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शताब्दी अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी! …चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ का है अभाव, स्थानीय लोगों ने जताई नाराजगी

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
गोवंडी स्थित मनपा का पंडित मदनमोहन मालवीय शताब्दी अस्पताल बदहाली से गुजर रहा है। यहां न केवल साफ-सफाई का अभाव और बेड की कमी है, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों को दिखाने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लगती है। तो दूसरी तरफ मेडिकल स्टाफ का अपमानजनक व्यवहार मरीजों को आहत कर रहा है। इन तमाम दिक्कतों को देखते हुए मरीज नाराज हैं और कह रहे हैं कि शताब्दी अस्पताल की बदहाली के चलते आखिरकार उनका इलाज कैसे होगा?
ज्ञात हो कि मनपा ने साल १९८२ में गोवंडी में करीब पहले १८० बेड का पंडित मदन मोहन मालवीय शताब्दी अस्पताल बनाया था, जिसे बाद में बढ़ाकर २१० बेड कर दिया गया। इसमें सामान्य वॉर्डों के साथ ही सर्जिकल, मेडिकल और ट्रॉमा के साथ एमआईसीयू वॉर्ड भी हैं। इस अस्पताल में बैगनवाड़ी, चेंबूर, शिवाजी नगर, गोवंडी, मानखुर्द समेत आस-पास के क्षेत्रों से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। जानकारी के अनुसार, अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब दो से तीन हजार मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। साथ ही १० से १५ सर्जरियां भी होती हैं। इस अस्पताल को बनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य था कि यहां करीब १५ लाख की आबादी का सही से इलाज किया जा सके।

नहीं दी जाती है बेडों की जानकारी  
समाजसेवी राजेंद्र नगराले ने कहा कि असुविधाओं की मार झेल रहे इस अस्पताल में दुर्घटनाओं के शिकार अथवा अन्य बीमारियों से पीड़ित गंभीर मरीजों को सायन अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। हालांकि, सायन अस्पताल में बेड की उपलब्धता न होने की स्थिति में मरीजों को शहर के दूसरे अस्पतालों में भेजा जाता है। इस स्थिति में परिजनों को अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

प्राइवेट में जांच कराने को मजबूर
नगराले ने कहा कि टेक्नीशियनों की कमी के चलते कई बार एक्सरे मशीन बंद रहती है। कुछ यही हाल लैब और ईसीजी विभाग का भी है। इन विभागों में टेक्नीशियन कम हैं, जिससे मरीज पूरी तरह से परेशान हो गए हैं। गंभीर पेशेंट को जांच की आवश्यकता होती है। ऐसे में इन मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।

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