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चीन पर मंडरा रहा एक और महामारी का साया, मंगोलिया में लोगों को सताने लगी ‘ब्यूबोनिक प्लेग’ की पीड़ा!

७ अगस्त को मिला था पहला केस, फिर मिले एक ही परिवार में २ मामले
एजेंसी / बीजिंग
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई। धीरे-धीरे इस महामारी से छुटकारा मिलने लगा है। इस कोरोना महामारी को लेकर कहा गया कि ये चीन से फैला था। हालांकि, चीन इस बात से इनकार करता रहा कि कोविड उसके ही लैब से फैला। अब खबर आ रही है कि चीन पर एक और महामारी का साया मंडरा रहा है। देश के मंगोलिया के लोगों को ब्यूबोनिक प्लेग नामक बीमारी की पीड़ा सताने लगी है।
मिली जानकारी के अनुसार, चीन के उत्तरी क्षेत्र इनर मंगोलिया में ब्यूबोनिक प्लेग के दो और केस मिलने के बाद से हड़कंप की स्थिति है। चीन की सरकार ने बताया है कि ये दोनों नए केस उस एक ही परिवार से मिले हैं, जहां पहले ७ अगस्‍त को पहला केस मिला था। अब इन्‍हें आइसोलेशन में रखा गया है और लगातार निगरानी की जा रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ‘ब्यूबोनिक प्लेग’, प्लेग का सबसे आम रूप है, लेकिन यह बेहद खतरनाक महामारी में बदल सकता है। इस संबंध में सरकार ने बयान जारी किया है।
असामान्य लक्षण नहीं दिखे
बयान में कहा गया है कि पॉजिटिव पाए गए लोगों के संपर्क में आने वाले सभी संदिग्‍धों को भी आइसोलेट कर दिया गया है। सरकार के अनुसार पहले पत्‍नी को संक्रमण हुआ था, इसके बाद पति और बेटी में भी लक्षण पॉजिटिव मिले थे। हालांकि, अब तक सभी संक्रमित और उनके संपर्क में आए संदिग्‍ध लोगों में कोई असामान्‍य लक्षण नहीं दिखा है। सभी को दवाएं दी जा रही हैं। अगस्‍त के पहले हफ्ते में स्वास्थ्य आयोग ने अपनी वेबसाइट पर बताया था कि ब्यूबोनिक प्लेग के एक मामले में कई अंग फेल होने से एक मरीज की मौत हो गई थी। यह प्‍लेग का संक्रमण चूहों से फैलता है। इधर, डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ‘ब्यूबोनिक प्लेग’, संक्रमित पिस्सू के काटने से होता है।
बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है ब्यूबोनिक प्लेग
ब्यूबोनिक प्लेग एक ऐसी बीमारी है, जो बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है। मध्य युग में ब्लैक डेथ के रूप में जाना जाता था। प्लेग नामक बैक्टीरिया इसकी मुख्य वजह है। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, न कि वायरस! इसलिए इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए संभव भी है। ब्यूबोनिक प्लेग बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है। यह एक विशेष प्रकार के जीवाणु, यर्सिनिया पेस्टिस से संक्रमित होने के कारण होता है। मानव शरीर में आमतौर पर यह बीमारी कुतरने की प्रकृति रखने वाले जानवरों के कारण फैलती है, जो कि आमतौर पर पिस्सुओं के संपर्क में आ जाते हैं। कभी-कभी यह पिस्सू लोगों को काट भी लेते हैं, जिसके कारण इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
-१८६० में ये महामारी शुरू हुई। इसने सबसे पहले चीन के अंदरूनी इलाकों में हमला बोला और फिर हांगकांग में दाखिल हुआ।
– उस दौर में इस महामारी को मॉडर्न प्लेग का नाम दिया गया। ये चीन के सिल्क रूट के रास्ते दुनिया के बाकी हिस्सों में पैâली थी।
– इंफेक्टेड चूहे ये बीमारी लेकर शिप तक पहुंचे और जहां-जहां भी शिप गए और डॉक्स पर रुके, ये बीमारी भी वहां चली गई। चीन से ही ये बीमारी भारत में फैली। भारत में इसकी शुरुआत १८८९ में हुई। इसने चीन से ज्यादा कहर भारत में मचाया था।
– इसने चीन और भारत में मिलाकर सवा करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ली थी। यूके की डिफेंस इवेल्युएशन एंड रिसर्च एजेंसी की रिपोर्ट की मानें तो अकेले भारत में ही करीब १ करोड़ मौतें हुई थीं।
– ये पोर्ट सिटी हांगकांग के जरिए ब्रिटिश भारत में दाखिल हुआ था। इसका असर सबसे ज्यादा मुंबई, पुणे, कोलकाता और कराची जैसी पोर्ट सिटीज में ही दिखा था। यहां कई समुदाय तो पूरी तरह खत्म हो गए।

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