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सेठ की जारी है, वैट की लूट …क्रूड कीमतें आधी हो गईं पर देशवासियों को राहत नहीं!

-पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में केंद्र ने नहीं की है कोई कटौती
सामना संवाददाता / मुंबई
मोदी सरकार का जब मन करता है पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा देती है। बहाना रहता है कि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। मगर जब कच्चे तेल की कीमतें कम होती हैं तो वह दाम कम करने के नाम पर चुप्पी साध जाती है। इन दिनों कच्चे तेल की कीमतें आधी हो गई हैं, मगर देशवासियों को मोदी सरकार की ओर से कोई राहत नहीं दी गई है।
कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी के बावजूद केंद्र सरकार ने न तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम की हैं और न ही टैक्स में कोई कटौती की है। जहां तक राज्य सरकारों का सवाल है तो सेठ लोगों की वैट की लूट जारी है। वैट में भी कोई कमी नहीं की गई है। आम आदमी का मानना है कि कच्चे तेल के भाव के निचले स्तर पर आने से पेट्रोल और डीजल के भाव में कटौती की जानी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेंट क्रूड का भाव ७० डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। दिसंबर २०२१ के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब कच्चे तेल का भाव ७० डॉलर से भी कम हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की रफ्तार कम होने को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। इन चिंताओं ने कच्चे तेल की डिमांड को प्रभावित किया है, जिसका असर कीमतों पर दिख रहा है। कल ब्रेंट क्रूड का भाव ३.७ फीसदी कम होकर ६९.१५ डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था, वहीं वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट का भाव ४.१ फीसदी कम होकर ६५.९० डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था। यह लगभग ३ साल में कच्चे तेल का सबसे निचला स्तर है। इससे उम्मीद बढ़ गई है कि सरकारी तेल कंपनियां डीजल और पेट्रोल के खुदरा भाव में कटौती करेंगी।

६ महीने पहले हुई थी कटौती
देश में तीन सरकारी तेल कंपनियां इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम डीजल व पेट्रोल की खुदरा बिक्री करती हैं। तीनों कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव के हिसाब से डीजल और पेट्रोल की कीमतों में बदलाव करती हैं। डीजल और पेट्रोल के खुदरा दाम में लगभग ६ महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है। आम लोगों को आखिरी बार १४ मार्च २०२४ को राहत दी गई थी। उस समय डीजल और पेट्रोल के दाम में २-२ रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी।

गत सप्ताह से जारी है गिरावट
पिछले सप्ताह ब्रेंट क्रूड का भाव करीब ८ फीसदी गिरा था, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट के भाव में लगभग ६ फीसदी की गिरावट आई थी। इस सप्ताह भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का दौर बना हुआ है। मौजूदा आर्थिक हालात इशारा कर रहे हैं कि कच्चा तेल और सस्ता हो सकता है। तेल उत्पादक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती करने से जिस सपोर्ट की उम्मीद की जा रही थी, वह भी फिलहाल टल गई है।

 

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