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ऑफिस स्पेस में बढ़ा यौन उत्पीड़न! … सरकारी निर्देश, मैनेजर बनाए `आंतरिक शिकायत समिति’

– नहीं बनी समिति तो लगेगा ५० हजार का जुर्माना
सामना संवाददाता / मुंबई
सरकारी और अर्द्धसरकारी कार्यालयों में महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न सहित अन्य शिकायतों के निदान के लिए आंतरिक शिकायत समिति स्थापित करने का निर्देश पिछले दिनों सरकार ने दिया था। अब जिन संस्थाओं ने आंतरिक शिकायत निवारण समिति की स्थापना नहीं की है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध और निवारण) अधिनियम, २०१३ की धारा २६ के तहत सरकारी या निजी कार्यालयों द्वारा आंतरिक शिकायत समिति का गठन न करने पर रुपए ५०,००० का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि ऐसे कार्यालय उक्त कानून एवं नियमों के तहत निर्धारित दायित्वों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके परवाने (लाइसेंस) रद्द किए जा सकते हैं और दंड की राशि दोगुनी की जा सकती है। यह जानकारी मुंबई उपनगर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी संजय धनगर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है। अधिनियम की धारा ४ के अनुसार, यदि किसी सरकारी या निजी संस्था में १० या उससे अधिक अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत हैं तो ऐसी संस्थाओं में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए आंतरिक शिकायत समिति का गठन अनिवार्य है।
मुंबई उपनगर जिले की सभी सरकारी और निजी संस्थाएं जैसे कि दुकानें, शैक्षणिक संस्थान, खेल संगठन, फिल्म संस्थाएं और सरकारी कार्यालय को यह समिति बनाकर उसका विवरण जिला कलेक्टर कार्यालय, बांद्रा (मुंबई उपनगर) या जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, प्रशासनिक भवन, पहली मंजिल, दूसरा चरण, आर.सी. मार्ग, चेंबूर को प्रस्तुत करना आवश्यक है। प्रेस विज्ञप्ति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस कानून का पालन करना सभी नियोक्ताओं की कानूनी जिम्मेदारी है।

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