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२५ वर्षों में ७५ फीसदी तक हुई सेवा में वृद्धि , फिर भी नहीं सुधरी मध्य रेलवे!

यात्रियों के लिए नहीं हो रही है पर्याप्त व्यवस्था
लटककर यात्रा करने को मजबूर हैं यात्री
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई का मध्य रेलवे महत्वपूर्ण रेलवे मार्गों में से एक है। मध्य रेलवे ने पिछले २५ वर्षों में अपनी सेवाओं में ७५ फीसदी तक की वृद्धि की है। साल १९९८-९९ में जहां रोजाना १०७७ ट्रिप्स चलाती थी, वहीं अब यह संख्या बढ़कर १,८१० तक पहुंच गई है। लेकिन इतने बड़े विस्तार के बावजूद, पीक समय में यात्रियों को पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है।
१३८ ट्रेन रोजाना सेवाएं करती हैं प्रदान
रेलवे प्रशासन के मुताबिक, उनके पास वर्तमान में १७० ट्रेनें हैं, जिनमें से १३८ रोजाना सेवाएं प्रदान करती हैं। हालांकि, इनमें १५ डिब्बों वाली कुछ गाड़ियां और ६ एसी लोकल ट्रेनें भी हैं, लेकिन इनका फायदा चुनिंदा यात्रियों को ही मिल पाता है। बाकी के करीब ४० लाख यात्री अत्यधिक भीड़ और असुविधा से जूझते हैं। रेलवे ने सेवाओं में बढ़ोतरी तो की है, लेकिन यात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या के सामने यह नाकाफी साबित हो रही है। ठाणे और परेल जैसे स्टेशनों पर प्लेटफार्म पर पैर रखने तक की जगह नहीं होती, ट्रेनें इतनी भरी होती हैं कि यात्रियों को दरवाजे पर लटक कर सफर करना पड़ता है। हर दिन ऐसे हालातों में यात्रा करने से यात्रियों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा है।
किसी संघर्ष से कम नहीं है यात्रा करना 
ठाणे, परेल और कुर्ला जैसे प्रमुख स्टेशनों पर सुबह और शाम के पीक समय में भीड़ इस कदर होती है कि यात्रियों को ट्रेन में घुसना मुश्किल हो जाता है। लटककर यात्रा करना अब मध्य रेलवे के यात्रियों के लिए एक अनिवार्यता बन गया है। जगह की कमी और आधारभूत ढांचे की सीमाएं रेलवे के लिए हमेशा चुनौती बनी रही हैं, लेकिन इसका सीधा खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है, जिनके लिए हर यात्रा एक संघर्ष बन गई है।

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