मुख्यपृष्ठग्लैमर‘शर्म आती है ऐसे रोल क्यों किए!’-राजकुमार कनौजिया

‘शर्म आती है ऐसे रोल क्यों किए!’-राजकुमार कनौजिया

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जन्मे राजकुमार कनौजिया के जीवन की कहानी काफी दिलचस्प है। जन्म के दो महीने बाद ही मुंबई आनेवाले राजकुमार के पिता कतर में कार्य करते थे और उनकी मां एक घरेलू महिला थीं। उम्र बढ़ने के साथ ही राजकुमार कनौजिया के सिर अभिनय का खुमार चढ़ता जा रहा था। हर अभिभावक की तरह उनके पिता भी चाहते थे कि उनका लड़का डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन राजकुमार के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। अपने स्कूली दिनों से ही अभिनय को लेकर बहुत ही ज्यादा संजीदा हो चुके राजकुमार रंगमंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। राजकुमार कहते हैं कि जीवन में उन्हें घोर हताशा और निराशा के साथ काफी उतार-चढ़ाव देखना पड़ा। आज भी ऑडिशन देना पड़ता है। आज जो कुछ भी मेरे पास है वह अभिनय की ही बदौलत है। तोलानी कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई करने के दौरान नाटकों में भाग लेनेवाले राजकुमार बताते हैं कि मुंबई में इंटर कॉलेज में काफी कंपीटिशन होते थे। मैंने कई ऑल इंडिया इंटर कॉलेज कंपटीशन में हिस्सा लिया और अभिनय के लिए कई सम्मान प्राप्त किए। तभी मुझे आभास हुआ कि अभिनय के क्षेत्र में मैं कुछ अच्छा कर सकता हूं। तोलानी कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा कि आपको एक्टिंग में ही करियर बनाना चाहिए। उस दौरान पृथ्वी थिएटर जाना हुआ। जहां स्व. सतीश कौशिक और राजा बुंदेला मिलकर एक नाटक कंपनी चलाया करते थे। मैं उनके साथ जुड़ गया। उनके ग्रुप का एक ही नाटक किया था और वह ग्रुप बाद में बंद हो गया। प्रोफेशनल थिएटर में मेरा आगाज यहीं से हुआ। इसके बाद मकरंद देशपांडे और संजना कपूर के सानिध्य में रहकर मेरे अभिनय की शुरुआत हुई। मकरंद देशपांडे ने एक दिन मुझसे कहा कि अब काफी थिएटर हो गया तुम मेन लाइन सिनेमा में अपना करियर बनाओ क्योंकि थिएटर में पैसे कम हैं। आप यहां सरवाइव नहीं कर सकते। डीडी-१ के शो ‘उंगली माल’ में मुझे पहला मौका मिला। उसके बाद मुझे काम मिलने लगा। राजकुमार कहते हैं कि विज्ञापन की दुनिया में मॉडलों का बोलबाला था। चरित्र अदाकार नहीं मिलते थे। विज्ञापन की दुनिया में काफी कम मिलने लगा। अब तक मैं ३०० से ज्यादा विज्ञापन कर चुका हूं। विज्ञापन के कारण ही मुझे फिल्में मिलने लगीं। अब तक मैं १२० से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुका हूं और १५० से ज्यादा शॉर्ट फिल्में कर चुका हूं। छह से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में काम कर चुके राजकुमार की २०१३ में आई जर्मन टीवी सीरियल ‘द गर्ल विद इंडियन एमेरल्ड’ में उनके काम को काफी सराहा गया। ‘राधे’, ‘पैâक्ट्री’, ‘पैसा वसूल’, ‘बेशरम’, ‘दबंग-२’, ‘भाभी पीडिया’, ‘स्टाइल’, ‘ओह माय प्रâेंड गणेश’ जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके राजकुमार ‘बालिका वधू’ और ‘फुलवा’ जैसे कई प्रसिद्ध टीवी धारावाहिकों में नजर आ चुके हैं। ‘सनफ्लावर-२’, ‘राणा नायडू’, ‘दी गुड वाइब’ जैसी वेब सीरीज में अपनी सशक्त अदाकारी की मुहर लगा चुके राजकुमार अपनी आनेवाली चर्चित वेब सीरीज ‘एहसास’ व नोट सो फेमस’ कर रहे हैं, जिनमें उनका किरदार हट के है। उनकी अपकमिंग फिल्मों की बात करें तो उनमें ‘तोता उड़ मैना उड़’ व ‘तलाक मुबारक’ प्रमुख हैं। राजकुमार कहते हैं कि पैसों की तंगी के दिनों में उन्होंने कई ऐसे प्रोजेक्ट में काम किया जो उन्हें न चाहते हुए भी करना पड़ा, जिसका मुझे बहुत अफसोस है। ओटीटी प्लेटफॉर्म के खुलेपन पर राजकुमार का कहना है कि सेंसर बोर्ड की तरह इस प्लेटफॉर्म के लिए भी कोई न कोई बोर्ड होना चाहिए। नई पीढ़ी काफी सचेत है, हताशा को चुनौती के रूप में लेती है। ओटीटी ने कई नए-पुराने कलाकारों को मंच और काम दिया है, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता। जर्मन, प्रâेंच, स्पेनिश फिल्मों में अपनी अदाकारी से अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाने वाले राजकुमार बीबीसी लंदन का प्ले भी कर चुके हैं, पर अब भी उन्हें इंतजार है बॉलीवुड में एक ड्रीम रोल निभाने की।

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