाणे मेंटल अस्पताल की सुरक्षा-व्यवस्था इस समय रामभरोसे ही चल रही है। बीते कुछ सालों में अस्पताल में भर्ती मरीज इस तरह भागे हैं कि इसकी भनक प्रशासन को नहीं लगी है। सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि ठाणे मेंटल अस्पताल में मरीज आत्महत्या की राह तक अपना रहे हैं। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दो-तीन सालों में दो मानसिक रोगियों ने सुसाइड किया है। इन घटनाओं ने ठाणे मेंटल अस्पताल में चल रही लापरवाही को उजागर किया है।
उल्लेखनीय है कि ठाणे स्थित मेंटल अस्पताल में ठाणे, रायगढ़, मुंबई, पालघर, नासिक, जलगांव, धुले और नंदुरबार जिलों से मानसिक रूप से बीमार मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कराया जाता है। ठाणे मेंटल अस्पताल में करीब ६२३ पुरुष और ४०४ महिला मानसिक रोगियों का इलाज शुरू है, जिनका ध्यान रखने के लिए आवश्यक स्टाफ की संख्या महज ७२३ ही है। इसमें डॉक्टर, नर्स, अटेंडेंट और सफाई कर्मचारी शामिल हैं। इसलिए कर्मचारियों पर काम का दबाव है। आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठारी ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बताया गया है कि साल २०२२ में दो और साल २०२३ में दो सीजोप्रâेनिया के मरीज सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर फरार हो गए, जिससे अस्पताल में सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
आरटीआई में बताया गया है कि साल २०२१ से २०२४ तक कुल २६० मरीजों को छोड़ दिया गया है। इसमें बताया गया है कि साल २०२१ में ५०, साल २०२२ में ६०, साल २०२३ में ८५, साल २०२४ में ६५ मरीजों को उनके परिजनों ने छोड़ दिया। इसमें एमआर क्षेत्र के मरीजों की संख्या अधिक है। इनमें से १३२ ऐसे मरीज हैं, जिनकी देखभाल अभी भी अस्पताल प्रशासन कर रहा है। दूसरी तरफ यह भी बताया गया है कि ठीक हुए ५६ मरीजों को उनके परिजन साथ लेकर गए हैं, जबकि सात मरीजों के परिजनों का आज तक पता नहीं चला है। इसके साथ ही इस दौरान दो मरीजों की मौत भी हुई है। बताया गया है कि चार सालों में ६३ रोगियों का शासन और प्रशासन की मदद से पुनर्वास किया गया है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, साल २०२१ में ५, साल २०२२ में १६, साल २०२३ में २६ और साल २०२४ में १६ मरीजों का पुनर्वास हुआ है।